L19 DESK : मेदांता रांची हॉस्पिटल ने पहली बार ट्रांसकेथेटर आओर्टिक वाल्व इंप्लाटेशन विधि से वाल्व प्रत्यारोपित कर बुजुर्ग मरीज की जान बचाई। झारखंड में पहली बार मेदांता रांची हॉस्पिटल ने ट्रांसकेथेटर आओर्टिक वाल्व इंप्लाटेशन विधि का प्रयोग कर आओरटिक वाल्व स्टेनोसिस का इलाज, पुराने (खराब), छतीग्रस्त वाल्व को हटाए बिना एक नया वाल्व लगाकर मिनिमल इनवेसिव प्रकिया द्वारा किया गया। 23 नवंबर, रांची मेदांता रांची के कार्डियक साइंस टीम के डॉक्टर द्वारा प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया कर हृदय रोगों से जुड़े मुद्दों पर बात की। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए डाक्टरों ने बताया कि मेदांता रांची इलाज के साथ लोगों को हृदय रोगों से जुड़े खतरों के बारे में जाकरूक करता है। विभिन्न माध्यमों से पैदा की गई जागरूकता हृदय रोगियों को उनकी स्थिति को खराब होने से बचाने और हृदय को स्वस्थ जीवन शैली जीने में मदद करती है।
हृदय रोगों के कई रूपों को स्वस्थ जीवन शैली विकल्पों के साथ रोका या इलाज किया जा सकता है, जबकि अन्य के लिए दवा या सर्जरी की आवश्यकता होती है। दिल की बीमारियों का जल्दी पता चलने पर इलाज आसान होता है। मेदांता अस्पताल अक्सर इस बड़ी समस्या से निपटने के लिए हृदय रोगों के बारे में प्रचार-प्रसार करने में अग्रणी रहा है।सभी हृदय संबंधी आपात स्थितियां जैसे कार्डियक अरेस्ट, तीव्र हृदय विफलता, कार्डियक अतालता, अस्थिर एनजाइना और विकारों को पूरा करना।
इस मौके पर मेदांता रांची के कंसलटेंट कार्डियोलॉजिस्ट डा. मुकेश अग्रवाल ने एक अनोखा और अद्वितीय मेडिकल स्थिति की जानकारी देते हुए कहा कि मेदांता रांची के डाक्टरों ने एक मरीज़ का सफल इलाज किया। यह झारखंड में पहला केस, जहां बिना सर्जरी के मरीज के दिल के वाल्व को बदला गया है। उन्होंने बताया कि यह इलाज का एक बहुत ही एडवांस फॉर्म है, जिसमे ट्रांसकेथेटर आओर्टिक वाल्व इंप्लाटेशन पद्धति का इस्तेमाल किया गया है।
मेदांता रांची के कंसलटेंट कार्डियोलॉजिस्ट डा. मुकेश अग्रवाल ने बताया कि मरीज उनके पास कुछ समय पहले आई थी। मरीज को रात में सोने में काफी दिक्कत होती है, उनकी सांस भी फूलने लगती थी। मरीज की समस्या को सुनने के बाद पहले उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया। डाक्टरों को चेकअप के दौरान पता चला कि मरीज को सीवियर कैल्सीफिक एसिस यानी यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज के दिल का एक वाल्व सूख जाता है,जिसकी वजह से खून के प्रवाह में दिक्कत आती है। मरीज को इसकी वजह से अक्सर बेहोशी, सांस लेने में दिक्कत और थकावट होती थी। इसके साथ ही उन्हें बाएं वेंट्रिकुलर डिसफंक्शन भी था यानी उनका दिल कमजोर हो चुका था। इसलिए मरीज को अक्सर दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
मरीज की समस्या को देखते हुए डाक्टरों की एक टीम का गठन किया गया । डाक्टरों ने समझा कि क्योंकि मरीज का दिल कमजोर है इसलिए कोई रिस्क नहीं लिया जा सकता, उनका इलाज इस तरह से करना होगा उनका दिल सुरक्षित भी हो जाए और उन्हें कोई तकलीफ भी ना हो। मेदांता रांची के कंसलटेंट कार्डियोलॉजिस्ट डा. मुकेश अग्रवाल ने बताया कि इस वाल्व को बदलने के दो तरीके थे – एक सर्जरी के माध्यम से और दूसरा नस के माध्यम से वाल्व का प्रत्यारोपन करना ।
काफी सोचने के बाद यह निर्णय लिया गया कि दूसरा तरीका अपनना चाहिए क्योंकि दिल कमजोर और सर्जरी की वजह से मरीज की जान को खतरा भी हो सकता है। डाक्टरों की टीम ने 14 नवंबर को Tavi पद्धति के माध्यम से इलाज किया, जिसमें मरीज के नस के माध्यम से वाल्व का प्रत्यारोपन किया गया। जिसके बाद मरीज पूरी तरह से स्वास्थ है।
इस मौके पर मेदांता रांची के डायरेक्टर विश्वजीत कुमार ने कहा कि हमारी कोशिश होती है विभिन्न हृदय रोगों से पीड़ित रोगियों के लिए हृदय देखभाल की सुलभ और किफायती सुविधाएं प्रदान करे। उन्होंने कहा कि मेदांता रांची में कॉम्प्रिहेंसिव कार्डियक केयर टीम उपलब्ध है। इसके बारे में और जानकारी देते हुए उन्होंने बतलाया, मेदांता रांची में कॉम्प्रिहेंसिव कार्डियक केयर की विश्वस्तरीय प्रशिक्षित मेडिकल टीम है, उन्होंने इसकी अहमियत पर प्रकाश डाला और यह भी बताया की मेडिकल टीम इमरजेंसी कार्डियक संबंधित समस्याओं के लिए 24*7 सुविधाएं उपलब्ध है इसके अलावा जन्मजात हृदय रोग तथा वयस्कों के अति जटिल हृदय संबंधित समाधान आधुनिक मेडिकल सुविधाओं के साथ उपलब्ध है, मेदांता रांची में हृदय रोग संबंधित समस्याओं के लिए झारखंड की सबसे बड़ी कॉम्प्रिहेंसिव कार्डियक केयर टीम में से एक है।