RANCHI : झारखंड हाईकोर्ट ने केंद्रीय मनोरोग संस्थान (CIP), कांके की जमीन पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है. अदालत ने कहा है कि CIP की 147 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण किया गया है, जो बेहद गंभीर मामला है और इससे सरकारी संपत्ति की सुरक्षा पर सवाल खड़े होते हैं.
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हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान सामने आया कि CIP के पास कुल 376.222 एकड़ भूमि दर्ज है, लेकिन अधिकारियों के शपथ पत्र के अनुसार केवल 229.29 एकड़ जमीन ही वास्तविक कब्जे में बताई गई है. शेष लगभग 147 एकड़ भूमि का स्पष्ट विवरण नहीं दिया गया, जिस पर अदालत ने गहरी चिंता व्यक्त की.
अधिकारियों की भूमिका पर उठे सवाल
कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि प्रस्तुत शपथ पत्र में सिर्फ मुख्य गेट के पास अतिक्रमण का जिक्र किया गया है, जबकि बाकी भूमि की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई. निरीक्षण के दौरान CIP के प्रतिनिधि मौजूद थे, लेकिन वे यह स्पष्ट नहीं कर पाए कि अतिक्रमण किन-किन हिस्सों में है. बाद में हस्ताक्षर कर अतिक्रमण स्वीकार किया गया, लेकिन उसका पूरा विवरण अदालत को नहीं दिया गया.
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चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संबंधित अधिकारियों को चार सप्ताह के भीतर विस्तृत और स्पष्ट जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. अदालत ने यह भी कहा कि मामले में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगली सुनवाई 27 जनवरी को निर्धारित की गई है.
जनहित याचिका पर हो रही सुनवाई
यह मामला एक जनहित याचिका के तहत सामने आया है, जिसमें CIP कांके की जमीन से अतिक्रमण हटाने और सरकारी भूमि की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की गई है. अदालत ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ जमीन का मामला नहीं, बल्कि सरकारी संस्थानों की संपत्ति की रक्षा से जुड़ा गंभीर विषय है.
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हाईकोर्ट की इस सख्ती के बाद अब सबकी निगाहें राज्य और केंद्र सरकार की कार्रवाई पर टिकी हैं कि क्या अतिक्रमण हटाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाते हैं या नहीं.
