L19 DESK : झारखंड के पूर्व राज्यपाल रमेश बैस महाराष्ट्र के गवर्नर बनाए गए और यहां से 17 फरवरी को महाराष्ट्र चले गए। चलते चलते झारखंड राजभवन का एपल का लैपटॉप और मैकबुक भी ले गये। इधर दो महीने से ज्यादा का समय बीत गया, लेकिन उन्होंने लैपटॉप और मैकबुक अभी तक नहीं लौटाया है।बताते चले कि इसे करीब छह माह पहले सरकारी पैसे से पूर्व राज्यपाल रमेश बैस के लिए खरीदा गया था। इस पर करीब ढाई लाख रुपए से ज्यादा खर्च हुए थे। इधर नए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने अपना कार्यभार संभालते ही सबे पहले राजभवन में बेवजह के खर्चों पर रोक लगा दी और न्यूनतम खर्च करने का सख्त आदेश जारी किया। इस आदेश के बाद राजभवन प्रबंधन ने रमेश बैस को पत्र लिखकर लैपटॉप और मैकबुक लौटाने का आग्रह किया है, लेकिन अब तक इसका कोई जवाब नहीं पूर्व राज्यपाल कि ओर से नही आया है। नए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के झारखंड आते ही राजभवन की व्यवस्था पूरी तरह से बदल गई है।
उन्होंने फिजूलखर्ची पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। नतीजा यह हुआ कि सरकारी खर्च करीब 75% तक घट गया है। राधाकृष्णन की पत्नी आर सुमति ज्यादातर चेन्नई में रहती हैं। वे या उनके परिवार के सदस्य जब भी झारखंड आते हैं तो उनकी हवाई यात्रा का खर्च राज्यपाल खुद उठाते हैं। यहां तक कि एयरपोर्ट से उन्हें लाने के लिए स्कॉट नहीं, बल्कि सिर्फ एक गाड़ी भेजी जाती है। सीपी राधाकृष्णन अपने मोबाइल का खर्च भी खुद के वेतन से करते हैं। हर अतिरिक्त खर्च खुद उठाते हैं। हाल ही में उन्होंने राजभवन में तीन दिवसीय पूजा अनुष्ठान का आयोजन किया था। इसके लिए भी उन्होंने सरकारी पैसे का उपयोग नहीं किया, बल्कि खुद 10 हजार रुपए देकर सामान मंगवाया। रमेश बैस ने को-टर्मिनस के आधार पर अलग-अलग काम के लिए 18 निजी कर्मचारी रखे थे।
इन सभी कर्मचारियों के वेतन का भुगतान सरकारी कोष से होता था। इनमें तीन रायपुर, चार दिल्ली और 11 राजभवन में कार्यरत थे। वहीं वर्तमान राज्यपाल ने अब तक अपना पीए तक नहीं रखा है। सीपी राधाकृष्णन ने हाल ही में बालागुरु स्वामी को अपना एकेडमिक एडवाइजर नियुक्त किया है। कई विश्वविद्यालयों के वीसी, यूपीएससी के सदस्य और शिक्षा क्षेत्र में कई अहम पदों पर रहे बालागुरु स्वामी इसके लिए कोई वेतन नहीं लेंगे। उन्होंने कहा है कि 10-15 दिनों पर जब भी वे सलाह देने या विश्वविद्यालयों का निरीक्षण करने रांची आएंगे, उनके लिए सिर्फ एक गाड़ी और रहने-खाने की व्यवस्था करा दी जाए। एक दिन राजभवन में प्रशाखा पदाधिकारी की खोज हुई पर कोई नहीं मिला। इस पर राज्यपाल महोदय ने तत्काल वहां तैनात पांचों प्रशाखा पदाधिकारियों की सेवा राज्य सरकार को लौटा दी। हालांकि उनकी जगह पांच नए अफसरों की नियुक्ति कर दी गई है। सारे कुक और सुरक्षा में तैनात डीएसपी व स्पेशल ब्रांच के सभी पुलिस अधिकारी भी बदल दिए गए हैं। महामहिम को जूता पहनाना अर्दलियों की खास आदत रही है। लेकिन, राधाकृष्णन ने आते ही सख्त आदेश जारी कर दिया। कहा- अगर किसी ने उनका जूता उठाया तो सस्पेंड कर दिए जाएंगे।