L19 DESK : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक माने जाने वाले जेफ्री हिंटन भी इसे बहुत बड़ा खतरा मानते है। हिंटन ने एआई से पैदा होने वाले खतरों के बारे में आगाह करते हुए कहा कि यह देखना मुश्किल है कि आप बुरे लोगों को बुरी चीजों के लिए एआई इस्तेमाल करने से कैसे रोक सकते हैं। जेफ्री हिंटन ने कहा- हमने जिस तकनीक को विकसित किया, वह आने वाले समय में इंसान से ज्यादा बुद्धिमान हो जाएगी, गलत इस्तेमाल होने की भी आशंका है।
हिंटन ने सोमवार को गूगल को दिए इस्तीफे की पुष्टि करते हुए कहा कि हमने जिस तकनीक को विकसित किया है, उससे इंसानों को कई खतरे हो सकते हैं। उन्होंने जीवनभर इस तकनीक पर काम करने के लिए पछतावा जताया और कहा कि अगर वह इस पर काम नहीं करते तो कोई और करता। उनके मुताबिक, जैसे-जैसे कंपनियां एआई तकनीक में सुधार कर रही हैं, उन्हें लगता है कि खतरा बढ़ता जा रहा है।
जेफ्री हिंटन कौन है ?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के जनत जेफ्री हिंटन को टोरंटो यूनिवर्सिटी में डीप लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क में अपने काम के लिए जाना जाता है। उन्होंने 1970 में कैम्ब्रिज से एक्सपेरिमेंटल साइकोलॉजी में बीए और 1978 में एडिनबर्ग से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पीएचडी की है। ससेक्स और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में काम किया। मेलन विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस के फैक्ल्टी मेंबर रहे।
कैनेडियन इंस्टीट्यूट में एडवांस्टड रिसर्च फेलो रहे। 1998 से 2001 तक यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में गैट्सबी कम्प्यूटेशनल न्यूरोसाइंस यूनिट में तीन साल काम किया। 2013 से वह माउंटेन व्यू और टोरंटो में गूगल के लिए काम करते रहे। उन्होंने नई पीढ़ी की तकनीक कही जाने वाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को विकसित करने में हिंटन ने अहम योगदान दिया। कंप्यूटर के क्षेत्र में क्षेत्र कार्य करने और कई तकनीकों को विकसित करने के लिए जेफ्री हिंटन को कंप्यूटिंग का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।