• जनजातीय जमीन, गैर मजरुआ खास, गैर मजरुआ मालिक जमीन पर नजरें गड़ायें हैं यहीं के लोग
L19 DESK : झारखंड को झारखंडी ही बरबाद कर रहे हैं। अलग राज्य बनने के बाद झारखंड में सबसे अधिक मामले जमीन की अवैध खरीद-बिक्री के सामने आये हैं। अलग राज्य बनने के 22 वर्ष पूरे हो गये हैं। राज्य के जनजातीय, मूलवासी जमीन की खरीद-बिक्री का रिकार्ड कायम कर रहे हैं।
इसको लेकर लोकतंत्र 19 एक श्रृंखला शुरू कर रहा है, जिसमें यह बताने की कोशिश की जायेगी कि कैसे झारखंड में जमीन की खरीद-बिक्री का घोटाला हो रहा है। सरकार भी इसमें कुछ नहीं कर रही है। जमीन के मामले में देवघर में 1000 करोड़ का जमीन घोटाला सामने आया। अवर निबंधक से लेकर, सीओ, एसडीओ तक फंसे, प्राथमिकी भी दर्ज हुई। मामले की जांच अब सीबीआइ कर रही है।
राजधानी रांची में सबसे अधिक भूमि घोटाला हुआ है। इसमें राजधानी के बड़गांई अंचल, कांके अंचल, हेहल अंचल, रातू अंचल, नामकुम अंचल, बुंडू अंचल में हजारों एकड़ जंगल-झाड़ी की जमीन, गैर मजरुआ खास जमीन, ट्राइबल जमीन की अवैध जमाबंदी अंचल कार्यालय, जमीन बिचौलिये और भूमि सुधार उप समाहर्ता (एलआरडीसी) कार्यालय) के कर्मचारियों की मिलीभगत से हुआ। पर मामला अब भी शांत है।
जमीन कारोबारियों पर शासन-प्रशासन के स्तर से जो कार्रवाई होनी चाहिए थी, वह नहीं हो पा रही है। उदाहरण के तौर पर रांची में संजीवनी बिल्डकोन घोटाला हुआ। फिलहाल इसको लेकर कंपनी के सभी प्रमोटर सलाखों के पीछे हैं। पर घोटाला करनेवाले राजस्व विभाग के तत्कालीन अंचल अधिकारी, तत्कालीन कर्मचारी प्रमोशन लेकर मस्ती कर रहे हैं। इतना ही नहीं अंचलों के तत्कालीन अंचल अधिकारियों पर लगे आरोप लोकायुक्त कार्यालय तक पहुंचे, लेकिन मामला टांय-टांय फिस्स हो गया।
प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से आइएएस अफसर पूजा सिंघल के यहां पिछले वर्ष की गयी छापेमारी के बाद बड़गाई अंचल में भुंईहरी नेचर की खाता 60, 61, 62, 63 की पांच एकड़ से अधिक जमीन को गलत तरीके से बंदोबस्त करने का मामला आया। इसी जमीन पर पूजा सिंघल के पति अभिषेक झा का अस्पताल पल्स भी है। पल्स अस्पताल को इडी की तरफ से औपबंधिक अटैचमेंट किया गया है। इसमें एचडीएफसी बैंक की तरफ से अस्पताल बनाने के लिए दिये गये कर्ज की जांच चल रही है। इसके अलावा यहां पर कई ऐसे बहुमंजिली इमारतें बनी हैं, जो भुंईहरी नेचर की जमीन पर बनी हैं।
तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त नीतिन मदन कुलकर्णी ने बड़गाई मौजा के भुंईहरी नेचर की जमीन की रिपोर्ट भी अंचल कार्यालय से तलब की। इस पर सत्तारूढ़ दल से सटे जमीन ब्रोकरों तथा शासन के कुछ लोगों ने प्रमंडलीय आयुक्त का ही तबादला करा दिया। इसके अलावा बुंडू अंचल में फिल्म सिटी बनाये जाने के नाम पर 15 सौ एकड़ जमीन की फरजी तरीके से खरीद-बिक्री करने की जमाबंदी तो रद्द कर दी गयी। पर इसको कागजी तौर पर अमली-जामा नहीं पहनाया गया।
रातू अंचल में 42 एकड़ जंगल झाड़ी नेचर की जमीन की बंदोबस्ती कर दी गयी। रांची में ही शहरी अंचल के अधीन आनेवाले कोनका मौजा में राय बहादुर एसएन गांगुली की जमीन को एक बड़े व्यवसायी ने खरीद कर अपने नाम कर लिया। तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन ने एक साथ 70 साल का लगान रसीद काट कर जमाबंदी कायम कर दी।
हाईकोर्ट में एक मामला काफी दिनों से चल रहा है। नगड़ी अंचल के खाता 384 की जमीन खरीदनेवालों पर शामत आयी हुई है। जस्टिस केपी देव मामले को देख रहे हैं। यह जमीन पुनदाग में अवस्थित है। इसको लेकर कई बार शासन-प्रशासन ने जमीन खरीदनेवालों की बाउंड्री तुड़वा दी। एक बार फिर पूरे खाता 384 की जमीन की जिला प्रशासन मापी करा रहा है।
रिपोर्ट- दीपक