L19 DESK : मानसून सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को विपक्ष के हंगामे के बीच पेसा कानून के सवाल पर लंबी बहस हुई। सत्ताधारी दल झामुमो के विधायक लोबिन हेंब्रम ने खनन लीज से पहले ग्राम सभा नहीं किए जाने को लेकर सरकार को घेरा। सत्ता पक्ष के ही विधायक दीपक बिरुआ ने उनका साथ दिया। उन्होंने कहा कि 1996 में पेशा कानून बना। इस कानून में प्रावधान किया गया कि 1 साल के अंदर राज्य सरकार इसकी नियमावली बना ले। नहीं बनने पर अनुसूचित क्षेत्र में पेशा कानूनी स्वतः लागू माना जाएगा। उन्होंने सरकार और उच्च अधिकारी जिम्मेदार बताया और सदन में जवाब मांगा।
सत्ताधारी झामुमो के विधायक लोबिन हेंब्रम ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि जब राज्य में पेसा कानून को लेकर राज्य सरकार अब तक नियमावली बनने की प्रक्रिया में ही है, तो कैसे और किस नियम से ग्राम सभा की गई और लीज का आवंटन किया जा रहा है। लोबिन हेंब्रम ने दावा किया की लीज आवंटन में ग्राम सभा की सहमति नहीं ली जा रही है। उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि राज्य में खनिज संपदा की लूट हो रही है। नियमावली बनने तक खनिज संपदा का दोहन बंद करने की मांग उठाई।
मंत्री बादल पत्रलेख ने जवाब देते हुए कहा कि पहले और वर्तमान सरकार में ग्राम सभा के बाद ही लीज का आवंटन हुआ है। पंचायती राज विभाग ने पेसा कानून की नियमावली का प्रारूप बना कर सार्वजनिक किया है। सदस्य जहां ग्राम सभा नहीं होने की शिकायत उपलब्ध कराएंगे वहां जांच की जाएगी और चलते सत्र में सरकार जवाब देगी। उन्होंने उन प्रावधानों का भी उल्लेख किया जिसके तहत ग्राम सभा की प्रक्रिया की जा रही है। उन्होंने कहा इतना ही नहीं पूर्व और वर्तमान सरकार में लीज दिया गया है। संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने यहां तक कह दिया कि सदस्य के अगल – बगल में भी ग्राम सभा कर लीज दिया गया है। सदस्य ने जिस मित्र को देने को कहा था उनको भी दिया गया है।