L19/DUMKA : दुमका कन्वेंशन सेंटर, दुमका में द्वितीय दुमका राजकीय पुस्तकालय साहित्य उत्सव का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया। उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक तथा सम्मानित अतिथियों द्वारा बारी-बारी से दीप प्रज्वलन कर दो दिवसीय साहित्य महोत्सव की शुरुआत की। सर्व प्रथम पिछले वर्ष आयोजित की गई प्रथम साहित्य महोत्सव पर आधारित स्मारिका का अथितियों द्वारा बिमोचन किया गया। माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन का संदेश उपायुक्त एवं माननीय दुमका विधायक बसंत सोरेन का संदेश उप विकास आयुक्त ने पढ़ा।
दो दिवसीय 18 एवं 19 मार्च 2023 तक चलने वाले इस उत्सव में देश के कई, संपादक, लेख़क, साहित्यकार एवं पुस्तक प्रेमी भाग ले रहे हैं।
कार्यक्रम के उद्घाटन के उपरांत प्रथम सत्र में “लिखने की प्रेरणा” विषय पर परिचर्चा हुई। सत्र का संचालन फाउंडिंग मदर्स ऑफ द इंडियन रिपब्लिक के लेखक अच्युत चेतन ने किया। उन्होंने दुमका का इतिहास को बताते हुए कहा कि
शेरशाह सूरी जब यहां से गुजर रहें थे तो वह एक जगह पर रुके वहां पर अपने सिपाहियों से कहा कि इस टीले पर चढ़कर देखो कि क्या नजर आ रहा है तो टीले पर चढ़कर सिपाहियों ने कहा कि नीचे एक नदी बह रही है जिसकी आकृति मोर की तरह दिखाई दे रही है जिससे उस नदी का नाम मयूराक्षी पड़ा। और हमारे चारों ओर जो जगह है वह पहाड़ों के दामन में है जिससे इसका नाम दुमका पड़ गया। उन्होंने कहा कि दुमका विस्थापितों का शहर है। यहां की युवक-युक्तियां नौकरी की तलाश में बड़े शहर चले जाते है। लेकिन यहां से काफी साहित्यकार उभरकर आगे भी आए हैं।
सीगल बुक्स प्रकाशन के प्रकाशक नवीन किशोर ने कहा कि मेरी दिक्कत यह है कि मैं जीवन में सब कुछ करना चाहता हूँ मेरी शुरुआत एक मंच पर थिएटर लाइटिंग डिजाइनर के रूप में हुई थी। मैं फिस से जन्म लिया एक प्रकाशक के रूप में, 40 साल से किताबों को प्रकाशित करते आ रहा हूं। इसी बीच हर दिन 14-15 सालों से ,दोस्तों, कवियों एवं खुद के लिए कुछ लिखने का प्रयास भी कर रहा हूं। प्रकाशक होने के कारण कुछ लोग सोचते हैं कि मुझे अपनी प्रकाशन के लिए आसानी हुई होगी लेकिन मुझे भी उतना ही परेशानी हुई जितनी पहली बार किसी लेखक को होती है।
नवीन किशोर ने 1982 में नाटक, फिल्म, कला और संस्कृति अध्ययन से संबंधित पुस्तक मुद्रण के उद्देश्य से सीगल बुक्स की स्थापना की। आज यहां कविता और कथाओं सहित साहित्य के ख्यातिप्राप्त लेखकों के पुस्तक प्रकाशित होते हैं। पॉल सेलन, इंगबोर्ग बैचमैन, जीन-पॉल सार्त्र, थॉमस बर्नहार्ड, इमरे कर्टेज़, यवेस बोनेफॉय, मो यान, महाश्वेता देवी समेत साहित्य क्षेत्र के कई दिग्गजों की पुस्तकें इनके प्रकाशन में मिल जाएंगी।
रवि सिंह नई दिल्ली स्थित एक स्वतंत्र प्रकाशन कंपनी स्पीकिंग टाइगर के प्रकाशक और सह-संस्थापक हैं। इससे पहले, वह पेंगुइन बुक्स इंडिया के प्रकाशक और प्रधान संपादक, एलेफ बुक कंपनी के सह-प्रकाशक और दिल्ली डायरी पत्रिका के संपादक थे।
डॉ. जोसेप बारा ने कहा कि मैं साहित्यकार नहीं हूं मैं थोड़ा बहुत आदिवासी इतिहास पर कार्य करता हूं। आदिवासी इतिहास को मैं एक चैलेंज के रूप में देखता हूं आदिवासी इतिहास में दस्तावेज भरे हुए हैं। आदिवासी के इतिहास के संबंध में दुमका कोर्ट रूम से मुझे बहुत सारी जानकारियां मिली जिसे मैं सोच भी नहीं सकता था। यह सारी दस्तावेजों के आधार पर आदिवासी इतिहास को कोशिश करता हूँ बताने की।
डॉ. जोसेफ बारा, भारतीय दलित अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली के एक संकाय हैं।फुलब्राइट-नेहरू शैक्षणिक और व्यावसायिक उत्कृष्टता फेलो थे और अनुसूचित जनजातियों पर भारत की उच्च स्तरीय समिति (2013-14) के प्रधानमंत्री के सदस्य के रूप में भी कार्य किया।
गीतांजलि श्री ने कहा कि मैं अपने मैं अपने आप को बहुत खुशनसीब मानती हूं कि इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन में सम्मिलित हुई। यहां के जिला प्रशासन को बहुत-बहुत धन्यवाद। उन्होंने कहा कि लेखक के लिए हास्य मध्य होता है लेखक के लिए ऊंची मंजिल पर बैठा कोई लेखक नहीं होता। लेखक को हमेशा उतर कर ही रहना होता है। तभी वह लेखन कर सकेगा। यहां आना मेरे लिए मध्य के आना और जाना है जो लोग बड़े शहर चले गए हैं लंदन, न्यूयॉर्क को अपने शहर से बेहतर जानते हैं। अपने बगल के प्रदेश को नहीं जानते। हमारी सोच और समझ में बहुत बड़ी कमी है। आप लोग उस कमी को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। मेरे लिए यह बहुत बहुमूल्य घड़ी है मैं नहीं आती तो आपका शायद कोई नुकसान नहीं होता लेकिन मेरा बहुत बड़ा नुकसान हो जाता। मैं यहां आप सब से सीखने आई हूं आपसे कुछ लेने आई हूं। लेखन एक तलाश है जो हम पन्नों के जरिए उतारते हैं।
गीतांजलि श्री द्वारा लिखी उपन्यास ‘ रेत समाधि ‘ प्रतिष्ठित 2022 अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित होने वाला पहला हिंदी उपन्यास है।
उनका जन्म गीतांजलि पांडे के रूप में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपनी माँ का पहला नाम ‘श्री’ लिया और इसे अपना अंतिम नाम बना लिया।
उन्होंने अब तक कई लघु कथाएँ और कुल पाँच उपन्यास लिखे हैं। उनकी पहली कहानी ‘ बेल पत्र ‘ (1987) थी, जो साहित्यिक पत्रिका हंस में प्रकाशित हुई थी ।रेत समाधि (2018) उनका पांचवां और नवीनतम उपन्यास है। इन्हें इंदु शर्मा कथा सम्मान पुरस्कार की प्राप्तकर्ता भी रही हैं ।
रज़ा काज़मी ने कहा कि मैं जंगल और जानवरों के बारे में लिखता हूं। उनकी कहानियां कोशिश करता हूं बताने की। मुझे बचपन से ही जंगलों में जाने का और वन्यजीवों संरक्षण के बारे में लिखने का शौक था। उन्होंने कहा कि पिताजी वन विभाग में थे जिसके कारण स्कूल बाद में गया जंगलों पहले गया। वही मैंने सब कुछ सीखा और उसे पन्नों जरिए उतारने की कोशिश की है।
रज़ा काज़मी एक संरक्षणवादी, लेखक, शोधकर्ता और वन्यजीव इतिहासकार हैं। इन्होंने भारत के वन्यजीव और वन प्रशासन के इतिहास, वन्यजीव नीति और उग्रवाद से पीड़ित पूर्व-मध्य भारतीय परिदृश्य को प्रभावित करने वाले संरक्षण के मुद्दों पर बहुत अध्ययन किया है। वह आदिवासी बहुल पूर्व-मध्य भारतीय परिदृश्य में जनजातीय अधिकारों से संबंधित मुद्दों पर भी शोध करते हैं ।
इन्हें 2021 के लिए न्यू इंडिया फाउंडेशन फैलोशिप प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही रज़ा काज़मी चाईबासा, रांची और हजारीबाग में वन रक्षक प्रशिक्षण विद्यालयों में वन्यजीव प्रबंधन के लिए अतिथि संकाय के रूप में भी पढ़ाते हैं।
मिहिर वत्स ने कहा कि दुमका मेरा शहर है मैंने यहां से अपनी पढ़ाई की है बचपन में फिजिक्स समझ नहीं आती थी लेकिन झील के किनारे बैठकर उसकी उतार-चढ़ाव देखना और समझना इन सब में काफी रूचि रही। पिता मिझे इंजीनियर बनाना चाहते रहे पर किताबों ने मुझे बहुत कुछ बना दिया। मेरा काम यही होता है कि झील, झरने, जानवर और इंसानों के बीच तालमेल जो भी निकल कर सामने आता है वही मैं लिखता हूं।
मिहर वत्स समीक्षकों द्वारा प्रशंसित यात्रा संस्मरण टेल्स ऑफ हजारीबाग के लेखक हैं। युवा मिहिर झारखंड के हजारीबाग में पले-बढ़े और उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में अंग्रेजी साहित्य का अध्ययन किया। वह वर्तमान में मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग, IIT दिल्ली में पीएचडी के लिए अध्ययन कर रहे हैं।
मनोरंजन व्यापारी ने कहा कि बचपन में सिखाया गया था कि जब भी कुछ बोलो तो मीठी बोली बोलो और जब बोल ना सको तो चुप रहो। जन्म के समय मेरी माँ ने मेरे मुंह में मधु नहीं डाला जिसके कारण मेरी लेखनी में मीठी नहीं है। मैं अपनी लेखनी के जरिए समाज की कुरीतियों को मारने की कोशिश करता हूं असल जिंदगी में तो कानूनी व्यवस्था सख्य है। कुरीतियों के खिलाफ मैंने अनेक कहानियां लिखी है।
मनोरंजन व्यापारी एक बांग्ला लेखक, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ हैं। उनका जन्म बांग्लादेश के बरिशाल में हुआ था।जब ये तीन वर्ष के थे तब उनका परिवार भारत में पश्चिम बंगाल चला आया। 2014 में श्री ब्यापारी जो को पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी द्वारा सुप्रभा मजूमदार पुरस्कार दिया गया था। 2015 में शर्मिला घोष स्मृति साहित्य पुरस्कार मिला। 2018 में, उनके संस्मरण, इत्तिब्राइत चांडाल जिबोन (इंटेरोगेटिंग माई चांडाल लाइफ) के अंग्रेजी अनुवाद को नॉन-फिक्शन के लिए हिंदू पुरस्कार मिला। 2019 में उन्हें गेटवे लिटफेस्ट राइटर ऑफ द ईयर से नवाजा गया।इन्होंने अब तक एक दर्जन से अधिक उपन्यास और सौ से अधिक लघु कथाएँ लिखी हैं।वह 2021 पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव में बालागढ़ (विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र) से विधायक के रूप में चुने गए थे। हाल ही में 2022 शक्ति भट्ट पुस्तक पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं।
दुमका के कन्वेंशन सेंटर में दो दिवसीय राजकीय पुस्तकालय साहित्य उत्सव प्रारंभ ।
साहित्य उत्सव में देश के जानेमाने संपादक लेखक साहित्यकार ले रहे हैं भाग ।
दुमका कन्वेंशन सेंटर, दुमका में द्वितीय दुमका राजकीय पुस्तकालय साहित्य उत्सव का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया। उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक तथा सम्मानित अतिथियों द्वारा बारी-बारी से दीप प्रज्वलन कर दो दिवसीय साहित्य महोत्सव की शुरुआत की। सर्व प्रथम पिछले वर्ष आयोजित की गई प्रथम साहित्य महोत्सव पर आधारित स्मारिका का अथितियों द्वारा बिमोचन किया गया। माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन का संदेश उपायुक्त एवं माननीय दुमका विधायक बसंत सोरेन का संदेश उप विकास आयुक्त ने पढ़ा।
दो दिवसीय 18 एवं 19 मार्च 2023 तक चलने वाले इस उत्सव में देश के कई, संपादक, लेख़क, साहित्यकार एवं पुस्तक प्रेमी भाग ले रहे हैं।
कार्यक्रम के उद्घाटन के उपरांत प्रथम सत्र में “लिखने की प्रेरणा” विषय पर परिचर्चा हुई। सत्र का संचालन फाउंडिंग मदर्स ऑफ द इंडियन रिपब्लिक के लेखक अच्युत चेतन ने किया। उन्होंने दुमका का इतिहास को बताते हुए कहा कि
शेरशाह सूरी जब यहां से गुजर रहें थे तो वह एक जगह पर रुके वहां पर अपने सिपाहियों से कहा कि इस टीले पर चढ़कर देखो कि क्या नजर आ रहा है तो टीले पर चढ़कर सिपाहियों ने कहा कि नीचे एक नदी बह रही है जिसकी आकृति मोर की तरह दिखाई दे रही है जिससे उस नदी का नाम मयूराक्षी पड़ा। और हमारे चारों ओर जो जगह है वह पहाड़ों के दामन में है जिससे इसका नाम दुमका पड़ गया। उन्होंने कहा कि दुमका विस्थापितों का शहर है। यहां की युवक-युक्तियां नौकरी की तलाश में बड़े शहर चले जाते है। लेकिन यहां से काफी साहित्यकार उभरकर आगे भी आए हैं।
सीगल बुक्स प्रकाशन के प्रकाशक नवीन किशोर ने कहा कि मेरी दिक्कत यह है कि मैं जीवन में सब कुछ करना चाहता हूँ मेरी शुरुआत एक मंच पर थिएटर लाइटिंग डिजाइनर के रूप में हुई थी। मैं फिस से जन्म लिया एक प्रकाशक के रूप में, 40 साल से किताबों को प्रकाशित करते आ रहा हूं। इसी बीच हर दिन 14-15 सालों से ,दोस्तों, कवियों एवं खुद के लिए कुछ लिखने का प्रयास भी कर रहा हूं।
प्रकाशक होने के कारण कुछ लोग सोचते हैं कि मुझे अपनी प्रकाशन के लिए आसानी हुई होगी लेकिन मुझे भी उतना ही परेशानी हुई जितनी पहली बार किसी लेखक को होती है। नवीन किशोर ने 1982 में नाटक, फिल्म, कला और संस्कृति अध्ययन से संबंधित पुस्तक मुद्रण के उद्देश्य से सीगल बुक्स की स्थापना की। आज यहां कविता और कथाओं सहित साहित्य के ख्यातिप्राप्त लेखकों के पुस्तक प्रकाशित होते हैं। पॉल सेलन, इंगबोर्ग बैचमैन, जीन-पॉल सार्त्र, थॉमस बर्नहार्ड, इमरे कर्टेज़, यवेस बोनेफॉय, मो यान, महाश्वेता देवी समेत साहित्य क्षेत्र के कई दिग्गजों की पुस्तकें इनके प्रकाशन में मिल जाएंगी।
रवि सिंह नई दिल्ली स्थित एक स्वतंत्र प्रकाशन कंपनी स्पीकिंग टाइगर के प्रकाशक और सह-संस्थापक हैं। इससे पहले, वह पेंगुइन बुक्स इंडिया के प्रकाशक और प्रधान संपादक, एलेफ बुक कंपनी के सह-प्रकाशक और दिल्ली डायरी पत्रिका के संपादक थे।
डॉ. जोसेप बारा ने कहा कि मैं साहित्यकार नहीं हूं मैं थोड़ा बहुत आदिवासी इतिहास पर कार्य करता हूं। आदिवासी इतिहास को मैं एक चैलेंज के रूप में देखता हूं आदिवासी इतिहास में दस्तावेज भरे हुए हैं। आदिवासी के इतिहास के संबंध में दुमका कोर्ट रूम से मुझे बहुत सारी जानकारियां मिली जिसे मैं सोच भी नहीं सकता था। यह सारी दस्तावेजों के आधार पर आदिवासी इतिहास को कोशिश करता हूँ बताने की।
डॉ. जोसेफ बारा, भारतीय दलित अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली के एक संकाय हैं।फुलब्राइट-नेहरू शैक्षणिक और व्यावसायिक उत्कृष्टता फेलो थे और अनुसूचित जनजातियों पर भारत की उच्च स्तरीय समिति (2013-14) के प्रधानमंत्री के सदस्य के रूप में भी कार्य किया।
गीतांजलि श्री ने कहा कि मैं अपने मैं अपने आप को बहुत खुशनसीब मानती हूं कि इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन में सम्मिलित हुई। यहां के जिला प्रशासन को बहुत-बहुत धन्यवाद। उन्होंने कहा कि लेखक के लिए हास्य मध्य होता है लेखक के लिए ऊंची मंजिल पर बैठा कोई लेखक नहीं होता। लेखक को हमेशा उतर कर ही रहना होता है। तभी वह लेखन कर सकेगा। यहां आना मेरे लिए मध्य के आना और जाना है जो लोग बड़े शहर चले गए हैं लंदन, न्यूयॉर्क को अपने शहर से बेहतर जानते हैं। अपने बगल के प्रदेश को नहीं जानते। हमारी सोच और समझ में बहुत बड़ी कमी है। आप लोग उस कमी को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। मेरे लिए यह बहुत बहुमूल्य घड़ी है मैं नहीं आती तो आपका शायद कोई नुकसान नहीं होता लेकिन मेरा बहुत बड़ा नुकसान हो जाता। मैं यहां आप सब से सीखने आई हूं आपसे कुछ लेने आई हूं। लेखन एक तलाश है जो हम पन्नों के जरिए उतारते हैं।
गीतांजलि श्री द्वारा लिखी उपन्यास ‘ रेत समाधि ‘ प्रतिष्ठित 2022 अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित होने वाला पहला हिंदी उपन्यास है।
उनका जन्म गीतांजलि पांडे के रूप में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपनी माँ का पहला नाम ‘श्री’ लिया और इसे अपना अंतिम नाम बना लिया।
उन्होंने अब तक कई लघु कथाएँ और कुल पाँच उपन्यास लिखे हैं। उनकी पहली कहानी ‘ बेल पत्र ‘ (1987) थी, जो साहित्यिक पत्रिका हंस में प्रकाशित हुई थी ।रेत समाधि (2018) उनका पांचवां और नवीनतम उपन्यास है। इन्हें इंदु शर्मा कथा सम्मान पुरस्कार की प्राप्तकर्ता भी रही हैं ।
रज़ा काज़मी ने कहा कि मैं जंगल और जानवरों के बारे में लिखता हूं। उनकी कहानियां कोशिश करता हूं बताने की। मुझे बचपन से ही जंगलों में जाने का और वन्यजीवों संरक्षण के बारे में लिखने का शौक था। उन्होंने कहा कि पिताजी वन विभाग में थे जिसके कारण स्कूल बाद में गया जंगलों पहले गया। वही मैंने सब कुछ सीखा और उसे पन्नों जरिए उतारने की कोशिश की है।
रज़ा काज़मी एक संरक्षणवादी, लेखक, शोधकर्ता और वन्यजीव इतिहासकार हैं। इन्होंने भारत के वन्यजीव और वन प्रशासन के इतिहास, वन्यजीव नीति और उग्रवाद से पीड़ित पूर्व-मध्य भारतीय परिदृश्य को प्रभावित करने वाले संरक्षण के मुद्दों पर बहुत अध्ययन किया है। वह आदिवासी बहुल पूर्व-मध्य भारतीय परिदृश्य में जनजातीय अधिकारों से संबंधित मुद्दों पर भी शोध करते हैं ।
इन्हें 2021 के लिए न्यू इंडिया फाउंडेशन फैलोशिप प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही रज़ा काज़मी चाईबासा, रांची और हजारीबाग में वन रक्षक प्रशिक्षण विद्यालयों में वन्यजीव प्रबंधन के लिए अतिथि संकाय के रूप में भी पढ़ाते हैं।
मिहिर वत्स ने कहा कि दुमका मेरा शहर है मैंने यहां से अपनी पढ़ाई की है बचपन में फिजिक्स समझ नहीं आती थी लेकिन झील के किनारे बैठकर उसकी उतार-चढ़ाव देखना और समझना इन सब में काफी रूचि रही। पिता मिझे इंजीनियर बनाना चाहते रहे पर किताबों ने मुझे बहुत कुछ बना दिया। मेरा काम यही होता है कि झील, झरने, जानवर और इंसानों के बीच तालमेल जो भी निकल कर सामने आता है वही मैं लिखता हूं।
मिहर वत्स समीक्षकों द्वारा प्रशंसित यात्रा संस्मरण टेल्स ऑफ हजारीबाग के लेखक हैं। युवा मिहिर झारखंड के हजारीबाग में पले-बढ़े और उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में अंग्रेजी साहित्य का अध्ययन किया। वह वर्तमान में मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग, IIT दिल्ली में पीएचडी के लिए अध्ययन कर रहे हैं।
मनोरंजन व्यापारी ने कहा कि बचपन में सिखाया गया था कि जब भी कुछ बोलो तो मीठी बोली बोलो और जब बोल ना सको तो चुप रहो। जन्म के समय मेरी माँ ने मेरे मुंह में मधु नहीं डाला जिसके कारण मेरी लेखनी में मीठी नहीं है। मैं अपनी लेखनी के जरिए समाज की कुरीतियों को मारने की कोशिश करता हूं असल जिंदगी में तो कानूनी व्यवस्था सख्य है। कुरीतियों के खिलाफ मैंने अनेक कहानियां लिखी है।
मनोरंजन व्यापारी एक बांग्ला लेखक, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ हैं। उनका जन्म बांग्लादेश के बरिशाल में हुआ था।जब ये तीन वर्ष के थे तब उनका परिवार भारत में पश्चिम बंगाल चला आया। 2014 में श्री ब्यापारी जो को पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी द्वारा सुप्रभा मजूमदार पुरस्कार दिया गया था। 2015 में शर्मिला घोष स्मृति साहित्य पुरस्कार मिला। 2018 में, उनके संस्मरण, इत्तिब्राइत चांडाल जिबोन (इंटेरोगेटिंग माई चांडाल लाइफ) के अंग्रेजी अनुवाद को नॉन-फिक्शन के लिए हिंदू पुरस्कार मिला। 2019 में उन्हें गेटवे लिटफेस्ट राइटर ऑफ द ईयर से नवाजा गया।इन्होंने अब तक एक दर्जन से अधिक उपन्यास और सौ से अधिक लघु कथाएँ लिखी हैं।वह 2021 पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव में बालागढ़ (विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र) से विधायक के रूप में चुने गए थे। हाल ही में 2022 शक्ति भट्ट पुस्तक पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं।
चुंडा सोरेन सिपाही ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है सांस्कृतिक के इर्द-गिर्द ही साहित्यकार लिखा करते हैं। साहित्यकार हमेशा सामाज को कुछ न कुछ देते हैं। उन्होंने गीता का श्लोक कोट करते हुए कहा कि इस धरती में पाप का भार ज्यादा हो जाते हैं तो मानव का रूप धारण करते हैं लेखक उस भाव पर आधारित जो प्रभावित होता तो उस पर रचना करते हैं।
तृषा डे नियोगी ने कहा मैं एक प्रकाशक हूं ल मुझे जब यहां पर बुलाया गया तो मैं मना नहीं कर पाई और इस तरह के कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए मैं यहां हाजिर हूं।
तृषा डे नियोगी नई दिल्ली में स्थित एक स्वतंत्र प्रकाशन गृह, नियोगी बुक्स की मुख्य परिचालन अधिकारी और निदेशक हैं। उन्होंने सेज पब्लिकेशंस के साथ प्रकाशन में अपना करियर शुरू किया और तब से एक लंबा सफर तय किया है। वह इस्तांबुल फेलोशिप प्रोग्राम 2020 में सक्रिय सदस्य रही हैं। तृषा जी हेरिटेजशाला, पर्पल पेंसिल प्रोजेक्ट ,विविधता और समावेश मंच, बेलोंग सहित कई संगठनों की सलाहकार हैं। इन्होंने भरतनाट्यम सीखा है पियानो भी बजाती हैं और क्राव मागा का अभ्यास करती हैं। उनके पास गणित, अर्थशास्त्र और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्रियां हैं।
विक्रम ग्रेवाल ने कहा कि मैं एक लेखक हूं मैं पशु, पक्षियों, जानवरों पर किताबें लिखता हूं।मेरी किताब किसी रोचक नहीं है। मैं लिखता हूं क्योंकि मुझे जरूरत है मुझे अच्छा लगता है लिखना। जब मैंने अपनी पढ़ाई खत्म की तो इंग्लैंड यूनिवर्सिटी के लिए मुझे स्कॉलरशिप मिला। कभी-कभी स्कॉलरशिप मिलने में देरी होती थी। उन्होंने अपने कॉलेज के समय के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि किस तरह से उन्होंने लिखना शुरू किया। उन्होंने उपमहाद्वीप पक्षियों पर 30 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। उनकी अन्य पुस्तकों में विविध विषयों को शामिल किया गया है,।श्री ग्रेवाल एक प्रख्यात पक्षी विज्ञानी, सबसे अधिक बिकने वाले लेखक और रमणीय वक्ता हैं।
चंद्रहास चौधरी ने कहा कि मैं पहले भी इस तरह के कार्यक्रम में भाग ले चुका हूं मुझे बहुत ही खुशी होती है दुमका आने में। किताबी ही मेरी परिवार रहा है। लेखक का दो बार जन्म होता है। दूसरी जन्म तब होती है जब पांच-छह साल तक लिखने के बाद जब अच्छी किताब निकल कर सामने आती है यह साहित्यकार के लिए यह बहुत बड़ी बात होती है।
चंद्रहास चौधरी माई कंट्री इज लिटरेचर, डेज़ ऑफ माई चाइना ड्रैगन, क्लाउड्स और अर्ज़ी द ड्वार्फ किताबों के लेखक हैं। आप प्रसिद्ध निबंधकार और साहित्यिक आलोचक के साथ साथ, वॉल स्ट्रीट जर्नल, मिंट लाउंज और कोंडे नास्ट ट्रैवलर के स्तम्भकार भी हैं।
नीता गुप्ता ने कहा कि मैं एक प्रकाशक हूं मेरा प्रकाशन क्षेत्र अनुवाद से जुड़ा हुआ है मैं भारतीय भाषा में अनुवादित किताबें प्रकाशित करती हूं। यहां की ढेर सारी किताबें, व्याकरण ले जाऊंगी और उसे अनुवाद करूंगी।
नीता गुप्ता दो दशकों से अधिक समय से विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों में प्रकाशन संपर्क बनाने की दिशा में काम कर रही हैं। वह पब्लिशर्स एक्सचेंज की सह-संस्थापक हैं, जो विचारों और संसाधनों को साझा करने की सुविधा के लिए गठित भारतीय भाषा प्रकाशकों का एक समूह है। भारतीय अनुवाद परिषद की त्रैमासिक पत्रिका अनुवाद की मुख्य संपादक भी हैं। फिलवक्त टेथिस बुक्स की प्रकाशन निदेशक हैं। नीता गुप्ता जी ने ट्रांसलेटिंग भारत, रीडिंग इंडिया का संपादन भी किया है।