- मामला सीबीआइ के इकोनोमिक ऑफेंस, प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय तक पहुंचा
- पिछले दरवाजे से प्रदीप प्रसाद एवं अन्य कंपनी के अधिग्रहण के चक्कर में
- अभय कुमार, प्रदीप प्रसाद, गुलजार हुसैन, अकासिया ट्रेड लिमिटेड कर रहे हैं दावेदारी
L19/Ranchi : राजधानी के सबसे पुराने बॉल बियरिंग्स कंपनी की संपत्ति हथियाने की शिकायत दिल्ली हाईकोर्ट के ऑफिशियल लिक्विडेटर से बुधवार, 16 अगस्त को की गयी। इसमें कहा गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित कंपनी एप्लीकेशन 375 ऑफ 2023 का मामला अब तक विचाराधीन है। ऐसे में अपने आप को एग्रीमेंट होल्डर कहनेवाले प्रदीप प्रसाद पिछले दरवाजे से एसबीएल का अधिग्रहण करना चाहते हैं। इन सभी कृत्यों के आधार पर सीबीआइ के इकोनोमिक ऑफेंस कार्यालय, प्रवर्तन निदेशालय को भी सूचना देते हुए कार्रवाई की मांग की गयी है।
एसबीएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड का मामला दिल्ली हाईकोर्ट में लिक्विडेशन स्टेज में है। एडवोकेट नित्यानंद महतो ने इस संबंध में ऑफिशियल लिक्विडेटर को पत्र लिख कर कहा है कि एसबीएल इंडस्ट्रीज परिसर के समक्ष एक बोर्ड लगाया जाये, जिसमें स्पष्ट लिखा जाये कि कंपनी की जमीन की खरीद-बिक्री नहीं हो सकती है। दूसरे दावेदार अभय कुमार और मो गुलजार की तरफ से यह कहा गया है कि पूर्व प्रबंधन पीसी सेन की तरफ से लिक्विडेशन के दौरान शेयरों का ट्रांसफर नहीं किया गया। रांची के अभय कुमार और गुलजार हुसैन ने अपने को कंपनी का निदेशक होने का दावा किया है।
इसके बाद कंपनी के पूर्व निदेशक पीसी सेन को भेजे गये नोटिस में एक कथित दावेदारी प्रदीप प्रसाद को भी सौंपते हुए उनके साथ पीसी समझौता किया है। दस्तावेजों के अनुसार किशोरगंज, रांची के अभय कुमार और मो गुलजार को तत्कालीन निदेशक पीसी सेन ने डायरेक्टर बनाया था। कंपनी के निदेशक मंडल से पीसी सेन ने 31 मार्च 2010 को इस्तीफा दिया था और कहा था कि वह निदेशक मंडल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने यह कहा था कि कंपनी का मामला लिक्विडेशन में है। वहीं कंपनी की दूसरी निदेशक कृष्णा सेन ने भी 18 मई 2010 को अपना इस्तीफा दे दिया था।
द्विपक्षीय समझौते के तहत कंपनी के निदेशक मंडल ने बोर्ड की बैठक में अभय कुमार और मो गुलजार को निदेशक नियुक्त किये जाने और उनके इंडक्शन पर भी सहमति दी थी। यह बैठक 31 मार्च 2010 को हुई थी। इसमें शंभू एस कुमार, अभय कुमार, किशोर साहू और गुलजार हुसैन को निदेशक मंडल में शामिल करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इस प्रस्ताव पर तत्कालीन निदेशक पीसी सेन की सहमति भी थी। यह बैठक कोलकाता में आयोजित की गयी थी। क्या है पूरा मामला एसबीएल इंडस्ट्रीज को बचाने के लिए एक सौ रुपये के भारतीय गैर न्यायिक स्टांप पेपर पर 25 मई 2011 को पीसी सेन ने रांची के किशोरगंज निवासी अभय कुमार और पुनदाग, जगरनाथपुर के रहनेवाले मो गुलजार हुसैन के साथ द्विपक्षीय समझौता किया था।
पीसी सेन ने कंपनी के 70 प्रतिशत शेयर इन दोनों के नाम ट्रांसफर करने की बात भी स्वीकार की थी। इंडियन कंपनीज एक्ट 1956 के तहत बीमारू कंपनी एसबीएल की कुल अधिकृत संपत्ति 27.50 करोड़ रुपये तय की थी। इसके 20 लाख इक्विटी शेयर 10 रुपये के हिसाब से तय किये गये थे, जिसका प्रेफरेंशियल मूल्य 10 रुपये प्रति शेयर था। कंपनी का पेड अप कैपिटल एक करोड़ 47 लाख 41 हजार चार सौ रुपये था, जिसके 14,74,140 शेयर तय किये गये थे। एक एक शेयर का मूल्य 10 रुपये तय किया गया था। इसके अलावा पीसी सेन ने कई और समझौते किये हैं, जिसकी जानकारी कोर्ट को दी जायेगी।
पत्र में कहा गया है कि पीसी सेन, अभय कुमार और मो गुलजार हुसैन ने 25.5.2011 को मेसर्स एकासियो ट्रेड लिंक प्राइवेट लिमिटेड से फंड लाने के लिए समझौता किया था। यह कहा गया था कि मेसर्स एकासियो ट्रेड लिंक कंपनी वित्तीय परेशानियों से कंपनी को उबारेगी। इसी बीच 27.1.2012 को एसबीएल इंडस्ट्रीज के पूर्व निदेशक पीसी सेन ने अभय कुमार के साथ हुए समझौते के आधार पर एकासियो से 4.10 करोड़ रुपये 10 फरवरी 2012 को प्राप्त किये।
इसकी सूचना दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भी दी गयी। अब इस कंपनी की जमीन को बेचने के लिए अवैध तरीके अपनाये जा रहे हैं। अवैध ट्रांजैक्शन भी पूर्व प्रबंधन से जुड़े पीसी सेन और श्रीमती कृष्णा सेन की तरफ से का जा रहा है। पत्र में कंपनी की जमीन का सीमांकन कराये जाने का अनुरोध किया है। साथ ही साथ यह भी कहा गया है कि कंपनी की जमीन को बेचने की जो सूचना आ रही है, ऐसा करनेवालों के खिलाफ संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की जाये।