L19/East Singhbhum : जिले में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में दलमा वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी को ए श्रेणी के पर्यटन स्थल के रूप में मान्यता मिली है. यह सैंक्चुरी 193 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली है. इसकी ऊंचाई 3000 फीट है, जहां से रात में जमशेदपुर टिमटिमाते तारे की तरह नजर आता है. स्वदेश दर्शन योजना के तहत दलमा वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी को विकसित करने का काम शुरू कर दिया गया है. केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी स्वदेश दर्शन योजना में दलमा को भी शामिल किया गया है. इसके तहत डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से इसे इको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है.
बता दे, हाथियों के अभ्यारण्य दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी का विकास का नया खाका तैयार किया गया है. इसके तहत इको टूरिज्म पर विस्तृत योजना बनायी गयी है. इसको लेकर सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. इस प्रस्ताव की मंजूरी को लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. अगस्त माह के बाद से इसका काम शुरू कर दिया जायेगा. जंगल में ‘मड हट’ यानी मिट्टी की झोपड़ी बनायी जायेगी, ताकि लोग वहां आकर ठहर सकें. इसके अलावा नेचर इंटरसेप्सन सेंटर को पूरी तरह अत्याधुनिक बनाया जायेगा. एक टच में लोगों को तमाम जानकारी यहां हो सके, ऐसी व्यवस्था की जा रही है. आंखों में लगाने वाले आडियो वीडियो सिस्टम लगाया जायेगा, ताकि लोग पूरे जंगल और जानवरों की जानकारी ले सकें. एक स्टडी सेंटर के रूप में भी पूरे एरिया को विकसित किया जायेगा. इसके अलावा लोगों के बैठने के लिए जगह-जगह बेंच और वाटर वेंडिंग मशीन लगायी जायेगी.
दूसरी ओर, बताया जा रहा है कि दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में अब भ्रमण करना महंगा होगा. एक सितंबर से नयी दर लागू होगी. एंट्री फीस दो रुपये की जगह अब 20 रुपया होगा. वहीं, दमला गेस्ट हाउस के कमरे का किराया दो हजार रुपये हो जाएगा. पहले कमरे का किराया एक हजार रुपये था. पर्यटकों से अलग-अलग सेवाओं के लिए इको मैनेजमेंट फीस लिया जाएगा. इसके अलावा चार पहिया वाहनों से 80 रुपये की जगह 600 रुपये लगेंगे. बताते हैं कि वाहनों की दर में इतनी वृद्धि क्षेत्र को इको टूरिज्म में तब्दील करने को लेकर किया गया है. बताया गया है कि पार्किंग दर में अप्रत्याशित वृद्धि को देखते हुए पर्यटक दलमा क्षेत्र में कम वाहनों को लाएंगे.
वर्ष 1975 में स्थापित इस सैंक्चुरी को ए श्रेणी के पर्यटन स्थल के रूप में मान्यता मिली है. यह सैंक्चुरी हाथियों के लिए संरक्षित है. इसमें हाथी के अलावा बंदर, भालू, सियार, हिरण, जंगली मुर्गी, लाल गिलहरी समेत अन्य पशु-पक्षी के साथ-साथ सैकड़ो प्रकार के जड़ी-बूटी के पौधे पाये जाते हैं. मालूम हो कि संजय गांधी ने इस अभ्यारण्य का उद्घाटन किया था. इसमें स्तनधारियों, पक्षी प्रजातियों और वनस्पति प्रजातियों की एक विस्तृत विविधता मौजूद है.