L19/Bokaro : 1932 खतियान आधारित नियोजन नीति को लेकर पूर्व सांसद व आदिवासी सेंगल अभियान के संस्थापक सालखन मुर्मू ने सरकार और विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए दोनों पक्ष के नेताओं को बंदर की संज्ञा दे डाली है। उन्होंने कहा कि हमारे नेता बंदरों की तरह आए हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि बंदरों के हाथों में नारियल वाली कहावत है, जिसे 1932 खतियान आधारित नियोजन नीति के नारियल को इन बंदरों के द्वारा कभी इसके हाथ कभी उसके हाथ उछाल कर अपनी राजनीति करने में लगे हुए हैं। इस तरह ये यहां के नौजवान और जनता को बेवकूफ बना रहे हैं।
उन्होंने ये बातें बोकारो में “झारखंड बचाओ अभियान” के एक दिवसीय कार्यक्रम में कहीं। नियोजन नीति को लेकर उन्होंने अपना तर्क देते हुए कहा कि झारखंड में बेरोजगारों को नियोजन देना है, तो प्रखंड वार नियोजन नीति लागू किया जाए। झारखंड की सरकारी व गैर सरकारी नौकरियों का 90% हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को दिया जाए। साथ ही, प्रखंड के आवेदकों के लिए प्रखंड वार कोटा तैयार कर जातियों की आबादी के अनुसार उनमें बांट दिया जाए। इससे स्थानीय, नियोजन, आरक्षण व भाषा नीति का लाभ गांव के लोगों को मिलेगा। इसके अलावा अगर कोई भी दूसरी नियोजन नीति तय होगी, तो नियोजन राजधानी में केंद्रित होकर भ्रष्टाचार उत्पन्न करेगी।
उन्होंने आगे कहा कि झारखंड को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर कई आंदोलन हुए। आज, जो शहीदों का सपना था “अबुआ दिशुम अबुआ राज”, वह खत्म हो गया। इसलिए, हम झारखंड बचाओ आंदोलन के तहत लड़ेंगे और प्रखंड वार लोगों को एकजुट करेंगे। इसके तहत हम बहुत जल्द एक आंदोलन शुरू कर सरकार का घेराव करेंगे। जिस तरह से अन्य सरकारी योजनाएं वीडियो के ज़रिए ग्रामीण स्तर तक पहुंचाने का काम करती हैं, उसी तरह का वीडियो ग्रामीणों के लिए प्रखंड वार नियोजन लाने का भी काम करें, नहीं तो कार्यालय पर ताला लगाया जायेगा।