L19 DESK : आज भारत को आजाद हुए 76 साल पूरे हो गये हैं। इस आजादी को पूरे देशभर में अमृत महोत्सव का स्वरूप दिया जा रहा है। साल 1947 में 15 अगस्त की रात को भारत देश आखिरकार 200 सालों की गुलामी से मुक्त हो गया था। 200 सालों तक भारत में अंग्रेजों ने राज किया। इसके बाद इसे पूर्णतः आजादी मिल गयी। इसी के साथ अखंड भारत का बंटवारा भी हुआ था। हिंदुस्तान का एक टुकड़ा अपनी माटी से अलग होकर पाकिस्तान कहलाया। क्या हुआ था उस रात, आजादी की खुशी और देश के बंटवारे के बीच भारत की क्या स्थिति थी? और आखिर 200 सालों की गुलामी से देश आजाद कैसे हुआ?
साल 1946 का था जब ब्रिटेन (अब इंगलैंड) की लेबर पार्टी की सरकार का राजकोष हाल ही में समाप्त हुए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद खस्ता हालत में था। तब अंग्रेजों को एहसास हुआ कि न तो उनके पास घर पर जनादेश था, और न ही अंतर्राष्ट्रीय समर्थन। इस वजह से वे तेजी से बेचैन होते भारत को नियंत्रित करने के लिए देसी बलों की विश्वसनीयता भी खोते जा रहे थे। इसके बाद आया फ़रवरी 1947 जब तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने ये घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार जून 1948 से ब्रिटिश भारत को पूर्ण आत्म-प्रशासन का अधिकार प्रदान करेगी।
मगर अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण की तारीख को आगे बढ़ा दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच लगातार विवाद के कारण अंतरिम सरकार का पतन हो सकता है। उन्होंने सत्ता हस्तांतरण की तारीख के रूप में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी सालगिराह 15 अगस्त को चुना। ब्रिटिश सरकार ने भारत को दो राज्यों में विभाजित करने के विचार को 3 जून 1947 को स्वीकार कर लिया। ये भी घोषित किया कि उत्तराधिकारी सरकारों को स्वतंत्र प्रभुत्व दिया जाएगा और ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने का पूर्ण अधिकार होगा। फिर आया 14 अगस्त 1947 का दिन जब पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस घोषित हुआ और पाकिस्तान नामक नया देश अस्तित्व में आया। मुहम्मद अली जिन्ना ने कराची में पहले गवर्नर जनरल के रूप में शपथ ली। भारत की संविधान सभा ने नई दिल्ली में संविधान हॉल में 14 अगस्त को 11 बजे अपने पांचवें सत्र की बैठक की। सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने की। इस सत्र में जवाहर लाल नेहरू ने भारत की आजादी की घोषणा करते हुए ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ नामक भाषण दिया।
15 अगस्त 1947 भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया। महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लोगों ने काफी हद तक अहिंसक प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में हिस्सा लिया। स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हुआ। विभाजन के बाद दोनों देशों में हिंसक दंगे भड़क गए और सांप्रदायिक हिंसा की अनेक घटनाएं हुईं। विभाजन के कारण मनुष्य जाति के इतिहास में इतनी ज्यादा संख्या में लोगों का विस्थापन कभी नहीं हुआ। यह संख्या तकरीबन 1.45 करोड़ थी। 1951 में हुई भारत की जनगणना के अनुसार, विभाजन के एकदम बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गये और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए।
लाखों मुस्लिम, सिख और हिन्दू शरणार्थियों ने स्वतंत्रता के बाद तैयार नयी सीमाओं को पैदल पार कर सफर तय किया।पंजाब, जहां सीमाओं ने सिख क्षेत्रों को दो हिस्सों में विभाजित किया, वहां बड़े पैमाने पर रक्तपात हुआ। बंगाल और बिहार में भी हिंसा भड़क गयी पर महात्मा गांधी की उपस्थिति ने सांप्रदायिक हिंसा को कम किया। नई सीमाओं के दोनों ओर 2.5- 10 लाख लोग हिंसा में मारे गए। पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा था। वहीं, गांधी जी नरसंहार को रोकने की कोशिश में कलकत्ता में रुक गए।
संविधान सभा के सदस्यों ने औपचारिक रूप से देश की सेवा करने की शपथ ली। महिलाओं के एक समूह ने भारत की महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया और औपचारिक रूप से विधानसभा को राष्ट्रीय ध्वज भेंट किया। आधिकारिक समारोह नई दिल्ली में हुई, जिसके बाद भारत एक स्वतंत्र देश बन गया। नेहरू ने प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण किया, और वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पहले गवर्नर जनरल के रूप में अपना पदभार संभाला। महात्मा गांधी के नाम के साथ लोगों ने इस अवसर को मनाया। गांधी ने, हालांकि, खुद आधिकारिक घटनाओं में कोई हिस्सा नहीं लिया। इसके बजाय, उन्होंने हिंदू और मुसलमानों के बीच शांति को प्रोत्साहित करने के लिए कलकत्ता में एक भीड़ से बात की, उस दौरान ये 24 घंटे उपवास पर रहे। 15 अगस्त 1947 को सुबह 11 बजे संघटक सभा ने भारत की स्वतंत्रता का समारोह आरंभ किया, जिसमें अधिकारों का हस्तांतरण किया गया। जैसे ही मध्यरात्रि की घड़ी आई, भारत ने अपनी स्वतंत्रता हासिल की और एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया।
इस तरह से भारत को लंबे संघर्षों के बाद अपनी आजादी प्राप्त हुई। और आज इस आजादी को 76 वर्ष पूरे हो चुके हैं। और देश भर में इसे धूमधाम से मनाया जा रहा है।