L19 DESK : कोल इंडिया की विभिन्न अनुषंगी कंपनियों में पिछले पांच साल में सबसे कम जमीन बीसीसीएल को मिली है। पांच साल के दौरान बीसीसीएल के लिए भूमि का अधिग्रहण नहीं कर पाया है। बीसीसीएल ने 166.76 एकड़ जमीन कंपनी रैयतों से सीधे खरीदी है। हालांकि 2023 में बीसीसीएल को कुछ जमीन उपलब्ध कराने की विचार हुई है।
जानिए किस कंपनी को कितनी जमीन प्राप्त हुआ
झारखंड में ईसीएल कंपनी को 769.47 एकड़ जमीन उपलब्ध हुआ है। हालांकि राजमहल क्षेत्र में उपलब्ध कराई गई जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। झारखंड के बाहर स्थित कोल कंपनियों मसलन एनसीएल, डब्ल्यूसीएल, एसईसीएलएएमसीएल आदि को जमीन मिलने में बीसीसीएल व ईसीएल की तरह परेशानी में नहीं है।
डब्ल्यूसीएल को पिछले पांच वर्षों में कोयला खनन के लिए लगभग 1800 एकड़ जमीन मिली है। वहीं एसईसील को 3500 एकड़ जमीन प्राप्त हुई है। मंत्रालय की जानकारी के अनुसार कोल कंपनियों को जमीन की उपलब्धता के लिए संबंधित राज्य सरकारों से प्रभावी बातचीत किया जा रहा है।
कोयला कंपनियों के निगरानी के लिए की जा रही है पोर्टल की तैयारी
सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कंपनियों एवं निजी क्षेत्र को आवंटित कोल ब्लॉक के साथ अन्य कंपनियों को आवंटित कैप्टिव माइंस के लिए जमीन एवं अन्य समस्याओं की निगरानी के लिए एक पोर्टल तैयार कर रही है। उक्त पोर्टल के माध्यम से जमीन से संबंधित मामले किस चरण में हैं, इनकी ऑनलाइन निगरानी की जाएगी।
जानकारी के अनुसार झारखंड साथ अन्य कोयला बहुल राज्यों की अब तक, वाणिज्यिक कोयला खदानों की नीलामी के छह चरणों को पूरा किया जा चुका है। कुल 87 कोयला खदानों की नीलामी की जा चुकी है। इन कोल ब्लॉकों की 220.52 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता (एमटीपीए) है। 33,231 करोड़ वार्षिक राजस्व सृजन का अनुमान है। इन कोल ब्लॉकों के लिए भी जमीन अहम मुद्दा है। कोयला मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022-23 के लिए कैप्टिव और वाणिज्यिक कोयला खदानों से 115.77 मिलियन टन कोयला उत्पादन हासिल किया है। यदि आवंटित कोल ब्लॉकों में खनन चालू हो जाता है तो तेजी से घरेलू कोयले का उत्पादन बढ़ेगा। जानकारी के मुताबिक 220.52 मिलियन टन प्रतिवर्ष क्षमता के 87 कोल ब्लॉक आवंटित किए गए हैं, वहीं सातवें ट्रेंच के तहत 106 कोल ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया शुरू की गई है।