क्या आपने कभी ऐसा सुना है कि किसी महिला की एक ही दिन में 12 बार डिलीवरी हुई हो, यानि एक ही दिन में वह 12 बच्चे पैदा कर रही हों, सुना तो आपने ये भी नहीं होगा कि पुरुष भी अपनी कोख से बच्चे पैदा कर सकते हैं। सुनकर आपको ये जरूर कोई वैज्ञानिक चमत्कार लग रहा होगा, आप सोंच रहे होंगे कि अब पुरुषों में भी बच्चादानी विकसित किया जा सकता है, खासकर महिलायें तो ये जरूर सोंच रहीं होंगी कि अब प्रसव की पीड़ा अब केवल उन्हें नहीं उठानी पड़ेगी, अब पुरुष भी 9 महीने प्रेग्नेंसी का दर्द झेल सकेंगे। आप इसे दुनिया का आठवां अजूबा भी समझ रहे होंगे, लेकिन आपको बता दें कि ये प्रसव के एवज में किया गया एक घोटाला है। ये करिश्मा कोडरमा के स्वास्थ्य विभाग ने कर दिखाया है। आपको मालूम होगा कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकार महिलाओं को 1400 रुपये की प्रोत्साहन राशि देती है। इसी का नाजायज फायदा उठाते हुए एक महिला का एक ही दिन में 8 से 12 प्रसव दिखा कर 50 लाख रुपये से ज्यादा की राशि निकाल ली गयी। हैरानी की बात तो ये है क पुरुषों को भी नहीं बख्शा गया। उन्हें भी मां बना दिया गया। पुरुषों के नाम पर भी संस्थागत प्रसव दिखाकर पैसों की निकासी कर ली गयी। इससे साफ है कि घोटाला करने वाले इस खेल में मंझे हुए नहीं हैं। अरे भई, घोटाला ही करना था, तो थोड़ा लॉजिक के साथ करते, ये क्या कि एक ही दिन में किसी महिला की कोख से 12 बच्चे पैदा करा दो, और पुरुषों में बच्चादानी विकसित कर दो। खैर, मामला ही इतना हास्यास्पद है। बताया जा रहा है कि कोडरमा के सतगावां सरकारी अस्पताल में प्रसव के बाद मिलने वाले 1400 रुपये पुरुषों औऱ महिलाओं के खाते में डाल दिये गये। विभागीय जानकारों के अनुसार, 2023-24 में ही एक साल में 50 लाख से ज्यादा की हेराफेरी कर दी गयी। अब इस मामले को थोड़ा और विस्तार से बतायें तो स्वास्थ्य विभाग ने जननी सुरक्षा योजना के 1400 रुपये 22 जनवरी 2024 को अंजू कुमारी के खाते में 13 बार, अतुल चौधरी को 14, दिनेश चौधरी को 10 और चंचला कुमारी को 13 बार प्रोत्साहन राशि देने के रूप में दिखाया है। इसी तरह 4 अक्टूबर 2023 को आरती कुमारी के खाते में 3 बार, चंचला कुमारी को 8 बार, गिरजा देवी, फातिमा खान, लक्ष्मी कुमारी सहित 9 महिलाओं के खाते में 8-8 बार डाले गये। इनके अलावा, इसी दिन काजल, खुशबू, ललिता, मनिषा सहित अन्य महिलाओं के नाम पर कई बार प्रोत्साहन राशि आवंटित की गयी। ये नाम तो केवल उदाहरण मात्र हैं। गड़बड़ी की लिस्ट को काफी लंबी है। विभागीय जानकारी के अनुसार, जिनका संस्थागत प्रसव नहीं कराया गया, उनके नाम पर भी भुगतान दिखा गया।
हालांकि, यह पहला मामला नहीं है। जिले में जननी सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत पहले भी बड़े पैमाने पर इस तरह की गड़बड़ियां हो चुकी हैं। कोडरमा प्रखंड सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 2019 में भी इस तरह की गड़बड़ी हुई थी। वहां के चिकित्सा पदाधिकारियों ने एक प्राइवेट अल्ट्रासाउंड केंद्र से महिलाओं की जांच के नाम पर 400 रुपये की दर से भुगतान कर दिये थे। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं की जांच के नाम पर एक प्राइवेट संस्थान को भी प्रति केस 600 से 730 रुपये की दर से भुगतान की गयी थी। उस समय जांच के दौरान गड़बड़ी पकड़े जाने पर कार्रवाई भी हुई थी। लेकिन इससे किसी ने सबक नहीं ली, जो एक बार फिर से इस तरह के घोटाले को अंजाम दिया गया।
अब पैसों की इतनी बड़ी गड़ब़ड़ी की भनक लगने पर स्वास्थ्य विभाग ने फिलहाल सतगावां में विभागीय खाते को फ्रीज कर दिया है। इसकी जांच के लिये कोडरमा डीसी मेघा भारद्वाज ने पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है। जांच रिपोर्ट में आगे की कार्रवाई की जायेगी।
दूसरी ओर, सिविल सर्जन ने भी इसे स्वास्थ्य विभाग की गड़बड़ी करार देते हुए मामले को गंभीरता से लिया है। सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार की ओर से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सतगावां के क्लर्क सह प्रखंड लेखा प्रबंधक अजीत कुमार से स्पष्टीकरण की मांग की गयी है। उनका कहना है कि जांच में जननी सुरक्षा योजना सहित विभिन्न मदों में एक ही लाभार्थी के खाते में अलग- अलग डेट्स में अनेक बार भुगतान किया गया। यह सरकारी राशि का गबन प्रतीत होता है जो कि एक गंभीर मामला है। बताया जा रहा है कि सिविल सर्जन केस भी करने वाले हैं।
Kodarma:मर्द भी हो रहे प्रेग्नेंट
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