L19 DESK : राज्य के विभिन्न जिलों से लापता होने के बाद 18 वर्ष से कम उम्र के 768 नाबालिग लड़का और लड़की ट्रेसलेश हो गये हैं। यह आंकड़ा वर्ष 2015 से लेकर 2022 के अंत तक का है। इस दौरान राज्य के विभिन्न जिलो से 4765 नाबालिग लापता हुए थे। इनके लापता होने के संबंध में पुलिस के पास शिकायत भी पहुंची थी, लेकिन इनमें से उक्त आठ वर्षों के दौरान 3997 लोग बरामद किये गये। जबकि 768 लोग अब भी लापता है। जिनके बारे में अब तक कोई सुराग नहीं मिला पाया। पुलिस के आंकड़े के अनुसार, राज्य में प्रत्येक साल 500 से अधिक तो कभी 400 से अधिक नाबालिग लापता होते हैं। लेकिन प्रत्येक साल 80 और कभी- कभी 100 से ज्यादा नाबालिग ट्रेसलेश रह जाते हैं।
एनसीआरबी के 2021 के आंकड़े के मुताबिक, 123 लोगों को बलपूर्वक काम कराने के लिए अपहरण किया गया था। जबकि चार का शारीरिक शोषण और वेश्यावृत्ति के लिए। वहीं दूसरी ओर 108 लोगों की मानव तस्करी घरेलू काम के लिए, नौ लोगों की मानव तस्करी बलपूर्वक शादी के लिए की गयी थी। आकड़ों कर द्वारा स्पष्ट है कि राज्य में लापता बच्चों का मामला साल दर साल गंभीर बनता जा रहा है। भीख मांगने के लिए बच्चों की मानव तस्करी की जाती है। वर्ष 2022 के आकड़ों के अनुसार, राज्य में सबसे ज्यादा 122 बच्चे जमशेदपुर जिला से लापता हुए थे। जबकि गुमला जिला से 52, लोहरदगा से 36, चाईबासा से 39, रांची से 29 और पलामू से 46 बच्चे लापता हुए थे। इस तरह पूरे राज्य से 694 नाबालिग लापता हुए थे। जिसमें 262 लड़के और 432 लड़कियां थीं। हालांकि बरामद सिर्फ 560 लोगों को किया गया। जबकि 134 लोग ट्रेसलेश ही रह गये।
झारखंड में मानव तस्करी के लिए आठ सालों में 4765 नाबालिग लापता हुए
वर्ष- लापता लड़का- लापता लड़की- कुल लापता- बरामद लड़की- बरामद लड़का- कुल बरामद, ट्रेसलेश
· 2015-244-363-607-202-309-511-96
· 2016-204-296-500-164-252-416-84
· 2017-239-297-536-197-258-455-81
· 2018-253-315-568-209-260-469-99
· 2019-286-290-576-239-254-493-83
· 2020-210-387-597-171-344-515-82
· 2021-204-483-687-177-401-578-109
· 2022-262-432-694-210-350-560-134
कुल- 1902-2863-4765-1569-2428-3997-768