L19 Desk. झारखंड के उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग में मैनपावर की काफी कमी है। सरकार के पास अवैध शराब पर काबू पाने के लिए सिर्फ उत्पाद निरीक्षक ही सबसे अधिक हैं। 37 स्वीकृत पदों में से 29 ही अभी कार्यरत हैं। इसके अलावा 44 अवर निरीक्षक उत्पाद और 67 उत्पाद सिपाहियों की मदद से विभाग का भारी भरकम काम चल रहा है। झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की तरफ से उत्पाद आरक्षियों के लिए निकाली गयी वैकेंसी तीन साल से लंबित है। अब सरकार की नियोजन नीति के हाईकोर्ट के रद्द होने के बाद से नियुक्ति पर भी संकट का बादल मंडराने लगा है। 24 जिलों के 1588 से अधिक रीटेल शराब की दुकानों की नयी उत्पाद नीति के तहत बंदोबस्ती तो कर ही दी गयी है।
इन दुकानों को जोन के आधार पर बांटा गया है। अधिकतर जोन में सुमित फैसिलिटीज प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से काम किया जा रहा है। जोन-3 और जोन-6 का काम जीडीएक्स फैसिलिटीज को हाल ही में सुमित फैसिलिटीज और एटूजेड इंफ्रा सर्विसेज से काट कर दी गयी है। जानकारी के अनुसार एटूजेड इंफ्रा सिर्फ सरायकेला, धनबाद और चाईबासा जिले में ही काम कर रही है। शेष जगहों पर सुमित फैसिलिटीज औऱ जीडीएक्स फैसिलिटिज प्राइवेट लिमिटेड, इगल हंटर कंपनियों को दुकानों में मैनपावर का काम दिया गया है, जो शराब की बि क्री को लेकर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं।
झारखंड में छत्तीसगढ़ स्टेट बीभरेज कारपोरेशन लिमिटेड के दिशानिर्देश पर तैयार उत्पाद नीति 2022 मई में प्रभावी की गयी है। नयी नीति के तहत मैनपावर कंपनियों पर ही शराब की बि क्री औऱ् शत प्रतिशत लक्ष्य की वसूली का जिम्मा भी है। इतना ही नही इन कंपनियों पर अवैध शराब की बि क्री को रोकने के लिए सरकार के जिला स्तरीय उत्पाद सिपाही, जिला स्तरीय अवर निरीक्षक और उत्पाद निरीक्षकों का सहयोग अपेक्षित भी है। पर कई जिलों में पर्याप्त संख्या में जिला स्तरीय कार्यालय का सहयोग नहीं मिलने से शराब के अवैध व्यापार पर लगाम नहीं कसा जा सक रहा है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नवंबर 2022 को हुई समीक्षा बैठक के दौरान कहा था कि अवैध शराब पर लगाम लगाना जरूरी है। इसके लिए वैसे दुकान जहां अवैध ट्रेड को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहां पर कार्रवाई करने की बातें भी कही गयी थीं। पर अवैध व्यापार में लगे लोगों को पकड़ा तो जा रहा है, पर उनके खिलाफ विभागीय स्तर पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है, जिसका सारा असर लक्ष्य पर पड़ रहा है।
2310 सौ करोड़ का है भारी-भरकम टार्गेट
राज्य में मार्च 2023 तक 2310 करोड़ रुपये की शराब से राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया है। अब तक 1710 करोड़ रुपये वसूली गयी है। वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर अब मात्र 27 दिन बचे हैं। इस महीने, होली, शब-ए-बारात और सरहुल भी है। सरकार का ध्यान रेवेन्यू पर अधिक है।