L19/Ranchi : राजधानी के गौशाला न्यास समिति की जो जमीन को 20 वर्ष पहले डीएवी नीरजा सहाय स्कूल को लीज पर दी गयी थी, उस स्कूल के मैनेजिंग कमेटी में खुद शत्रुध्न लाल गुप्ता शामिल हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि गौशाला न्यास समिति ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए इन्होंने डीएवी नीरजा सहाय स्कूल के नाम से डीएवी मैनेजमेंट कमेटी को जमीन दी। यह जमीन देने के बाद डीएवी नीरजा सहाय स्कूल मैनेजमेंट कमेटी भी बनी। इसमें भी ये शामिल हो गये। इतना ही नहीं वर्तमान में गौशाला न्यास समिति के महासचिव प्रदीप राजगढ़िया भी स्कूल मैनेजमेंट कमेटी में हैं।
इसके अलावा प्राचार्य किरण यादव, डीएवी गांधीनगर के प्राचार्य और अन्य शामिल हैं। लोकतंत्र 19 ने गौशाला न्यास समिति की जमीन की अवैध खरीद-बिक्री मामले की कई खबरें प्रकाशित की हैं। बताते चलें कि गौशाला की रांची में 100 एकड़ से अधिक जमीन कांके अंचल, शहर अंचल और अन्य जगहों पर है। गौशाला का मुख्यालय अभी भी किशोरगंज स्थित गौशाला न्यास समिति है। यहां पर अब भी गायों को पालने के अलावा गौशाला विकास से संबंधित सभी कार्य किये जाते हैं। रांची गौशाला को मिली जमीन अधिकतर दान की जमीन है।
सबसे अधिक बुधिया परिवार के लोगों ने गौशाला समिति के लिए जमीन दी। पर न तो न्यास बोर्ड में न तो कार्यसमिति में परिवार के लोगों को कोई पद दिया गया। गौशाला की तरफ से लिये जानेवाले गलत फैसलों का भी आज भी कई परिवार समर्थन नहीं करते हैं, क्योंकि सिर्फ जमीन खरीद-बिक्री का ही मामला हो। इसमें कार्यसमिति के सभी सदस्यों की राय तक नहीं ली जाती है। सिर्फ कुछ लोगों के कहने पर ही बड़े-बड़े कांड हो रहे हैं। गौशाला समिति के दो ट्रस्ट हैं। एक न्यास बोर्ड ट्रस्ट है, जिसके अध्यक्ष टिंबर व्यवसायी रतन जालान हैं। दूसरी कार्यकारिणी समिति है, जिसके अध्यक्ष प्रेमसंस मोटर्स के संचालक पुनीत पोद्दार हैं। कार्यकारणी के पदधारियों में प्रदीप राजगढ़िया, प्रमोद सारस्वत समेत पांच से छह लोग हैं। जबकि ट्रस्ट बोर्ड के न्यासियों में राजकुमार केडिया, सतीश तुलस्यान, सज्जन चौधरी, रतन जालान और अन्य शामिल हैं।
गौशाला का निबंधन भी दो तरह से किया गया है, एक सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत किया गया है। गौशाला को होनेवाली आमदनी का सारा हिसाब किताब रतन जालान न्यासी बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर रखते हैं। इसके अलावा मिलनेवाले चंदे का हिसाब भी वही रखते हैं।