L19/RANCHI : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम सांसद दीपक प्रकाश ने राज्यसभा में अतारंकित सवालों के माध्यम से देश में पिछले कुछ वर्षों में उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग के कारण तेजी से बढ़ते भूजल प्रदूषण एवम सरकार द्वारा भूजल प्रदूषण को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी चाही।
रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग से देश में तेजी से बढ़ते भूजल प्रदूषण पर पूछे सवाल
सदन में प्रकाश के सवालों का जवाब देते हुए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा वार्षिक रूप से पूरे देश में भूजल गुणवत्ता डाटा की निगरानी की जाती है। और क्षेत्रीय स्तर पर भूजल गुणवत्ता डाटा भी तैयार किया जाता है।
बताया कि ये आंकड़े देश के कतिपय भागों में पृथक पॉकेटों में बी आई एस सीमाओं से परे क्लोराइड नाइट्रेट,लोहा और भारी धातुओं जैसे संदूषकों की मौजूदगी दर्शाते हैं।
बताया कि भूजल संदूषण प्रकृति में अधिकांशतया जियोजेनिक है और पिछले कुछ वर्षों से कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं दर्शाता है। तथापि कुछ क्षेत्रों में विशेष तौर से आवासीय क्षेत्रों के आसपास नाइट्रेट संदूषन देखा गया है। यह संदुषण नाइट्रोजन से युक्त उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग के कारण भी हो सकता है।
पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा भूजल प्रदूषण को रोकने केलिए उठाए गए कदम की जानकारी चाही
चौबे ने बताया कि जल, राज्य का विषय है। विभिन्न राज्यों द्वारा इस संबंध में अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा भी देश में भूजल गुणवत्ता सुधार,संदूषण के उपचार को सुविधाजनक बनाने के लिए जो कदम उठाए गए हैं उनमें सी जी डब्लू बी के पास उपलब्ध भूजल गुणवत्ता डाटा को साझा करना, अन्वेषण केलिए सी जी डब्लू बी द्वारा कुओं का निर्माण, भू जल में आर्सेनिक जैसे विषैले पदार्थों द्वारा संदूषण सहित भूजल गुणवत्ता की अवस्थिति पर विशेष ध्यान देना।
साथ ही पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश राज्यों के आर्सेनिक प्रभावित भागों में आर्सेनिक सुरक्षित अनवेषनात्मक कुओं का निर्माण करना है।
इसके अलावा भूजल प्रदूषण को रोकने और संदूषित जल के सुरक्षित उपयोग सहित भूजल के विभिन्न पहलुओं पर जागरूकता सृजन कार्यक्रम, कार्यशालाएं आयोजित करना भी शामिल है।
बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों ,प्रदूषण नियंत्रण समितियों के सहयोग से जल में प्रदूषण नियंत्रण एवम निवारण केलिए देश में जल (प्रदूषण निवारण/नियंत्रण)अधिनियम 1974 एवम पर्यावरण (संरक्षण)अधिनियम 1986के प्रावधानों का कार्यान्वयन किया जा रहा है।