L19 DESK : शारदीय नवरात्र को लेकर देश भर में धर्मावलंबियों में काफी उत्साह दिख रहा है। रविवार 15 अक्तूबर से मां दुर्गा की नौ दिनों की अराधना शुरू होगी। कलश स्थापना के बाद भक्त अपनी कल्याणमयी मां की पूजा-अर्चना में जुट जायेंगे। वैसे भी शनिवार को महालया के बाद से ही सभी घरों में मां दुर्गा के आगमन और कलश स्थापना की तैयारियां शुरू कर दी गयी है। सभी घरों में दुर्गा सप्तशती का यह मंत्र या देवी सर्वभूतेषु विद्या-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥’ गुंजने लगा है। भक्तजनों की अराध्य माता दुर्गा आज धरती पर आगमन कर रही है। हर साल मां देवी दुर्गा के भक्तों को नवरात्रि का इंतजार बेसब्री से रहता है। शारदीय नवरात्र 24 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान नौ दिनों तक माता रानी के अलग-अलग स्वरूपों की भक्तगण पूजा-अर्चना करेंगे। माता रानी हर वर्ष नवरात्रि में अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती है। जिसका अपना अलग महत्व व अर्थ होता है। इस साल की नवरात्रि में मां देवी दुर्गा अपने भक्तों से मिलने के लिए हाथी (गजराज) पर सवार होकर आ रही हैं।
भागवत पुराण के अनुसार, हाथी पर मां देवी दुर्गा का आगमन अत्यंत ही शुभ माना जाता है। हाथी वाहन सुख-समृद्धि और धन-धान्य का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में माता रानी इस नवरात्रि में अपने भक्तों और दुनिया के लिए ढेरों खुशियां और जश्न लेकर आ रही हैं। मान्यता है कि मां देवी दुर्गा जब भी हाथी पर सवार होकर धरती पर आ रही है उस वर्ष देश में जमकर वर्षा होती है। इसके अलावा देश में समृद्धि और धन-धान्य में काफी बढ़ोत्तरी होती है। नवरात्रि का पहला दिन जब भी रविवार या सोमवार के दिन पड़ता है तो ऐसे में इस दिन देवी दुर्गा का वाहन हाथी रहता है।
माता रानी का आगमन और प्रस्थान दोनों ही सवारी अलग-अलग वाहनों पर होती है। इस नवरात्रि में मां देवी गजराज पर सवार होकर आ रही है धरती से मुर्गा वाहन में सवार होकर प्रस्थान करेंगी। हालांकि मुर्गा का वाहन शुभ नहीं माना जाता है कहा जाता है कि देवी मां का यह वाहन कष्ट और दुख-तकलीफ का संकेत देता है। इसके साथ ही मुर्गा का वाहन राजतंत्र के लिए भी शुभ नहीं माना जाता है।