L 19/DESK : जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है भगोड़े नेताओं की भी स्पीड प्लेन से भी ज्यादा तेज हो गई। अब ये भगोड़े नेता 350 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा की स्पीड में एकपार्टी से दूसरे पार्टी में शामिल हो रहे हैं. ये भगोड़े नेता पार्टी बदलने से पहले एक बार भी नहीं सोचते कि उन्हे वोट देने वाली आम जनता क्या चाहती है? क्या इस तरह से अचानक विचारधारा से हटकर दूसरे विचारधारा में शामिल हो जाना आम जनता को मंजूर है? क्या ये भगोड़े नेता कभी इस बात की चिंता भी करते हैं कि उनके साथ जुड़े हजारों लाखों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचती हैं या नहीं? आज हम झारखंड के कुछ ऐसे ही स्वार्थी भगोड़े नेताओं की कुंडलियों को खोजने का प्रयास करते हैं जो चुनाव को अवसर की तरह देखते हैं और टिकट नहीं मिलने पर तुरंत दूसरे पार्टी में पार्टी शामिल हो जाते हैं।
झारखंड में कुल 81 विधानसभा 14 लोकसभा और 6 राज्यसभा की सीट हैं यानी कुल मिलाकर देखें तो राज्य के 101 लोग सांसद विधायक हैं, जो राज्य की विधायिका का संचालन करके नियम कानून बनाते है। चुनाव के वक्त ये नेता आम जनता से बड़े बड़े वादे करते हैं कि मैं तो आम जनता का सेवक हूँ आम जनता ही मेरे भगवान हैं इनके बिना मेरी राजनीति अधूरी है, लेकिन जैसे ही ये नेता चुनाव जीत जाते हैं, पैसा कमा लेते हैं राजनीति में अच्छी पकड़ बना लेते हैं तब इनकी बोल बदल जाती है जो नेता पहले जनता के सामने गिड़गिड़ाते थे वही नेता अब जनता की नहीं सुनता बल्कि जनता को नेता की सुननी पड़ती हैं। अंत मे ये अवसरवादी बन जाते हैं और सिर्फ अपने भविष्य की चिंता करते हैं बाकी जनता जाएं भाड़ में।
इन्हीं भगोड़ों की लिस्ट में सबसे पहले नंबर पर रांची के पूर्व लोकसभा सांसद रामटहल चौधरी आते हैं,हालांकि इन्हें प्रथम लिस्ट में रखना इसलीय जरूरी हो गया है क्यूंकी ये भाजपा से 5 बार के सांसद और 2 बार के विधायक भी रह चुके हैं। पार्टी इन्हे लगातार टिकट देती रही और ये चुनाव जीतते भी रहे,लेकिन पिछले चुनाव में भाजपा ने इसका टिकट इसलिए काटा क्यूंकी माननीय जी अब बुजुर्ग हो गए हैं इसलीये इन्हें अब चुनाव नहीं लड़नी चाहिए। लेकिन साहब कहाँ मानने वाले इन्होंने तुरंत पार्टी छोड़ दी और निर्दलिए चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं सके। अब दो दिन पहले ही कॉंग्रेस पार्टी जॉइन कीये हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि रांची लोकसभा सीट से उम्मीदवार हो सकते हैं।
भगोड़ों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर अगर देखे तो दिसूम गुरु शिबू सोरेन की बड़ी बहु सीता सोरेन आती हैं जिन्होंने बीते दिनों भाजपा जॉइन करते ही झामुमो और सोरेन परिवार पर परिवारवाद का आरोप लगाई कि सोरेन परिवार ने उनके साथ भेदभाव किया है और उन्हे कभी भी बड़ी बहू का मान सम्मान नहीं दिया गया। इस दौरान सीता सोरेन बार बार अपने पति स्व.दुर्गा सोरेन का जिक्र कर रही है। इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर सिंघभूम की पूर्व कॉंग्रेस सांसद गीता कोड़ा आती हैं जिन्होंने हाल ही में भाजपा जॉइन कर ली है। भाजपा जॉइन करते ही मैडम साहिब की बोल भी भगवामय हो गया है। पहले महगठबंधन विचारधारा से लोटपोट थी अब भाजपा के विचारधारा में लीन है। हालांकि इनके भाजपा जॉइन करने से इन्हे कितना फायदा होगा या तो एहइओ जानती है लेकिन इन्हे वोट देने वाले आम जनता का क्या जिन्होंने महागठबंधन विचारधारा से इन्हे वोट दिया था।
इसी कड़ी में भाजपा के मांडू विधायक जेपीभाई पटेल भी आते हैं जो हाल ही में कॉंग्रेस जॉइन करके हजारीबाग लोकसभा से टिकट भी पा गए। हालांकि जेपी भाई पटेल बहुत भरोसे लायक नेता की लिस्ट में कभी नहीं आते क्यूंकी ये व्यक्ति मौसम की तरह ये भी हर बार चुनाव के वक्त इधर से उधर आते जाते रहते हैं। अब कॉंग्रेस आ गए हैं तो गुणगान कॉन्ग्रेसी का ही कर रहे हैं वही पहले भाजपा में थे तो भाजपा का करते थे।
ऐसे छोटे बड़े दर्जनों नेता मिल जाएंगे जो समय के साथ इधर से उधर होते रहते हैं। लेकिन यहाँ सवाल उठता हैं कि आखिर आम जनता की भावना का क्या जो बड़ी उम्मीद के साथ इन भगोड़े नेताओं को वोट देते हैं ताकि इनकी विचारधारा सही हो और राज्य की भला कर सके। लेकिन इसके जस्त उल्टा ये नेता समय के अवसरवादी बन जाते हैं और टिकट के लिए पार्टी बदलना इनके लिए आम हो जाती है। ऐसे भगोड़े नेता जो सीधे सीधे अपने मतदाताओं के भावनाओं के साथ खेलते हैं इन्हे जरा भी जनता की भवनाओं से मतलब नहीं रहता बस मौसम की तरह खुद को खुद के लिए बदल दो,यही इनकी राजनीति बन गई है।