L19 DESK : कैग रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. लेकिन आखिर खुलासा क्या हुआ है, ये अभी तक बहुत कम लोगों को ही मालूम है. कोरोना काल के दौरान हेमंत सोरेन सरकार ने केंद्र की राशि को पूरा खर्च नहीं किया. बस यही एक जानकारी आप तक पहुंच पायी होगी. कैग की रिपोर्ट आने के बाद सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं, सरकार की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं, मुद्दाविहिन विपक्ष को कैग की रिपोर्ट के जरिये सरकार को घेरने का मुद्दा मिल गया. लेकिन आखिर कैग की रिपोर्ट में क्या है, और हेमंत सोरेन सरकार घेरे में क्यों आ रही है, इसका पता शायद ही आपको चल पा रहा होगा.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने साल 2019 से 2024 वाले कार्यकाल की व्याख्या करते हुए अब तक यही कहते रहे हैं कि हमारी सरकार जब बनी तब कोरोना महामारी ने खलल पैदा कर दिया. इससे सरकार के कई काम काज बाधित हुए. लगभग आधा कार्यकाल कोरोना में ही चला गया. कुल मिलाकर हेमंत सोरेन सरकार अपने पिछले कार्यकाल की नाकामियों को छिपाने के लिये यही दलील पेश करती रही है. लेकिन अब कोरोना महामारी को लेकर जो रिपोर्ट सामने आयी है, उसने झारखंड सरकार पर सवाल खड़े करने को मजबूर कर दिया है. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानि CAG की रिपोर्ट ने झारखंड में राजनीतिक तहलका मचा दिया है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोविड से राहत और चिकित्सा व्यवस्था के लिए केंद्र सरकार ने झारखंड को जो आर्थिक सहायता दी थी, उसका सही तरीके से उपयोग नहीं हुआ.
कोरोना महामारी से निपटने के लिये केंद्र सरकार ने जो राशि झारखंड सरकार को भेजी थी, उस फंड में से केवल 32% ही खर्च किये गये. झारखंड ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन सोसाइटी यानि JRHMS ने मार्च 2020 से मार्च 2022 तक कोविड प्रबंधन के लिए केंद्र द्वारा निर्गत 483 करोड़ 54 लाख में से मात्र 137 करोड़ 65 लाख रुपये ही खर्च किये. अब बाकि बचे पैसों का क्या हुआ, इसका कोई ब्योरा सरकार ने पेश नहीं किया है. नतीजतन, कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य परियोजनाएं अधर में लटकी रह गयीं. जैसे जिला स्तर पर आरटी-पीसीआर LABS की स्थापना नहीं हो पाई, इस कारण जिला अधिकारियों को एकत्र किए गए सैंपल को दूसरे जिलों में भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा. परिणामस्वरूप, जांच रिपोर्ट प्राप्त करने में पांच दिन से लेकर दो माह से अधिक तक की देरी हुई. वहीं, रांची में शिशु चिकित्सा उत्कृष्टता केंद्र नहीं बन सका. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और स्वास्थ्य उपकेंद्र में बुनियादी संरचनाएं विकसित नहीं हो पायीं.
Liquid medical oxygen plants की स्थापना नहीं हो पाई. लेकिन बात यहीं पर खत्म नहीं होती. CAG रिपोर्ट आने के बाद झारखंड के पूर्व मंत्री और वर्तमान जदयू विधायक सरयू राय ने स्वास्थ्य विभाग पर निशाना साधा और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान भी सरकार ने लूट-खसोट से परहेज नहीं किया. सरयू राय ने कहा कि झारखंड सरकार हमेशा केंद्र सरकार पर पैसे न देने का आरोप लगाती है, लेकिन CAG रिपोर्ट ने सच्चाई उजागर कर दी है. कोरोना फंड का सिर्फ 32% उपयोग किया गया, वह भी अनियमितताओं से भरा हुआ है, न सिर्फ कोविड राहत, बल्कि स्वास्थ्य विभाग ने मूलभूत सुविधाओं को लेकर भी गड़बड़ी की है.
उन्होंने बन्ना गुप्ता के कार्यकाल के दौरान घटिया दवाओं की खरीद, रेमडेसिविर की कालाबाजारी और अस्पताल निर्माण में घोटाले के आरोप लगाए. सरयू राय ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग भी की है. वहीं, रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाओं में कमी के साथ-साथ चिकित्सा अधिकारी, स्टाफ, नर्स, पारामेडिकल कर्मियों की भारी कमी है. हालांकि, अब सरकार और सरकार में वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि विपक्ष सिर्फ झूठ फैलाकर राजनीतिक लाभ उठाना चाहती है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर CAG रिपोर्ट में कुछ मुद्दे उठाए गए हैं, तो सरकार उनकी समीक्षा करेगी और आवश्यक सुधार करेगी. हालांकि, रिपोर्ट आने के बाद यहां एक बात तो स्पष्ट है, कि अब भाजपा को कैग रिपोर्ट के ज़रिये हेमंत सरकार पर निशाना साधने का बेहतरीन मौका मिल गया है. वैसे इस रिपोर्ट पर आपकी क्या राय है, ये हमें कमेंट करके जरूर बतायें.