L19 DESK (Anshu) : क्या दिल्ली में आप पार्टी के सांसद संजय सिंह के बाद अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी गिरफ्तार कर लिये जायेंगे? क्या पांचवे समन के बाद अब ईडी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर लेगी? इस सवाल का जवाब आपको इस खबर के माध्यम से ही मिल सकता है।
पहले तो एक झलक में दिल्ली के प्रकरणों पर नजर डालते हैं। दरअसल, दिल्ली के शराब घोटाला मामले में आप सांसद संजय सिंह को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले इसी पार्टी से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और फिर सत्येंद्र जैन की भी गिरफ्तारी हुई थी। मगर अब ईडी की गिरफ्तारी पर सवाल खड़े होने शुरु हो गये हैं। और ये सवाल खुद सुप्रीम कोर्ट खड़े कर रही है।
दरअसल, जब सांसद संजय सिंह के यहां ईडी की छापेमारी चल रही थी, उसी दिन मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ईडी से सवाल किया कि जब यह आरोप लगाया जा रहा है कि दिल्ली में हुए शराब घोटाले से आप पार्टी को फायदा पहुंचा है, तो फिर ईडी ने पूरी पार्टी को ही मनी लाउंड्रिंग मामले में आरोपी क्यों नहीं बनाया? इसके लिये ईडी को अब कोर्ट के समक्ष जवाब पेश करना होगा। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने एक दूसरे मामले में ईडी को फटकार लगायी है। कोर्ट ने ईडी को नसीहत दी कि किसी भी मामले में बदले की कार्रवाई नहीं होनी चाहिये। जांच की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिये।
वहीं, कोर्ट ने ईडी को यह भी आदेश दिया कि किसी आरोपी को गिरफ्तार करने के दौरान उसकी वजह की एक लिखित कॉपी सौंपनी जरूरी है ताकि लिखित कारणों के आधार पर आरोपी अपने वकील की मदद ले सके। आरोपी को यह बताना जरूरी होगा कि उसे किस आधार पर गिरफ्तार किया जा रहा है। मगर इसमें एक बहुत अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर आरोपी बार बार समन करने पर भी ईडी के समक्ष हाजिर नहीं होता है, तो यह गिरफ्तारी का आधार नहीं बन सकता। अब
इससे तो यही लगता है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पांच बार समन भेजने के बाद भी ईडी गिरफ्तार नहीं कर सकती है। पांच बार तो क्या, बार बार समन करने के बाद भी अब इस आधार पर मुख्यमंत्री गिरफ्तार नहीं हो सकेंगे। समन को लेकर मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। उन्होंने अपनी याचिका के तहत ईडी के समन को ही गैर कानूनी बताया था। सीएम का कहना था कि उन्हें किस कथित अपराध के लिये सबूत पेश करने की जरूरत है, ये नहीं बताया जा रहा है। और तो और उनकी सारी संपत्तियों की जानकारी आयकर और जनता के समक्ष है, तब उन्हें किस आधार पर जमीन घोटाला मामले में पूछताछ के लिये बुलाया जा रहा है। मगर सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया कि मुख्यमंत्री ने एक सीढ़ी स्किप करते हुए कानून का दरवाजा खटखटाया है। उन्हें इस याचिका को पहले हाईकोर्ट में दायर करना चाहिये था, मगर उन्होंने पहले ही सुप्रीम कोर्ट की शरण ली।
एक बात यहां गौर करने वाली है ये है कि मुख्यमंत्री को भले ही सुप्रीम कोर्ट ने राहत प्रदान नहीं की, मगर दूसरे केस में हुई सुनवाई के वजह से उन्हें राहत मिलने की उम्मीद नजर आ रही है। क्योंकि अब मुख्यमंत्री को ईडी के समन को ठुकराने के आधार पर गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा। और तो और अगर उन्हें पूछताछ के दौरान गिरफ्तार कर भी लिया जाता है, तो उन्हें उसी वक्त एक लिखित कॉपी भी सौंपी जायेगी, जिसमें गिरफ्तारी की वजह बतायी जायेगी।
हालांकि एक और गौर करने वाली बात ये भी है कि मुख्यमंत्री ने अपनी याचिका के तहत ये सवाल किया था कि उन्हें किस आधार पर समन किया जा रहा है, ये नहीं बताया गया है। और सुप्रीम कोर्ट ने भी समन के आधार के बारे में कुछ नहीं कहा। वहीं, सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज किये जाने के बाद मुख्यमंत्री ने हाईकोर्ट का सहारा लिया। जहां याचिका में कई छोटी बड़ी गलतियां होने के कारण इसे सूचीबद्ध नहीं किया जा सका। मगर अब सारी गलतियां सुधार ली गयी हैं। यानी अब सुनवाई हो सकेगी। सुनवाई की तारीख कल 6 अक्टूबर के लिये तय की गयी है। तो क्या अब हाईकोर्ट से मुख्यमंत्री को राहत मिल सकेगी?