L19 Desk : झारखंड की पुलिसिया सिस्टम और सुरक्षा व्यवस्था ने एक बार फिर सवाल खड़े करने पर मजबूर कर दिया है। सवाल खड़े क्यों न हों, जब हर दूसरी दिन, दिनदहाड़े गोलीबारी की घटना सामने आ रही हो, जब कारोबारियों से लेकर बड़े-बड़े अधिकारियों तक का चलती सड़क पर कत्ल-ए-आम कर दिया जा रहा हो। ताज़ा मामला हजारीबाग के केरेडारी एनटीपीसी कोल प्रोजेक्ट में कार्यरत डीजीएम कुमार गौरव की दिनदहाड़े हत्या से जुड़ा हुआ है। ये घटना दरअसल, शनिवार 8 मार्च की सुबह साढ़े 9 बजे की है, जिसे हजारीबाग –बड़कागांव रोड स्थित फतहा चौक पर अंजाम दिया गया।
मिली जानकारी के अनुसार, 42 वर्षीय कुमार गौरव हजारीबाग शहर के मटवारी स्थित श्रीधर अपार्टमेंट के फ्लैट से केरेडारी के लिये सुबह करीब 9 बजे निकले थे। वह अपनी स्कॉर्पियो से केरेडारी के पांडु स्थित अपनी ऑफिस जा रहे थे, कि पहले से ही घात लगाये बैठे दो बाइक सवार अपराधियों ने पहले ओवरटेक करके गाड़ी रोकी और मौका देखते ही उनपर फायरिंग कर दी, साथ ही घटनास्थल से फरार हो गये। हालांकि, क्योंकि दोनों अपराधियों ने हेलमेट लगा रखा था, इसलिये उनकी पहचान नहीं हो पायी।
गोलीबारी के दौरान एक गोली डीजीएम कुमार गौरव की पीठ पर लगी, और दूसरी गोली का निशाना गलत होने के कारण वह स्कॉर्पियो में लगी। हालांकि, इसके बावजूद डीजीएम बच नहीं पाये। गोली लगने के बाद उनका ड्राइवर उन्हें हजारीबाग स्थित आरोग्यम अस्पताल ले गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मतलब, देश की सबसे बड़ी सरकारी कंपनियों में से एक NTPC के डिप्टी जेनरल मैनेजर जब सुरक्षित नहीं हैं, उन्हें सरेराह गोलियों से भून दिया जाता है, तब आम आदमी की सुरक्षा का ख्याल कौन रखेगा।
डीजीएम कुमार गौरव की बात करें, तो वह बिहार के नालंदा संसदीय क्षेत्र के सांसद रहे दिवंगत रामस्वरूप प्रसाद के भतीजे थे। मृतक डीजीएम कुमार गौरव बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले थे। वह करीब एक साल से केरेडारी माइंस प्रोजेक्ट में डिस्पैच और क्वालिटी टेस्ट के इंचार्ज थे। यहां एक बात गौर करने वाली है कि उन्हें जान से मारने के लिये शार्प शूटरों का इस्तेमाल किया गया। पूरी प्लानिंग के तहत कुमार गौरव पर निशाना चलती स्कॉर्रपियो में दागा गया, और निशाना भी नहीं चूका।
हालांकि, डीजीएम की हत्या क्यों की गयी, उन्हें निशाना क्यों बनाया गया, इसका खुलासा अब तक नहीं हो पाया है। पुलिस केस की जांच पड़ताल में जुटी है। मगर आशंका जतायी जा रही है कि मर्डर के पीछे एनटीपीसी में कांट्रैक्ट पर चल रहे काम में रंगदारी वसूली करने वाले आपराधिक गिरोह का हाथ हो सकता है। और यह कोई पहली बार नहीं है, जब एनटीपीसी कोल प्रोजेक्ट के लिए काम करने वाले अफसर को निशाना बनाया गया हो। तकरीबन दो साल पहले इस प्रोजेक्ट के लिए आउटसोर्सिंग पर काम करने वाली एक कंपनी के जेनरल मैनेजर को भी मौत के घाट उतार दिया गया था।
फिलहाल डीजीएम के साथ जो गोलीबारी की घटना हुई है, इस पर जांच चल रही है, डीजीपी अनुराग गुप्ता के निर्देश पर एटीएस की टीम हजारीबाग पहुंचकर मामले का अनुसंधान कर रही है। वहीं, मामले की गंभीरता को देखते हुए बोकारो रेंज के आईजी एस माइकल राज हजारीबाग पहुंचे, और जिले के वरीय पुलिस पदाधिकारियों के साथ बैठक की।
ये तो हो गयी हजारीबाग की बात, इससे ठीक 1 दिन पहले यानि 7 मार्च को रांची के बरियातू रोड में अपराधियों ने विपिन मिश्रा नामक एक कोयला कारोबारी पर दिनदहाड़े गोलियों से हमला कर दिया था। इस गोलीबारी में वह गंभीर रूप से घायल हो गये, हालांकि, उनकी जान बच गयी। अब इस वारदात की तार गैंगस्टर मयंक सिंह से जुड़ रहे हैं। वहीं, इस वारदात से दो दिन पहले रांची के चान्हो स्थित एक आश्रम में डबल मर्डर की घटना सामने आयी थी।
कुल मिलाकर कहा जाये, तो झारखंड में सरकारें जरूर बदल रही हैं, लेकिन अपराध की घटनाओं पर ज़रा भी लगाम नहीं लग सका है। झारखंड का पुलिसिया सिस्टम दिनदहाड़े हो रही आपराधिक घटनाओं को रोकने में पूरी तरह विफल साबित हो रहा है।