L19 DESK : चुनाव कोई भी जीते आदिवासी समाज को तो हारना निश्चित है। आजादी के बाद से अब तक आदिवासी समाज हार रहा है, लुट- मिट रहा है। क्योंकि किसी भी पार्टी और नेता के पास आदिवासी एजेंडा और एक्शन प्लान नहीं है। अंततः अभी तक हम धार्मिक आज़ादी से वंचित हैं।अतः फिलवक्त सरना धर्म कोड आंदोलन केवल धार्मिक आजादी का आंदोलन नहीं बल्कि भारत राष्ट्र के भीतर आदिवासी राष्ट्र के निर्माण का आंदोलन भी है।
आदिवासी हासा, भाषा, जाति, धर्म, रोजगार, इज्जत, आबादी और संविधान – कानून प्रदत्त अधिकारों को बचाने का आंदोलन है। 75 वर्षों की आजादी के बावजूद कांग्रेस और भाजपा ने हमे सरना धर्म कोड नहीं दिया। अब भी देना नहीं चाहते हैं तो हम क्यों इनका साथ देंगे? प्रधानमंत्री का उलिहातू दौरा और महामहिम राष्ट्रपति का बारीपदा दौरा भी बेकार ही साबित हुआ है। अतः सेंगेल का नारा है आदिवासी समाज को बचाना है तो पार्टियों की गुलामी मत करो, समाज की बात करो और काम करो। मगर जो सरना धर्म कोड देगा आदिवासी उसको वोट देगा।”
बता दे कि आदिवासी सेंगेल अभियान द्वारा सरना धर्म कोड मान्यता के लिए 30 दिसंबर 2023 को भारत बंद की घोषणा कर चुकी है। इसे जन आंदोलन बनाने के लिए 2011 की जनगणना में 50 लाख सरना धर्म लिखाने वाले प्रकृति पूजक आदिवासियों और सभी सरना धर्म कोड समर्थक नेता और संगठनों से भी सहयोग की अपील कि गई।