L19 DESK : ग्रामीण इलाकों में बगैर पंजीकृत फार्मासिस्टों के दवाई दुकान संचालित करने संबंधी अपना फैसला वापस लेने के लिए पीसीआई ने झारखंड सरकार से अपील की है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को लिखे पत्र में पीसीआई अध्यक्ष डॉ. मोंटू कुमार पटेल ने कहा है कि पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन की अधिसूचना फार्मेसी अधिनियम-1948 और फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा, ”मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि पूर्वी सिंहभूम जिले के जिला प्रशासन की 13 जून, 2023 की हालिया अधिसूचना को वापस लें और जनहित में झारखंड में फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015 लागू करें।”
पीसीआई अध्यक्ष ने कहा कि पूर्व में फार्मेसी में कोई ज्ञान या शिक्षा नहीं रखने वाले किसी भी व्यक्ति के फार्मेसी के पेशे में आने पर कोई प्रतिबंध नहीं था। उन्होंने कहा, हालांकि इस तरह की गैर-नियमित कार्यप्रणाली से लोगों के स्वास्थ्य को बहुत नुकसान हुआ। इसी के मद्देनजर, फार्मेसी के पेशे और कार्यप्रणाली को विनियमित करने के लिए फार्मेसी अधिनियम, 1948 बनाया गया था। डॉ. पटेल ने कहा कि फार्मेसी अधिनियम की धारा 42 में कहा गया है कि ”पंजीकृत फार्मासिस्ट के अलावा कोई भी व्यक्ति चिकित्सक के नुस्खे पर किसी भी दवा को मिश्रित, तैयार, मिश्रण या बिक्री नहीं करेगा और जो कोई भी इसका उल्लंघन करेगा उसे छह महीने की सजा या इसके साथ एक हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकती है।” डॉ पटेल ने कहा कि उक्त धारा के स्पष्ट प्रावधान को पहले ही उच्चतम न्यायालय और इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखा जा चुका है और यह 1984 से पूरे देश में लागू है।