L19/Ranchi : झारखंड की राजधानी रांची के संत मरिया महागिरजाघर में आर्चबिशप कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो को लेडियानी बेदी में दफनाया जायेगा। संत मरिया गिरजाघर का जब निर्माण हुआ था, उस वक्त महिलाओं के लिए अलग से एक और जगह बनायी गयी थी। इसे लेडियाना बेदी कहा गया, अंग्रेज ईसाई महिलाएं गिरजाघर के आगे बांयीं ओर बैठतीं थी। आर्च बिशप कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो की इच्छा थी कि इसी लेडियानी बेदी में स्थित संत मदर टेरेसा की मूर्ति के नीचे उनको दफनाया जाये।
30 अप्रैल 1933 को बिशप वानहूक एसजे, 24 जुलाई 1960 को बिशप निकोलस कुजूर और 21 मई 1993 को आर्चबिशप पीयूष केरकेट्टा को संत मरिया महागिरजाघर में दफनाया गया है। बुधवार 11 अक्तूबर को आर्चबिशप कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो को संत मरिया महागिरजाघर में सम्मानपूर्वक दफनाया जायेगा। कैथोलिक परंपरा के अनुसार बिशपों के सेवा कार्य को देखते हुए कैथेड्रल यानि महागिरजाघर में ही दफनाया जाता रहा है। पूरी दुनिया में कैथोलिक चर्च की पारंपरिक-प्रथाओं का सम्मान करने के लिए तहखाने अर्थात कब्र का निर्माण किया जाता है।
जहां केवल बिशप को जो विशेष गिरजाघर की सेवा करते थे, वही दफनाये योग्य माने जाते हैं। आर्चबिशप कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो हमेशा से संत मरिया महागिरजाघर की सेवा करते थे, इसलिए उनका दफन भी इसी महागिरजाघर में होगा। स्व फादर कॉन्सटेंट लीवांस की अस्थि अवशेष भी इसी सेंट मरिया कैथेड्रल में रखा गया है। फादर लीवांस को संत घोषित करने के लिए रांची एवं अन्य कलीसिया में लगातार प्राथनाएं की जा रही है।