L19/DESK : क्या सदन में टोपी पहनना गुनाह है? ऐसा मेरा नहीं रांची विधायक सीपी सिंह का मानना है। दरअसल झारखंड विधानसभा का छठा सत्र इन दिनों खूब चर्चा में है जहां आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। इसी आरोप प्रत्यारोप के दौरान रांची विधायक सीपी सिंह ने मंत्री चमरा लिंडा पर तंज कसते हुए उन्हें पहचानने से ही इनकार कर दिया।
वीडियो वायरल होते ही मंत्री चमरा लिंडा सहित आदिवासी समाज काफी आहत महसूस कर रहे हैं। दरअसल आदिवासियों का मानना है कि CP सिंह ने जानबूझकर एक आदिवासी मंत्री का मजाक उड़ाने का काम किया है और उनके द्वारा किए गए तंज, कहीं ना कहीं आदिवासी दलित समाज को हीन भावना से देखने की मानसिकता दिखती है। हालांकि विधायक CP सिंह के जवाब में मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि मैं बीते 15 सालों से टोपी पहन रहा हूं और आप मुझे अच्छी तरह से पहचानते भी हैं। लेकिन आप मुद्दों से भटकाने के लिए इस तरह की बातें कर रहे है।
खैर जो भी हो इस तरह से एक आदिवासी मंत्री का सदन के अंदर मजाक उड़ाना वह भी उनके पहनावा पर कहीं से भी उचित नहीं लगता। उचित इसलिए नहीं लगता क्योंकि झारखंड की पहचान ही आदिवासी राज्य के रूप में की जाती है जहां आदिवासियों की अलग संस्कृति रीति-रिवाज, परंपरा और पर्व त्यौहार पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करती है। ऐसे में एक आदिवासी मंत्री का इस तरह से अपमान,कहीं ना कहीं गलत है।
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दे चमरा लिंडा आदिवासी समाज के एक बड़े नेता है, जो छात्र जीवन से राजनीति शुरू करते हुए तीन बार के विधायक रहते हुए वर्तमान में झारखंड सरकार के अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री के तौर पर कार्यरत हैं। चमरा लिंडा हमेशा आदिवासियों के लिए खड़े रहने वाले अग्रणी नेताओं में गिने जाते हैं, ऐसे में इस नेता को नहीं पहचाना कहीं ना कहीं आदिवासी समाज को नहीं पहचानने के बराबर माना जा रहा है। यही कारण है कि आदिवासी समाज रांची विधायक सीपी सिंह के द्वारा दिए गए बयान का विरोध कर रहे हैं।
वैसे क्या विधायक सीपी सिंह के द्वारा दिया गया बयान कहीं से भी उचित है? सोचिये जब मंत्री चमरा लिंडा एक सम्मानित पद पर रह कर भी जब ऐसे मानसिकता से नहीं बच पर रहे, तो आम लोगों का क्या हाल होता होगा.खासकर जब व्यक्ति आदिवासी हो? आप इस पर क्या सोचते हैं आप हमें कम्नेट कर जरुर बताएं।