L19/Ranchi : राजधानी रांची का श्रीराम बाल बियरिंग्स लिमिटेड (एसबीएल) अब बंद है। यहां के 500 से अधिक कर्मी आज भी अपने ग्रैच्यूटी और लंबित वेतनमान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कई तो पैसे के अभाव में मौत के गाल में समा गये। अलग झारखंड राज्य बनने के बाद से इस कंपनी का मामला कई न्यायालयों तक पहुंचा। फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट में मामला कंपनी के बंद होने और कामगारों के उचित भुगतान को लेकर विचाराधीन है। दिल्ली हाईकोर्ट में हाल ही में एक याचिका दायर की गयी है, जिसमें रांची के अभय कुमार और गुलजार हुसैन ने अपने को कंपनी का निदेशक होने का दावा किया है।
इन लोगों ने कोर्ट में जो दस्तावेज प्रस्तुत किये हैं, उसमें कहा गया है कि किशोरगंज, रांची के अभय कुमार और मो गुलजार को तत्कालीन निदेशक पीसी सेन ने डायरेक्टर बनाया था। कंपनी के निदेशक मंडल से पीसी सेन ने 31 मार्च 2010 को इस्तीफा दिया था और कहा था कि वह निदेशक मंडल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने यह कहा था कि कंपनी का मामला लिक्विडेशन में है। वहीं कंपनी की दूसरी निदेशक कृष्णा सेन ने भी 18 मई 2010 को अपना इस्तीफा दे दिया था। इन सभी स्थितियों को देखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कंपनी के तत्कालीन निदेशक पीसी सेन से वस्तुस्थिति की जानकारी मांगी है।
मामले की सुनवाई आठ सितंबर 2023 को होगी। इसमें कंपनी के मालिकाना हक पर फैसला लिया जायेगा। द्विपक्षीय समझौते के तहत कंपनी के निदेशक मंडल ने बोर्ड की बैठक में अभय कुमार और मो गुलजार को निदेशक नियुक्त किये जाने और उनके इंडक्शन पर भी सहमति दी थी। यह बैठक 31 मार्च 2010 को हुई थी। इसमें शंभू एस कुमार, अभय कुमार, किशोर साहू और गुलजार हुसैन को निदेशक मंडल में शामिल करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इस प्रस्ताव पर तत्कालीन निदेशक पीसी सेन की सहमति भी थी। यह बैठक कोलकाता में आयोजित की गयी थी।
जानकारी के अनुसार डुबते हुए एसबीएल इंडस्ट्रीज को बचाने के लिए एक सौ रुपये के भारतीय गैर न्यायिक स्टांप पेपर पर 25 मई 2011 को पीसी सेन ने रांची के किशोरगंज निवासी अभय कुमार और पुनदाग, जगरनाथपुर के रहनेवाले मो गुलजार हुसैन के साथ द्विपक्षीय समझौता किया था। पीसी सेन ने कंपनी के 70 प्रतिशत शेयर इन दोनों के नाम ट्रांसफर करने की बात भी स्वीकार की थी। इंडियन कंपनीज एक्ट 1956 के तहत बीमारू कंपनी एसबीएल की कुल अधिकृत संपत्ति 27.50 करोड़ रुपये तय की थी। इसके 20 लाख इक्विटी शेयर 10 रुपये के हिसाब से तय किये गये थे, जिसका प्रेफरेंशियल मूल्य 10 रुपये प्रति शेयर था। कंपनी का पेड अप कैपिटल एक करोड़ 47 लाख 41 हजार चार सौ रुपये था, जिसके 14,74,140 शेयर तय किये गये थे। एक एक शेयर का मूल्य 10 रुपये तय किया गया था।