L19 DESK : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ग्रामीण कार्य विभाग के निलंबित मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम और उसके रिश्तेदारों की 39.28 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति जब्त कर ली है। इनके रिश्तेदार आलोक रंजन भी इडी की हिरासत में हैं। पर अब तक आरइओ के कई दागी अफसर और ठेकेदार इडी की कार्रवाई की जद से बाहर हैं। मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के सहयोगियों में विभाग के ही आंतरिक वित्तीय सलाहकार राम कुमार सिन्हा, सभी प्रमंडलों के मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता से लेकर जूनियर इंजीनियर तक का नाम शुमार है। इनके खिलाफ अब तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गयी है। इडी की मानें, तो टेंडर मैनेज करने के नाम पर 125 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति औऱ नगदी वीरेंद्र राम ने अर्जित की।
आरइओ में ठेका दिलाने के नाम पर 1.5 फीसदी से लेकर पांच फीसदी तक का कमीशन लिया जाता था। यानी देखा जाये, तो वीरेंद्र राम ने रांची स्थित मुख्य अभियंता के कार्यालय से 750 सौ करोड़ रुपये से अधिक की निविदा निकाली और इसे मनचाहे ठेकेदारों के बीच रेवड़ियों की तरह बांटा गया। इनमें ग्रामीण विकास मंत्री के करीबी माने जानेवाले ठेकेदार भी शामिल हैं। इन पर अब तक कार्रवाई नहीं की गयी है।
जिन कांट्रैक्टर कंपनियों को कार्य आवंटित किया गया, उस सभी में आंतरिक वित्तीय सलाहकार राम कुमार सिन्हा का हस्ताक्षर है। इसमें मुख्य अभियंता के रूप में वीरेंद्र राम ने भी हस्ताक्षर किये हैं। सरकार की तरफ से 24 फरवरी को वीरेंद्र राम के ठिकानों पर हुई छापेमारी के बाद रामगढ़, दुमका, रांची, साहेबगंज, सिमडेगा, गुमला, लातेहार, पलामू, देवघर और अन्य जगहों के तीन सौ करोड़ की निविदा को रद्द कर दिया गया था। अब दुबारा आरइओ की निविदा निकाली जा रही है। इसमें विधायकों की अनुशंसा से बननेवाली पांच किलोमीटर तक की सड़क, मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना की पुल-पुलिया भी शामिल हैं।