L19 Desk : हजारीबाग सदर के पूर्व एसडीओ अशोक कुमार आखिरकार 44 दिनों के बाद रांची से गिरफ्तार कर लिये गये हैं। पत्नी को जलाकर मारने के आरोप में पूर्व एसडीओ पुलिस की जद में आ गये। गिरफ्तारी के डर से एसडीओ साहब भागे भागे फिर रहे थे, उन्होंने रांची में ही अपने दोस्त के यहां शरण ले रखी थी। रांची के जगन्नाथपुर इलाके के एक पार्क में बीते कल जब वह मास्क और टोपी लगाये टहल रहे थे, उसी दौरान लोहसिंघना थाना प्रभारी संदीप कुमार की टीम ने उन्हें उठा लिया, और हिरासत में ले लिया। खबर है कि उन्होंने एक शख्स को पैसे लेने के लिये पार्क बुलाया था, इसी दौरान हजारीबाग पुलिस की टीम ने उन्हें अरेस्ट कर लिया।
ऐसे आये पूर्व एसडीओ पकड़ में
पूर्व एसडीओ अशोक कुमार की गिरफ्तारी की संभावना पहले ही बन रही थी। बीते दिनों अशोक कुमार के जीजा, भांजा और बड़े भाई से भी पूछताछ हुई थी, जिनके ज़रिये उनके पिता दुर्योधन साव का सुराग मिला, दुर्योधन साव इस मामले में नामजद अभियुक्त हैं। वह अपने ससुराल सलैया गांव में थे, इस दौरान पुलिस टेक्निकल सेल की मदद से उन तक पहुंची, और उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ शुरु कर दी।
दुर्योधन साव से कई मोबाइल नंबर की जानकारी मिली, जिसके माध्यम से वह अपने बेटे से बात किया करते थे। मोबाइल नंबर के जरिये आखिरकार हजारीबाग पुलिस पूर्व एसडीओ अशोक कुमार को देर शाम करीब सवा 7 बजे अरेस्ट कर पाने में कामयाब रही। गिरफ्तारी के बाद उन्हें हजारीबाग ले जाया गया है और आज उन्हें कोर्ट में पेश किया जायेगा।
क्या है पूरा मामला ?
आपको बता दें कि हजारीबाग सदर अनुमंडल के पूर्व एसडीओ अशोक कुमार पर अपनी पत्नी अनीता कुमारी को जलाकर मार डालने का आरोप है। बीते 26 दिसंबर को तत्कालीन एसडीओ के आवास में अनीता कुमारी संदिग्ध अवस्था में बुरी तरह जल गयी थी। इलाज के दौरान 28 दिसंबर को मौत हो गयी थी। मामला सामने आने के बाद से ही तत्कालीन एसडीओ अशोक कुमार पर शक के घेरे में आ गये थे, क्योंकि मृतका के भाई राजू कुमार गुप्ता ने अपने जीजा पर पत्नी को जान से मारने की साजिश रचने जैसा संगीन आरोप लगाया था। राजू गुप्ता का कहना था कि एसडीओ अशोक कुमार घर पर तारपीन लेकर आये, और पत्नी के शरीर में छिड़ककर उसे आग के हवाले सौंप दिया।
राजू का आरोप था कि एसडीओ का किसी अन्य महिला के साथ अवैध संबंध है। इस वजह से वह पत्नी को प्रताड़ित करते थे। इससे पूर्व अनीता ने खुद भी अपने पति पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराया था। इसमें पति अशोक कुमार, ससुर, देवर और देवरानी को नामजद बनाया गया था।
बार-बार बदला गया अस्पताल
आग में झुलसने से अनीता का शरीर 65 से 70 फीसदी तक जल गया था, जिसके बाद उन्हें बचा पाना नामुमकिन था। हालांकि, माना जाता है कि उनकी जान बचायी जा सकती थी, अगर सही समय पर और सही अस्पताल में उनका इलाज होता, अशोक कुमार ने पत्नी अनीता कुमारी को पहले हजारीबाग के आरोग्यम अस्पताल में भर्ती कराया। यहां पर लगभग एक घंटे तक चली जांच के बाद प्राथमिक इलाज किया गया। इसके बाद उन्हें बोकारो के बीजीएच में रेफर कर दिया गया। यहां के बर्न यूनिट में इलाज चला।
इसके बाद अनीता कुमारी को रांची के मेडिका अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां कई घंटों तक इलाज के बाद आखिरकार उन्हें रांची में बर्निंग के लिये सबसे मशहूर देवकमल हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। मतलब, 48 घंटों में चार बार हॉस्पीटल बदले गये, एक जगह स्थिर इलाज नहीं होने दिया गया, आने जाने में वक्त ज़ाया हुआ, अनीता कुमारी की हालत और बिगड़ती चली गयी। आरोप ये भी है कि इन सभी अस्पतालों में तत्कालीन एसडीओ अशोक कुमार ने अपना धौंस दिखाते हुए कोई भी काग़ज़ी कार्रवाई नहीं होने दी। इतनी बड़ी बर्न की घटना को पुलिस तक नहीं पहुंचने दिया गया। पुलिस में एफआईआर मृतका अनीता कुमारी के भाई राजू गुप्ता ने ही दर्ज करवाई थी, जिसके आधार पर मामले में जांच पड़ताल चल रही है।
कई दिनों से गायब थे अशोक कुमार
इस घटना को लेकर हजारीबाग शहर में मृतका के परिजनों और स्थानीय लोगों ने तत्कालीन एसडीओ के खिलाफ कई घंटों तक लोहसिंगना थाने का घेराव और प्रदर्शन किया था। गिरफ्तारी की आशंका होते ही अशोक कुमार ने हजारीबाग कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका डाल दी थी, जो बाद में खारिज हो गयी थी।
मामला तूल पकड़ने के बाद से ही अशोक कुमार गायब हो गये थे। यहां तक कि वह अपनी पत्नी के अंतिम संस्कार के दौरान भी अनुपस्थित रहे। यह घटना सामने आने के बाद से झारखंड सरकार ने उन्हें इस पद से हटाकर रांची में प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग भेज दिया था। इस विभाग में पोस्टिंग होने के बाद वह लगातार छुट्टी पर चल रहे थे। आखिरकार अशोक कुमार को 44 दिनों के बाद गिरफ्तार कर लिया गया हो।