L19 DESK : शराब व्यापारी योगेंद्र तिवारी ने पाल रखे थे गुर्गे, जो प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर की करते थे रेकी। जी हां, हम बात कर रहे हैं झारखंड के सबसे बड़े शराब सिंडिकेट का। इसके सरगना योगेंद्र तिवारी और सजायाफ्ता प्रेम प्रकाश हैं। इन दोनों की जोड़ी ने झारखंड में नयी उत्पाद नीति लागू करने में सक्रिय भूमिका निभायी है। इतना ही नहीं अपने गुर्गों के जरिये इडी दफ्तर पर नजर रखने, झारखंड सरकार के वित्त मंत्रालय और उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग को सेट करने में भी इनकी महति भूमिका है।
छत्तीसगढ़ सिंडिकेट की वजह से इन्होंने पर उत्पाद विभाग में अपनी पैठ जमायी। वैसे भी पूर्ववर्ती सरकारों की सेटिंग की वजह से इन्हें अपनी गोटी सेट करने में ज्यादा समय नहीं लगा। जब नयी उत्पाद नीति को लेकर राजस्व पर्षद ने आपत्ति कर उत्पाद विभाग को फाइल लौटा दी, तब इस जोड़ी ने वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के बेटे रोहित उरांव से सेटिंग करा कर वित्त विभाग की मंजूरी दिला ली। इसके एवज में मोटी रकम का लेन-देन हुआ। फिर सरकार ने छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) को सलाहकार नियुक्त करा लिया।
कंसलटेंट कंपनी के परामर्श पर मई 2022 में नयी उत्पाद नीति पूरे झारखंड में लागू कर दी गयी और पांच साल से चली आ रही पुरानी शराब नीति को रद्द कर दिया गया। जिसमें झारखंड स्टेट बीभरेज कारपोरेशन लिमिटेड के माध्यम से दुकानों में शराब की खेप पहुंचायी जाती थी और शराब की खेप से जुड़े ट्रांसपोर्टेशन पर नजर रखी जाती थी। इडी ने योगेंद्र तिवारी को 23 और 24 अगस्त की छापेमारी के बाद 26 अगस्त को क्षेत्रीय कार्यालय में बुलाया था। इडी के सवालों में योगेंद्र तिवारी उलझ कर रह गये। अब उन्हें फिर 28 अगस्त को बुलाया गया है।
योगेंद्र तिवारी के भाई अमरेंद्र को इडी ने 29अगस्त को बुलाया है। इडी ने दस्तावेज गायब करने के कारणों से जुड़े सवाल भी योगेंद्र तिवारी से पूछा पर वह चुप्पी साधे रहे। पूछताछ के बाद ईडी ने देर रात में उन्हें छोड़ दिया। उन्हें सोमवार को दोबारा पूछताछ के लिए बुलाया गया है। ईडी ने समन जारी कर योगेंद्र तिवारी और अमरेंद्र तिवारी दोनों ही भाइयों के पूछताछ के लिए 26 अगस्त को हाजिर होने का निर्देश दिया था। अमरेंद्र के नहीं आने का कारण पिता जी का बीमार होना बताया। ईडी ने समन के आलोक में हाजिर हुए योगेंद्र तिवारी से पूछताछ की।
छापेमारी के दौरान ईडी को योगेंद्र तिवारी के ठिकानों से उनकी व्यापारिक गतिविधियों का लेखा-जोखा से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं मिला है। पूछताछ के दौरान उनसे दस्तावेज हटाने के कारणों की जानकारी मांगी गयी। लेकिन, उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया। ईडी ने उन्हें पूछताछ के समय अपनी व्यापारिक गतिविधियों से जुड़े दस्तावेज लाने को कहा था। ईडी के निर्देश पर तीन थैलियों में भर कर कुछ कागजात लाये थे।

