RANCHI : झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा में करम और सोहराय का विशेष महत्व है. झारखंड के आदिवासी और सदान इन दोनों पर्वों से अपनी प्राचीन और समृद्ध सांस्कृतिक जड़ों से आज तक जुड़ें हुए हैं. ये पर्व झारखंड के आदिवासी और सदानों के प्रकृति से जुड़े सभी प्रतीकों से प्रेम और मानवीय मूल्यों को दर्शाते हैं. इन दोनों पर्वों पर पूरा झारखंड अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता है. इन पर्वों को झारखंड के आदिवासी और सदान अपने पारंपरिक रीति रिवाज से मनाते आ रहे हैं.
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सोहराय
सोहराय पशुधन और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का त्यौहार है. इसे कार्तिक अमावस्या या कुछ क्षेत्रों में पौष माह में मनाया जाता है. विभिन्न आदिवासी गांवों में यह त्योहार महीने भर चलता है. सोहराय के अवसर पर मिट्टी के घरों की दीवारों पर सुंदर और आकर्षक चित्रकारी की जाती है. इसे सोहराय पेंटिंग कहते हैं. इसमें पशु-पक्षी और प्रकृति के बीच संबंध को दर्शाया जाता है. सोहराय पर्व आदिवासी और सदानों की साझा संस्कृति को भी दर्शाता है.

करम
यह पर्व प्रकृति से गहरे जुड़ाव और भाई बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है. करम भादो मास की एकादशी को मनाया जाता है. करम में बहनें एक छोटी सी टोकरी में कई अनाजों को अंकुरित करती हैं जिसे जावा कहते हैं. उस जावा को अखरा में रख कर बहने 9, 7, 5 या फिर 3 दिन जगाती हैं. यानी उसके इर्द गिर्द चारों ओर नृत्य करती हैं. करम पर्व में करम वृक्ष की डाली को अखरा में गाड़कर पूजा की जाती है. इस पर्व में रात भर लोग अपने पारंपरिक वाद्ययंत्र मांदर की थाप पर थिरकते रहते हैं.
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इन पर्वों पर मिलने वाली छुट्टी नाकाफी
झारखंड के लिए ये पर्व अत्यंत विशिष्ट स्थान रखते हैं. यहां के कई संगठन इन पर्वों पर मिलने वाली बहुत कम छुट्टियों को लेकर अपनी आवाज बुलंद करते रहे हैं. विभिन्न आदिवासी संगठनों ने मांग उठाई थी कि इन पर्वों में ऐच्छिक अवकाश की जगह राजकीय अवकाश घोषित किया जाए. सोहराय और करम की पूजा पद्धति लंबी होती है इसलिए एक दिन की छुट्टी अपर्याप्त होती है. जिस तरह दुर्गा पूजा पर लंबी छुट्टी मिलती है उसी प्रकार झारखंड के इन पारंपरिक पर्वों में भी छुट्टी मिले.
अब इसका सकारात्मक प्रतिफल मिलने जा रहा है. पहले जहां करम और सोहराय में केवल 1 दिन की छुट्टी मिलती थी, अब 2-2 दिन की छुट्टी मिलेगी. झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने 2026 के छुट्टी के कैलेंडर में सोहराय और करम लिए 2-2 दिन की छुट्टी का ऐलान किया है.
करम और सोहराय की छुट्टी में की गई बढ़ोत्तरी झारखंड की अस्मिता और झारखंड की संस्कृति को आगे बढ़ाने की दिशा में एक पहल मानी जा सकती है. साथ ही वैसे लोग जो घर से दूर रह कर काम करते हैं वो अपने घर आ कर अपनी सांस्कृतिक परंपरा में शामिल हो सकते हैं.
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