L19 DESK : झारखंड में अवैध बालू का कारोबार धड़ल्ले से जारी है । इस खेल में सभी जिलों के जिला खनन पदाधिकारियों को एक तय टार्गेट के अनुसार से जेएसएमडीसी के बाबुओं का पेट भरने की जिम्मेवारी दी गयी है। यह जिम्मेवारी जिला के बालू घाटों और अवैध उठाव के तहत तय की गयी है। सूत्रों के अनुसार बालू के खेल में प्रत्येक जिले को न्यूनतम 20 लाख का वसूली का जिम्मा थमाया गया है। इसमें पूर्व में सक्रिय बालू माफिया आसानी से ट्रैक्टरों, हाईवा के जरिये बालू निकाल रहे हैं।
खुले बाजार में ऊंचे दरों पर बालू बेची जा रही है । जेएसएमडीसी के अधिकारी कहते हैं कि महीने का चार करोड़ का राजस्व भी नहीं मिल रहा है। जेएसएमडीसी की यह सारी कारस्तानियों पर जांच एजेंसियों की नजर है । वैसे भी इडी ने रांची, खूंटी, जमशेदपुर, पाकुड़, साहेबगंज, रामगढ़, पलामू, दुमका से अधिक जिलों के जिला खनन पदाधिकारियों से कई दौर की बातचीत भी की है। अभी जांच जारी है। पर बेखौफ जेएसएमडीसी के अधिकारी और कर्मियों पर इडी की जांच का कोई असर नहीं है । बालू खनन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 15 अक्टूबर 2022 को हटा ली गयी थी, इसके बाद भी बालू का खेल जारी है।
सिर्फ राजधानी ही नहीं राज्य के 19 जिलों के बालूघाटों में झारखंड राज्य खनिज विकास निगम की तरफ से संचालन किया जा रहा है। जेएसएमडीसी की तरफ से बालू घाटों का उठाव लोडिंग प्वाइंट तक कराने के लिए सभी संबंधित जिलों के जिला खनन पदाधिकारियों को दे दिया गया है । सरकार की तरफ से माइन डेवलपमेंट आपरेटरों की नियुक्ति अभी तक नहीं की गयी है । गुमला और खूंटी जिले में बालू का उठाव स्थानीय लोगों के विरोध में नहीं हो रहा है ।
जानकारी के अनुसार रांची जिलें के 32 बालू घाटों में से न तो किसी का टेंडर हुआ और न ही किसी घाट पर एमडीओ को लाइसेंस दिया गया है । जानकारी के अनुसार राजधानी के सफी नदी के होयर घाट पर रोजाना सैकड़ों ट्रैक्टर से बालू की खेप भेजी जा रही है, बालू के उत्खनन को लेकर जेसीबी लगाया गया है। सिर्फ इसी घाट से रोजाना 300 ट्रैक्टरों से बालू ढोया जा रहा है। बुढ़मू के छापर घाट से इसी तरह बेरोक-टोक 400 ट्रैक्टर बालू निकाला जा रहा है। सिर्फ रांची में ही सिल्ली, सुवर्णरेखा, बुंडू और तमाड़ के कांची नदी तथा अन्य घाटों से रोजाना करीब दो हजार ट्रैक्टर अवैध बालू का निकाला जा रहा है ।
इनमें दशम के कांची नदी से पांच सौ से अधिक , सोनाहातू से तीन सौ और सिल्ली से करीब दो सौ ट्रैक्टर बालू रोज निकाला जा रहा है। आंकड़ों पर गौर करें तो रोजाना दो लाख सीएफटी से अधिक बालू का खनन कर कारोबारी कर रहे हैं और उसे शहरों में खपाया जा रहा है । अवैध कारोबार की वजह से 18 हजार रुपये का एक हाइवा बालू शहर में करीब 26 हजार रुपए में मिल रहा है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले साल नवंबर में राज्य के सभी डीसी-एसपी के साथ बैठक कर दो टूक कहा था कि किसी भी हाल में अवैध खनन नहीं होनी चाहिए। चाहे वह कोयला हो, बालू हो या पत्थर। सीएम के आदेश के बाद छापेमारी शुरू हुई। कई हाइवा जब्त हुए। तस्करी रुक गई। लेकिन कुछ दिन बाद ही फिर बड़े पैमाने पर बालू की चोरी शुरू हो गई। इसमें झारखंड राज्य खनिज विकास निगम के अधिकारी औऱ कर्मी शामिल हैं।
बालू खनन विभाग के मनीष कुमार एक दागी कर्मी हैं, जो पहले कोल ट्रेडिंग में थे, अब ये बालू का काम देख रहे हैं। पूर्व के बालू माफिया कांट्रैक्ट कर्मी अशोक सिंह को सेवा से बरखास्त कर दिया गया है। उनकी जगह दूसरे को जगह मिली है। कहने को जेएसएमडीसी कहता है कि बालू घाटों से स्टाक यार्ड तक बालू पहुंचाया जाता है, जिसकी देखरेख का जिम्मा जिला खनन पदाधिकारियों के हाथों है।
हर महीने में 20 से 25 लाख का अवैध कारोबार का हिस्सा जेएसएमडीसी तक पहुंच रहा है । सरकारी नियमों के अनुसार बालू घाट से उत्खनन नहीं होना है। जहां भी बालू निकाला जा रहा है या डंप हो रहा है, वह वन क्षेत्र है। वन विभाग को कार्रवाई करनी चाहिए। स्थानीय प्रशासन और थाने को भी रोक लगानी चाहिए।