जब भी किसी लड़की या नाबालिक बच्ची के साथ बलात्कार होता है तो सबसे पहले यह खोजा जाता है कि उसका कोई प्रेमी या कह ले बॉयफ्रेंड है या नहीं,और यदि है तो यह काम उसी का होगा और इस तरह पीडिता को चरित्रहीन बताकर केस को बदल दिया जाता है |परिवार या जनता का जो इमोशनली सपोर्ट पीडिता को मिलना चाहिए उसे ख़त्म कर दिया जाता है और उसके बाद लोग पीडिता पर ही सवाल खड़े करने लगते हैं कि बॉयफ्रेंड पर अंधा भरोसा करोगी तो यही न होगा ,इसमें यही मतलब रेप | तो क्या दुनिया में जितनी भी लड़कियां हैं ,जिनके बॉयफ्रेंड है उनका भी बलात्कार हो जाना चाहिए |
हमने 3 दिन पहले यानि 15 जुलाई को आपको एक गैंग रेप की ख़बर दिखाई थी | इटकी थाना शेत्र की एक नाबालिक बच्ची 7 जुलाई को अपने दोस्तों के साथ जगरनाथपुर रथ मेला देखने आई थी और वापसी के क्रम में बच्ची का गैंग रेप हो गया | आरोपी पीडिता के माँ बाप को केस नही करने के लिए लगातार दबाव बना रहे थे ,डर से परिजन बच्ची का इलाज घर में ही कर रहे थे लेकिन तबियत ज्यादा खराब होने पर पहले बच्ची को बेड़ों के एक अस्पताल में इलाज कराया गया और ज्यादा सीरियस होने पर बच्ची को 11 जुलाई को रिम्स रेफर किया गया |बच्ची किसी को पहचान नहीं पा रही ,न बोल पा रही है, बच्ची की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है,लेकिन स्वास्थ्य में सुधार अब थोडा दिख रहा है |
इसी बीच 16 जुलाई को प्रभात खबर अख़बार में इस घटना को लेकर एक ख़बर छपती है कि प्रेमी,प्रेमी के दोस्त और गाँव के ही एक लड़के पर दुष्कर्म का आरोप है | इस खबर से सवाल यह खड़ा होता है कि क्यों हर बलात्कार की धटना में प्रेमी वाला इंगल खोजा जाता है | दिल्ली का निर्भया कांड हो या झारखण्ड की रूपा तिर्की मर्डर कांड का,हर बार प्रेमी के रास्ते ही क्यों इन लडकियों और बच्चियों को न्याय देने की बात होती है | निर्भया कांड के दौरान इस घिनौने अपराध के खिलाफ जब पूरा देश एक होकर आवाज उठा रहा है था उस दौरान भी कुछ लोग ये कह रहे थे कि लड़की को इतनी रात प्रेमी के साथ बाहर जाने की क्या जरुरत थी,जरुर लड़की का ही चरित्र ख़राब होगा | रूपा तिर्की के समय भी उस मर्डर केस में प्रेमी का नाम आते ही लोग बेचारी मरी हुई लड़की के चरित्र पर ही सवाल उठाना शुरू कर दिए थे | कइयो ने तो भद्दी-भद्दी गलियां भी लिख डाली थी सोसल मिडिया में रूपा के चरित्र को लेकर |
भारत का कानून यह कहता है कि रेप के मामलों में पीड़िता की पहचान,उसका चेहरा और परिवार के साथ-साथ दोस्तों की पहचान या चेहरा को गुप्त रखा जाये ताकि पीड़िता को भविष्य में किसी तरह की कोई परेशानी न हो | भले पुलिस से लेकर अख़बार और मिडिया वाले पीड़िता की पहचान को गुप्त रखते हैं लेकिन प्रेमी का एंगल जोड़ देने से आपको नही लगता है कि उसके चरित्र पर उंगली उठाया जा रहा है | आपने चेहरा और पहचान तो छुपा लिया लेकिन उसकी बची – खुची इज्जत समाज में नीलाम कर दी |
हम ये बिल्कुल नही कह रहे कि बलात्कार के मामलों में प्रेमी या प्रेमी के दोस्तों का हाथ नहीं होता ,बिल्कुल होता है लेकिन हर घटना में प्रेमी हो यह जरुरी तो नहीं |अख़बार में लिखा गया है कि 7 जुलाई को रथ मेला के दिन शाम 4 बजे नाबालिक घर से अपनी स्कूटी लेकर मेला घूमने गयी थी | मेला से घूम के आने के बाद वह अहले सुबह चार बजे अस्त-ब्यस्त स्थिति में घर पहुंची |उस समय उसके पास स्कूटी नहीं थी , घर वालों ने समझा कि उसकी तबियत ख़राब है |बाद में परिजन उसकी स्कूटी तलाश कर घर लेकर आये |
अरे भई इतनी बड़ी संस्थान है एक बार खबर की जाँच तो कर लीजिए | दरअसल अख़बार में जिस स्कूटी का जिक्र हुआ है वह स्कूटी पीड़िता कि नहीं बल्कि आरोपी लड़कों की हैं | बच्ची न तो स्कूटी लेकर निकली थी और न ही उसके माता – पिता दुसरे दिन स्कूटी को तलाश करके घर लाये | स्कूटी की तलाशी में अब भी इटकी पुलिस जुटी हुई है |
हालांकि इस संबंध में नाबालिक की माँ के बयान पर इटकी थाना में पोस्को एक्ट के तहत नामजद FIR दर्ज कराई गई है लेकिन FIR में प्रेम संबंध या प्रेमी जैसे शब्द लिखे ही नही गए हैं | फिर किस आधार पर इस शब्दों का प्रयोग अख़बार में किया गया है | दूसरी सबसे बड़ी बात कि बच्ची अभी उस हालत में है ही नहीं कि पुलिस को कुछ बता पाए तो ये बात निकलकर कहाँ से आई कि रेप करने वाला उसका प्रेमी और प्रेमी के दोस्त थे | हालांकि इस खबर में गाँव के एक लड़के का जिक्र हुआ है जो दुष्कर्म का आरोपी है यह खबर सही है |
प्रभात खबर में छपे इस खबर का असर यह हो रहा है कि अब उस गाँव में पंचायत से लेकर सिंगल घरों तक यह चर्चा हो रही है कि पीड़िता चरित्रहीन थी ,उसका कैरेक्टर पहले से ही ख़राब था |इसलिए उसके साथ गैंग रेप हो गया | सिर्फ प्रेमी वाले एंगेल ने पीड़िता को मिलने वाले इमोशन को ख़त्म कर दिया,रेप से हटकर अब बात करेक्टर की हो रही है | इसलिए मैंने शुरू में ही कहा था कि रेप से जुड़े मामलों में प्रेमी का ही एंगल क्यों खोजा जाता है ,क्या इससे पीड़िता के भविष्य को धूमिल करने की कोशिश नहीं की जाती है |
हम सभी एक जिम्मेदार पत्रकार हैं,खबरों को बहुत ही जिम्मेदारी के साथ लिखना और बोलना होगा क्योंकि हमारे एक गलत शब्द से केस की दिशा भी बदल सकती है और पीड़िता का भविष्य अंधकारमय भी हो सकता है |