L19 DESK : खरना का अर्थ होता है शुद्धिकरण। आज, खरना के दिन तन और मन की शुद्धिकरण पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस दिन छठ माता की पूजा के लिए प्रसाद बनाने की परंपरा है जिसमें महिलाएं उपवास रखती हैं। फिर शाम के समय गुड़ और चावल की खीर व रोटी बनाकर खरना किया जायेगा। खरना का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर तैयार किया जाता है। इस प्रसाद को व्रती महिलाएं सबसे पहले ग्रहण करती हैं। उसके बाद प्रसाद को परिजनों में बांट दिया जाता है।
आज भगवान सूर्य की पूजा की जाएगी। खरना के प्रसाद को लेकर कई नियमों का पालन किया जाता है। खीर ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का व्रत शुरू हो जाता है।
इस वर्ष खरना क्यों है खास
चैती छठ के दूसरे दिन 26 मार्च को खरना है। इस दिन प्रीति योग, आयुष्मान योग और रवि योग बने हैं। प्रीति योग प्रात:काल से लेकर रात 11 बजकर 33 मिनट तक है, उसके बाद से आयुष्मान योग प्रारंभ होगा। इस दिन रवि योग दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से है, जो अगले दिन प्रात: 06 बजकर 18 मिनट तक है।
खरना पर कई शुभ योग भी बन रहे हैं। इस दिन कृतिका नक्षत्र का प्रभाव रहेगा और साथ में प्रीति और रवि योग भी रहेगा। चैती छठ की खास बात यह है कि इसे नवरात्रि के छठवें दिन मनाया जाएगा और इस दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाएगी। जबकि नहाय खाय के दिन देवी कूष्मांडा, खरना के दिन स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। छठ व्रत को सबसे कठिन व्रत माना जाता है। मान्यता है कि नियमों का पालन करते हुए जो भक्त छठ माता की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं माता पूरी करती हैं।