L19 DESK : झारखंड में मंत्रियों के बोले गए बातों पर कितना अमल विभाग के अधिकारी और कर्मचारी करते हैं या नहीं? उसका सबसे बड़ा उदहारण स्वास्थ्य विभाग है. और RIMS जीता जागता सबूत. राज्य के गरीब और जरुरतमद लोगों के स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों का एक ही हल है और वो है RIMS अस्पताल. रिम्स जो राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल होने का दम भरता है. और जिसके जिम्मे राज्य के ज्यादातर जरुरतमंद लोगों के स्वास्थ्य का जिम्मा है. लेकिन इसे राज्य के सरकारी व्यवस्था का दुर्भाग्य ही कहिए की विभाग के मंत्री जी अधिकारियों और डॉक्टरों को आदेश देते हैं लेकिन उसे अधिकारी नजरअंदाज कर अपनी मनमानी चलाते हैं. जिससे ना सिर्फ मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है बल्कि उनके साथ आए परिजनों को भी.
बीते दिनों हमने लोकतंत्र-19 के जरिए ही आपको रिम्स परिसर में ही स्थित Amrit Pharmacy की लापरवाही से जुड़ी खबर बताई थी. हमने बताया था कि कैसे अमृत फार्मेसी में महिलाओं के लिए अलग से बनाए गए काउंटर में कोई दवा देने वाला व्यक्ति रहता ही नहीं है. जिसकी वजह से एक ही काउंटर में लंबी लाइन लग जाती है, घंटों इंतजार के बाद अगर नंबर आता है तो डॉक्टरों द्वारा लिखा गया दवा वहां मिलता नहीं है. इस मसले पर हमने बीते 7 जनवरी को ही वीडियो बनाया था. लेकिन दुर्भाग्य की बात ये है कि स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद जब पहली बार बीते 27 दिसंबर को रिम्स अस्पताल का निरीक्षण करने इरफान अंसारी पहुंचे थे, तब उन्होंने निरीक्षण करने के दौरान कई तरह के आदेश रिम्स के निदेशक को दिए थे. जिसमें से एक निर्देश यह भी था कि मरीजों के लिए वही दवाइयां लिखी जाए जो अमृत फार्मेसी में उपल्बध हो लेकिन डॉक्टरों को इसकी क्या ही चिंता, गांवों में अक्सर कहा जाता है ना कि एक कान से सुनिए दूसरे से निकाल दीजिए. तो बस डॉक्टरों में भी वही लागू होता है. 27 दिसंबर को जब मंत्री जी यह आदेश दे रहे थे कि दवा की उपल्बधा के हिसाब से ही मरीजों को दवा लिखी जाए तब रिम्स के निदेशक ने तुरंत इसे लागू करने की बात कही, लेकिन उस आदेश को करीब अब 15 से 16 दिन बीत गए तब जाकर उन्हें 12 जनवरी को रिम्स निरीक्षण के दौरान इसकी जानकारी एक बार फिर मिली कि डॉक्टरों द्वारा बाहर की दवाइयां लिखी जा रही है. मीडिया ने सवाल किया तब उन्होंने कहा कि रिम्स प्रबंधन के द्वारा लगातार सभी विभागों और डॉक्टरों को अमृत फार्मेंसी की दवाई लिखने को कहा जा रहा है. यहां तक प्रबंधन ने एक बार फिर सभी विभागाध्यक्षों को पत्र लिखा है. खैर, अब यह पत्र डॉक्टरों तक क्यों नहीं पहुंचता है ये तो रिम्स प्रबंधन ही जाने और डॉक्टर बाहर की दवाएं क्यों लिखते हैं वो डॉक्टर. लेकिन परेशान कौन होता है वो, हम, आप, डॉक्टर और मंत्री जी सब जानते हैं? लेकिन मंत्री जी को फिलहाल उनलोगों की जरूरत नहीं है, क्योंकि चुनाव अब 5 साल बाद है ना?
खैर, अब हम आपको अमृत फार्मेंसी के बारे में थोड़ी जानकारी दे देते हैं. हालांकि, हमने पहले की भी वीडियो में उसके बारे में बताया था. फिर भी आपकी जानकारी के लिए बता दें अमृत फार्मेसी भारत सरकार की अधिकृत दुकान है. यहां जेनेरिक, ब्रांडेड दवा और सर्जिकल आइटम 30 फीसदी तक सस्ती मिलती है. मरीजों को आर्थिक तौर पर थोड़ी और राहत देने के लिए रिम्स में इसकी शुरुआत 26 मार्च, 2023 को की गई. लेकिन शायद डॉक्टरों को मरीजों की आर्थिक स्थिति या उनका दर्द दिखाई नहीं देता है. या मामला कुछ और है ये सोचने और समझने वाला विषय है. इस वीडियो के अंत में हम बस इतना कहना चाहेंगे कि मंत्री इरफान असांरी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी विभाग के डॉक्टर अमृत फार्मेसी में उपल्बध दवा ही लिखे अन्यथा उन पर कोई ठोस कार्रवाई की जाए ताकि आने वाले समय में गरीब मरीजों को बाहर से महंगी दवा खरीदने की जरूरत ना पड़े.