निर्दलीय विधायक सरयू राय ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि लिट्टी चौक, जमशेदपुर से एनएच -33 तक पुल एवं पथ निर्माण के बारे में पथ निर्माण विभाग द्वारा विधानसभा में भ्रामक उत्तर दिया गया है और तथ्यों को छिपाया गया है। सरयू राय ने पत्र में लिखा है – मेरे प्रश्न के उत्तर में दिनांक 23.03.2022 को सदन में सरकार की तरफ से बताया गया कि ‘जहां तक लिट्टी चौक एनएच -33 के लिए पथ निर्माण एवं पुल का प्रश्न है, यह मार्ग रेखांकन पथ निर्माण विभाग के स्वामित्व का नहीं है। जिसकी संभाव्यता एवं निधि की उपलब्धता के अनुसार अग्रेतर कार्रवाई की जा सकेगी’।
इस संबंध में मैंने एक से अधिक बार सचिव, पथ निर्माण से अद्यतन स्थिति के बारे में जानना चाहा, परंतु संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। पथ निर्माण विभाग में लंबित योजनाओं की स्थिति के बारे में मैंने जानकारी एकत्र की, तो पता चला कि लिट्टी चौक से एनएच -33 तक स्वर्णरेखा नदी पर पुल एवं पथ निर्माण की योजना की तकनीकी स्वीकृति मुख्य अभियंता (केंद्री निरूपण संगठन) के स्तर से सितंबर 2019 में ही मिल गई थी और विभागीय पत्रांक 1086 (अनु.) दिनांक 06.09.2019 के द्वारा इसे प्रशासनिक स्वीकृति के लिए विभागीय सचिव के पास भेजा गया।
इस योजना के लिए कुल प्राक्कलित लागत 233.71 करोड़ रुपये की तकनीकी स्वीकृति दी गई है। पता नहीं कि उस समय की सरकार ने ऐसा क्या किया कि योजना की प्रशासनिक स्वीकृति नहीं हो पायी। कोविड काल की विभीषिका में शिथिलता आने के बाद विधानसभा के पंचम (बजट) सत्र-2022 में मैंने इस योजना के बारे में प्रश्न पूछा, तो पथ निर्माण विभाग ने वस्तुस्थिति के बारे में सही उत्तर नहीं दिया और वस्तुस्थिति को छिपाकर सदन को गुमराह किया। सरयू राय ने पत्र में लिखा है कि सदन में प्रश्नों का गलत और भ्रामक उत्तर देकर सदन को गुमराह करना विधानसभा की अवमानना करना है।
विधानसभा में प्रश्न पूछने वाले सदस्यों के विशेषाधिकार का हनन है। यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि विभाग की ओर से सदन में प्रश्नों का उत्तर देने का दायित्व विभागीय मंत्री अथवा मुख्यमंत्री के विभागों से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देनेवाले प्रभारी मंत्री का है। सरयू राय ने अनुरोध किया है कि योजना की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान करने एवं योजना निर्माण की प्रक्रिया आरंभ करने संबंधी निर्देश दिया जाये।