L19 DESK : प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती, यह कहीं भी जन्म ले सकती है। उत्तर प्रदेश के रहनेवाले राम बाबू ने बुधवार को होंगझूऊ (चीन) में हो रही 19वें एशियाई खेल के 35 किलोमीटर रेस वाक में ब्रॉन्ज़ पदक जीत कर यह सिद्ध कर दिया। इससे पहले राम बाबू ने राष्ट्रीय खेल में पुरुषों की 35 किलोमीटर रेस-वॉक स्वर्ण पदक जीतकर एक नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड कायम किया था। राम बाबू को ये सफलता रातों-रात मिली है, इसके पीछे उनका कठिन संघर्ष छुपा है। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें वेटर से लेकर मनरेगा मजदूर के रूप में काम करना पड़ा। वे अपने वेटर के काम को अपने जीवन का काला अध्याय मानते हैं।
उनके अनुसार, इस काम के दौरान लोग उनका काफी अपमान करते थे।राम बाबू के अनुसार, उनकी मां आज भी चार किलोमीटर पैदल चलकर पानी लेने जाती हैं। भारत के पैदल चाल खिलाड़ी मंजू रानी और राम बाबू ने बुधवार को यहां एशियाई खेलों की 35 किमी मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। महिला और पुरुष स्पर्धाओं में राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक मंजू और राम बाबू ने कुल पांच घंटे 51 मिनट 14 सेकेंड के समय के साथ तीसरा स्थान हासिल किया। चीन (पांच घंटे 16 मिनट 41 सेकेंड) को स्वर्ण जबकि जापान (पांच घंटे, 22 मिनट 11 सेकेंड) को रजत पदक मिला।
राष्ट्रीय खेल में 35 किलोमीटर रेस वाक को राम बाबू ने दो घंटे 36 मिनट और 34 सेकेंड में पूरा किया था, जो एक नया रिकॉर्ड है। इस श्रेणी में पिछला रिकॉर्ड हरियाणा के जुनैद खान के नाम दर्ज था, उन्होंने दो घंटे 40 मिनट और 16 सेकेंड में 25 किलोमीटर रेस-वॉक पूरी की थी। राम बाबू ने राष्ट्रीय खेल में रेस का खिताब जीतने के बाद कहा, “मैं अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी ऐसे प्रदर्शन को दोहराने के लिए कड़ी मेहनत करता रहूंगा। अच्छा लगता है जब एक खिलाड़ी के रूप में आपको इतना सम्मान मिलता है और जब लोग आपको प्रोत्साहित करते हैं।”उन्होंने आगे कहा, “मैं ओलंपिक और एशियाई खेलों के लिए क्वालीफाई करना चाहता हूं। सफलता पाने के लिए आपको खुद पर विश्वास होना चाहिए। हर महत्वाकांक्षा की एक कीमत होती है।”