L19 Desk : झारखंड में कांग्रेस कोटे के मंत्रियों में बड़ा फेरबदल हो सकता है, इसकी संभावना खुद कांग्रेस ने व्यक्त की है। कांग्रेस अपने मंत्रियों के काम काज से संतुष्ट नहीं है। जिसे लेकर अब पार्टी विचार कर रही है। इसके साथ ही इस बार के कार्यकाल में कांग्रेस फ्रंटफुट पर नज़र आने वाली है, अब पार्टी झारखंड में अपना पांव पसारने के लिये सत्ताधारी दल जेएमएम को टक्कर देने वाली है। टक्कर देने के चक्कर में कहीं दोनों पार्टियों के बीच बड़ा टकराव देखने को तो नहीं मिलेगा ?
झारखंड में मजबूत जनाधार बनाने की जुगत में कांग्रेस
झारखंड के विधानसभा चुनाव में जेएमएम और कांग्रेस गठबंधन का प्रदर्शन बहुत बेहतरीन रहा। वैसे, कांग्रेस की स्थिति झारखंड में तो बढ़िया है, लेकिन देशभर में पार्टी अपनी पकड़ खोती जा रही है। इसका सटीक और हालिया उदाहरण दिल्ली का विधानसभा चुनाव है, वही दिल्ली जहां पर कांग्रेस ने 15 सालों तक एकछत्र राज किया, लेकिन आज स्थिति ये है कि पार्टी का जनाधार ज़ीरो है, लिहाज़ा चुनाव में भी वह दोबारा से ज़ीरो पर आउट हो गयी।
इसलिये कांग्रेस ने फैसला किया है कि जिन राज्यों में उसका जनाधार स्ट्रांग है, कम से कम वहां अपनी पकड़ और मजबूत बनानी है। इसी कड़ी में अब कांग्रेस अपने विधायक मंत्रियों के ज़रिये अब खुद की लोकतांत्रिक छवि को और बेहतर प्रदर्शित करने की दिशा में अग्रसर है।
मंत्रियों के काम काज का होगा सोशल ऑडिट
कांग्रेस ने अब स्पष्ट कर दिया है कि अगर मंत्रियों के काम काज का रिपोर्ट कार्ड सही नहीं होगा, तो उन्हें मंत्री पद से हटा दिया जायेगा। उनके बदले किसी अन्य विधायक को मंत्री पद सौंप दिया जायेगा। पार्टी ने फैसला किया है कि अब वह अपने कोटे के मंत्रियों के काम काज का सोशल ऑडिट करायेगी, मतलब कि मंत्री अपने विभाग का काम काज सही तरीके से कर रहे हैं या नहीं, इसकी जांच करायेगी।
जिस मंत्री को जो विभाग सौंपा गया है, उससे संबंधित योजनाओं की स्थिति की जानकारी जिला, प्रखंड से लेकर पंचायत स्तर तक भी लेगी। इसके आधार पर मंत्रियों के काम का आकलन किया जायेगा। सही काम करने वाले मंत्री सरकार में बने रहेंगे, और जिनका रिपोर्ट कार्ड बढ़िया नहीं होगा, उन्हें अपने मंत्री पद से हाथ धोना पड़ेगा।
हर महीने सौंपना होगा रिपोर्ट कार्ड
इतना ही नहीं, अब कांग्रेस के मंत्रियों को हर महीने अपने काम काज की रिपोर्ट तैयार करनी होगी। इस लिहाज़ से कांग्रेस संभवतः देश का पहली ऐसी पार्टी बनेगी, जो हर महीने अपने मंत्रियों के काम काज पर आकलन करेगी और रिपोर्ट और परफॉर्मेंस के आधार पर उनके पद पर फैसला करेगी। मंत्रियों के काम का आकलन 6 महीने या एक साल के आधार पर किया जायेगा। कांग्रेस आलाकमान के इन दिशा निर्देशों के बाद लगता है कि पार्टी अपने मंत्रियों के काम काज से संतुष्ट नहीं है। यही कारण है कि कांग्रेस मंत्रियों में, आज नहीं तो कल, बड़ा फेरबदल होने की पूरी संभावना है।
हेमंत कैबिनेट में कांग्रेस के ये चार मंत्री हैं शामिल
आपको बता दें कि सरकार में कांग्रेस कोटे से चार मंत्री, मसलन राधाकृष्ण किशोर, दीपिका पांडेय सिंह, इरफान अंसारी और शिल्पी नेहा तिर्की शामिल हैं। इसके साथ साथ, कांग्रेस आलाकमान ने ये भी स्पष्ट किया है कि सरकार ने चुनाव से पहले एक साझा घोषणापत्र के जरिये जो 7 वायदे जनता से किये थे, उसे भी अमल में लाने का प्रयास करना है।
मंत्रियों के साथ साथ विधायकों के काम का भी होगा आकलन
मंत्रियों के अलावा, विधायकों के काम काज का भी आकलन किया जायेगा, उनकी भी रिपोर्ट कार्ड तलब की जायेगी, जिसके आधार पर उनका नाम मंत्री पद के लिये आगे होता चला जायेगा। लिहाज़ा विधायकों को भी संगठन और कार्यकर्ताओं के साथ सामंजस्य बैठाकर और सम्मान के साथ पेश आने को कहा गया है। ये खबर हमें अंदरखाने से मिली है।
सरकार का पिछलग्गू बनकर नहीं, सहयोगी बनकर काम करें : कांग्रेस
बहरहाल, कांग्रेसी मंत्रियों को एक और जो सबसे महत्वपूर्ण निर्देश दिया गया है, वह ये कि उन्हें सरकार का पिछलग्गू बनकर काम नहीं करना है, बल्कि सहयोगी बनकर काम करना है। ये एक बहुत ही मज़ेदार प्वाइंट है। दरअसल, कांग्रेस के कुछ मंत्री ऐसे हैं, जो वाकई जेएमएम के पिछलग्गू बने फिरते हैं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हर वक्त अपना हनुमान बताते हैं। ऐसे में कांग्रेस का नाराज़ होना लाज़िमी है।
झारखंड में फ्रंटफुट पर खेलना चाहती है कांग्रेस
कांग्रेस इस कार्यकाल में फ्रंटफुट पर रहना चाहती है, जेएमएम के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहती है, लेकिन इस रास्ते में कांग्रेस के ही कुछ नेता मंत्री अड़चन बन रहे हैं, जिसको अब पार्टी कतई स्वीकार करने के मूड में नहीं है। अब आने वाले समय में वैसे मंत्रियों के खिलाफ भी पार्टी कार्रवाई कर सकती है, जिसकी पूरी संभावना है। वहीं, दोनों सत्ताधारी पार्टियों के कदम आपस में टकराने से गठबंधन में टूट की स्थिति भी पैदा हो सकती है।