L19 DESK : झारखंड के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में इन दिनों एक तिकड़ी काम कर रही है। यह तिकड़ी न सिर्फ विभागीय मंत्री को भी हसीन सपने दिखा रही है, बल्कि कई तरह की गलत कार्यों को भी अंजाम दे रही है। सूत्रों का कहना है कि इसके सूत्रधार विभागीय मंत्री के सरकारी आप्त सचिव अमित कुमार हैं। अमित कुमार वही शख्स हैं जिनके बारे में रांची के अखबारों में पहले सुर्खियां छपती रहती थीं। ये नामकुम अंचल, कांके अंचल के अंचलाधिकारी भी रह चुके हैं। रांची के एसडीओ भी थे। एयरपोर्ट विस्तारीकरण के लिए अधिगृहित की गयी जमीन के गलत मुआवजा वितरण मामले में भी इन पर लोकायुक्त में कई मामले चले थे। अब ये कल्याण मंत्री चंपाई सोरेन के पीए हैं। बताया जाता है कि इनकी पहल पर ही आइएएस के श्रीनिवासन को अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का विभागीय सचिव बनाया गया है। इससे पहले यहां पर हिमानी पांडेय सचिव थीं।
अब हिमानी पांडेय केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। आइएएस के श्रीनिवासन का नाम खान एवं भूतत्व विभाग के सचिव के रूप में उछला था, जब एकाएक उन्हें लातेहार डीसी से खान विभाग का सचिव बना दिया गया। के श्रीनिवासन के समय बालू घाटों से बालू का अवैध उठाव तथा सिंकनी कोलियरी से कोयले के उठाव को लेकर निकाली गयी निविदा में सरकार की फजीहत होने का आरोप लगा था। इसके बाद इनकी जगह पूजा सिंघल को खान एवं भूतत्व विभाग का सचिव बनाया गया था। अब फिर से अबू बकर सिद्दीक खान एवं भूतत्व विभाग के सचिव हैं, जो के श्रीनिवासन के आने से पहले भी विभाग के प्रमुख थे। जानकारी के अनुसार मंत्री के पीए अमित कुमार ने जनजातीय कल्याण आयुक्त कार्यालय (टीडब्ल्यूसी) में उप निदेशक के पद पर साहेबगंज के जनजातीय विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक सुनील कुमार सिंह की पोस्टिंग करा दी।
इसके लिए नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए विभागीय सचिव के स्तर पर ही अधिसूचना जारी कर दी। टीडब्ल्यूसी के उप निदेशक का पद अपर समाहर्ता स्तर और झारखंड सचिवालय कैडर के उप सचिव स्तर का पद है। जबकि जनजातीय विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक का पद संयुक्त सचिव स्तर का है। यानी एक ऐसे अधिकारी को टीडब्ल्यूसी लाया गया, जिसके लिए अपर समाहर्ता रैंक के किसी अधिकारी को प्रतिनियुक्त किया जा सकता था। पर साइकिल का टेंडर, कल्याण विभाग के आवासीय स्कूलों, आश्रम स्कूलों समेत 450 से अधिक छात्रावासों के मेंटेनेंस, नये भवनों के निर्माण के मामले में सेटिंग-गेटिंग करने के लिए सुनील कुमार सिंह को रांची लाया गया है। यहां बताते चलें कि नियमित प्रभार सुनील कुमार सिंह का साहेबगंज है। वहां पर जनजातीय विकास की कई योजनाएं सरकार चलाती है। अब वहां के अधिकारी रांची के टीडब्ल्यूसी कार्यालय में सचिव के द्वारा भेजी गयी सभी संचिकाओं को देखते हैं। उस पर टिप्पणी करते हैं। फिलहाल सरकार की तरफ से चार सालों से लंबित साइकिल योजना को अमली जामा पहनाने की कोशिश की जा रही है।
एक वर्ष में साइकिल खरीद के लिए 120 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाता है। चार वर्षों से साइकिल सरकार की तरफ से नहीं बांटी गयी है। मतलब साफ है 480 करोड़ की साइकिल की निविदा को फाइनल करने से कईयों के वारे-न्यारे हो जायेंगे। इसके अलावा अब कल्याण विभाग के स्कूलों में हाई मास्ट लगाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है। टीडब्ल्यूसी कार्यालय में एक दर्जन से अधिक सेवानिवृत कर्मियों को प्रतिनियुक्त किया गया है। इन्हें महीने में 70 से 75 हजार रुपये का मानदेय दिया जायेगा। बताया गया है कि ये अपने-अपने फील्ड के मास्टर हैं। इन्हें उपरोक्त तिकड़ी ही संचालित करेगी। कुल मिला कर देखा जाये, तो अगले वर्ष नवंबर से पहले विधानसभा चुनाव होना है। इससे पहले लोकसभा चुनाव 2024 भी मई के पहले होना तय है। सरकार की तरफ से 35 से अधिक स्थानीय निकायों का चुनाव भी कराया जाना है। तीन चुनावों को देखते हुए विकास कार्य के लिए सरकार के पास काफी कम समय है। यानी अभी से लेकर फरवरी 2024 तक। फिर मई 2024 से अक्तूबर 2024 तक का समय है।
रिपोर्ट : दीपक कुमार