L19/Bokaro : जिला के नावाडीह प्रखंड में इन दिनों डोरी (कोंडी) का तेल ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यह तेल किसानों के रोजमर्रा की जीवनशैली का हिस्सा बना है। खाद्य तेल के रूप में किसान लोग कोंडी तेल का प्रयोग करते है। तेल निकालने वाले मिलों में इन दिनों काफी व्यस्तता देखी जाती है। किसान महुआ के फल (कोंडी) को जमा कर इसका तेल निकाल रहे हैं। किसान लोग 20 से 50 लीटर तक तेल निकालते है। सरसों तथा अन्य खाद्य तेल की महंगाई के इस दौर में गरीबों के लिए कोंडी का तेल ग्रामीणों तथा मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए एक सहारा बना है। ग्रामीणों ने बताया कि महुआ का पेड़ ग्रामीणों के लिए हर तरह से वरदान साबित हो रहा है। एक तरफ जहां इसके फूल को बेचकर किसान अच्छी आय प्राप्त करते हैं, वहीं दूसरी तरफ इसके फल से अच्छी मात्रा में तेल प्राप्त करते है।
नावाडीह प्रखण्ड के पोखरिया पंचायत अंतर्गत बंशी गांव का युवा किसान खेमलाल महतो ने बताया कि कोंडी का तेल लगभग हर घरों में खाने के तेल के रूप में प्रयोग करते है। केमिकल रहित और औषधीय गुणों से भरपूर तथा कम कीमत होने के कारण लोग इसे खरीदकर भी उपयोग करते हैं। तेल मिल के संचालक ने बताया कि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कोंडी के तेल का उपयोग होता है। लगभग एक महीने तक कोंडी का तेल निकालने का समय लगता है। मिल मालिक ने बताया कि किसानों को तेल निकलने के लिए कोई पैसा नहीं लगता। इसके एवज में लोग कोंडी की खल्ली छोड़ जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इस तेल में काफी कम फैट होता है, साथ ही इसमें औषधीय गुण भी होते हैं। इसके तेल से त्वचा रोगों में निजात मिलता है और गठिया, सिरदर्द, पेटदर्द तथा बवासीर के इलाज में भी इस तेल का उपयोग किया जाता है।