झारखंड के धनबाद रेलवे स्टेशन पर 2 मासूम बच्चे भूखे-प्यासे निढाल मिले।बच्चे इतना रोये थे कि उनके आँख के आंसू सूख चुके थे। जब बच्चो के कपड़ो की तल तलाश की गयी तो एक बच्चे की जेब से 60 रुपये मिले । दोनों बच्चो में से एक बच्चे की उम्र 4 साल और दूसरे की 5 साल बताई गयी । दोनों सगे भाई-बहन थे। ये समझ नही आ रहा था की आखिर ये किसके मासूम बच्चे हैं। कौन इन्हें ऐसे छोड़ गया था। आखिरकार, काफी जांच-पड़ताल होने के बाद पता चला कि बच्चों को उनकी मां ही स्टेशन पर छोड़ गई थी।
आखिर बच्चो को उनकी माँ ने स्टेशन पर क्यों छोड़ा ?
एक तरफ बाल कल्याण समिति और अस्पताल में रोज बच्चों को गोद लेने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है। जिनके पास संतान नही वो लोग लोग संतान के लिए न जाने कहां-कहां मन्नतें मांगते हैं, वहीं दूसरी ओर एक मां अपने दो मासूम बच्चों को 60 रुपए देकर लातेहार से धनबाद लाकर स्टेशन पर लाकर छोड़ देती है। हालांकि इसके पीछे मां की मज़बूरी आर्थिक लाचारी बतायी जा रही है। रेल पुलिस बच्चों को रोते देख उनसे पूछताछ कीऔर उन बच्चो को अपने साथ ले गई और सीडब्ल्यूसी (बाल कल्याण समिति) के समक्ष प्रस्तुत किया।
मौसी से लिपटकर खूब रोए बच्चे
यहां पूछताछ में बछ्चो ने तोतली बोली में बस इतना ही बता पाए कि मां ने उन्हें स्टेशन पर छोड़ दिया। बच्चों के तोतले शब्दों का सहारा लेकर सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष उत्तम मुखर्जी ने लातेहार, बालूमाथ, खेलारी में बच्चों के जानने वालों की तलाश शुरू कराई। आखिरकार सफलता मिली और खेलारी स्थित मानकी कोलियरी क्षेत्र से बच्चों के दादा, दादा के भाई, बालूमाथ से मौसी, राय बाजार से रिश्ते के चाचा सभी धनबाद पहुच गये। बच्चे मौसी को देखत ही दोनों बच्चे उससे लिपट कर फूट- फूट कर रोने लगे।
बाल कल्याण समिति ने बच्चों को लेकर दी अहम जानकारी
परिजनों ने बाल कल्याण समिति को बताया कि बच्चों के पिता सामू उरांव का निधन पहले ही बीमारी से हो चुका है। उस वक्त दोनों बच्चे कॉन्वेंट में पढ़ते थे। पिता की मौत के बाद मां शराब पीने लगीऔर दूसरे घरों में काम कर परिवार चलाती है। सायद आर्थिक तंगी के कारण मां ने ऐसा किया होगा। सीडब्ल्यूसी ने बच्चों को उनके दादा को सौंप दिया। अध्यक्ष उत्तम मुखर्जी ने बताया कि खेलारी पुलिस को बच्चों की मां की तलाश करने को कहा गया है।