
L19 DESK : झारखंड हाई कोर्ट में नगर निकायों में नक्शे स्वीकृति में पैसों के खेल मामले में कोर्ट के स्वत: संज्ञान की गुरुवार को सुनवाई हुई। अदालत ने रांची नगर निगम में नक्शा स्वीकृति पर लगी रोक फिलहाल हटा दी है। अदालत ने रांची नगर निगम में नक्शा स्वीकृति पर रोक हटाते हुए झारखंड सरकार को कई आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए हैं। जिसके तहत भवनों के नक्शा की स्वीकृति की प्रक्रिया 30 दिनों के अंदर पूरी कर लेनी है।
झारखंड सरकार को ओर से सुनवाई के दौरान कहा गया की नक्शा स्वीकृति की कार्यप्रणाली में बदलाव किया गया है। नक्शा स्वीकृति की प्रक्रिया से लोगों की परेशानी को देखते हुए शिथिल किया गया है। नक्शा स्वीकृति के लिए कई चरणों में काम किया जाएगा। नक्शा स्वीकृति के लिए सबसे पहले ऑनलाइन तरीके से मैप की जांच की जाएगी।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एस चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने गिफ्ट डीड से संबंधित लाल चिंतामणि नाथ शहदेव एवं राधिका शादियों की हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई के लिए 30 जून की तारीख तय की है। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा एवं ज्ञानरंजन नाथ यादव ने पैरवी की। वही रांची नगर निगम की ओर से प्रशांत कुमार सिंह एवं एलसीएन सहदेव ने पैरवी की।
बता दें की इससे जुड़ी रांची के स्थानीय अखबार में खबर छपी थी, जिस पर अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया था। अदालत ने इस मामले को एलपीए 132 / 2012 के साथ टैग करने का आदेश दिया था। गौरतलब है कि 20-30 रुपए प्रति वर्ग फीट चढ़ावा, तब पास होता है नक्शा शीर्षक से यह खबर छपी हुई है। इसमें कहा गया है की झारखंड के नगर निकायों में नक्शा स्वीकृति के लिए अधिकतम शुल्क 8 रुपया प्रति वर्ग फीट है लेकिन निकायों में तय शुल्क के अलावा 30 रुपए प्रति वर्ग फीट तक चढ़ावा देकर नक्शा की स्वीकृति लिया जाता है। नगर निकायों में नक्शा स्वीकृति के हर चरण पर रिश्वत की रकम फिक्स कर दी गई है।
