
L19/Hazaribagh : हजारीबाग के रहने वाले स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के डायरेक्टर अरुण कुमार सिन्हा का बुधवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह 61 वर्ष के थे और काफी समय से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। उनके बारे में एक अहम बात ये है कि वह मार्च 2016 से वर्तमान तक प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री के सुरक्षा का दायित्व निभाने वाले एसपीजी के निदेशक के रूप में कार्यरत थे। वह 1987 के केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी थे, जो प्रधानमंत्री की सुरक्षा विंग के प्रभारी थे।
अरुण कुमार सिन्हा की जीवनी
अरुण हजारीबाग के रहने वाले थे और उनके पिता भारतीय सेना में थे। उन्होंने हिंदू स्कूल हजारीबाग से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की थी। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिये उन्होंने संत कोलंबस कॉलेज में दाखिला लिया औऱ बीएससी जंतु शास्त्र विषय की पढ़ाई की। इसके पश्चात साल 1987 में उनका भारतीय पुलिस सेवा में चयन हुआ और इन्हें केरल कैडर आवंटित हुआ। इसके शुरुआती दौर में वह केरल के दो तीन जिलों में आरक्षी अधीक्षक एवं त्रिवेंद्रम और कोचिंग के पुलिस कमिश्नर भी रहे। उसके बाद डीआईजी- आईजी के रूप में भी काम किया। वर्ष 2009 से 2014 तक बीएसएफ में आईजी के रूप में गुजरात फ्रंटियर में पदस्थापित रहे, फिर केरल वापस आए और 2016 तक एडीजी का कार्यभार संभाला।
अरुण कुमार सिन्हा ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को ई-मेल से जान से मारने की धमकी और लेटर बम कांड जैसे महत्वपूर्ण मामलों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई थी। सिन्हा को सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक भी मिल चुका है।
निधन का क्या कारण था ?
अरुण कुमार सिन्हा का निधन जॉन्डिस का लेवल बढ़ने से हुआ है। एक सप्ताह पहले जौंडिस जैसी गंभीर बीमारी ने सिन्हा को घेर लिया था। अस्पताल में इनका इलाज चल रहा था। 5 सितंबर को इन्हें वेंटीलेटर में रखा गया था और 6 सितंबर की सुबह करीब 6 बजे इन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। हजारीबाग से उनके छोटे भाई पप्पू सिन्हा दिल्ली जाने के लिए रांची एयरपोर्ट पहुंच गए हैं।
