L19/Ranchi : रथयात्रा को लेकर भगवान का रथ सजधज कर तैयार है। रंग रोगन कर इसे सजाया संवारा गया है। ओड़िशा के कलाकारों ने स्थानीय कलाकारों के साथ मिलकर इसे सजाया-संवारा है. भगवान जगन्नाथ सोमवार को एकांतवास से बाहर आयेंगे। शाम चार बजे से उनका नेत्रदान अनुष्ठान शुरू होगा। शाम पांच बजे के बाद भगवान सर्व दर्शन के लिए सुलभ होंगे। इससे पूर्व भगवान जगन्नाथ समेत सभी विग्रहों को दर्शन मंडप में लाकर रखा जायेगा। फिर आरती के बाद भोग लगाया जायेगा। इसके बाद से आम भक्त भगवान की पूजा कर सकेंगे।
भगवान रात भर दर्शन मंडप में रहेंगे और वहीं रात्रि विश्राम करेंगे। अगले दिन मंगलवार को प्रात: भगवान की पूजा कर पांच बजे के बाद उनका पट खोल दिया जायेगा। वहीं, दिन में पट बंद कर भगवान समेत सभी विग्रहों को रथारूढ़ किया जायेगा। इसके बाद रथ की सजावट और विष्णु लक्षार्चना कर आरती की जायेगी। इसके बाद भक्त रथ को खींचते हुए मौसीबाड़ी जायेंगे, जहां भगवान के सभी विग्रहों को मंदिर में विराजमान किया जायेगा। वहां मंगल आरती व भोग निवेदन के बाद मंदिर का पट बंद कर दिया जायेगा। मालूम हो कि चार जून को स्नान यात्रा के दिन से प्रभु एकांतवास में गये हुए थे।
नेत्रदान के दिन क्या होता है
- प्रात: पांच बजे सुप्रभातम
- प्रात: छह बजे मंगल आरती दिन के 12 बजे अन्न भोग
- शाम चार बजे नेत्रदान पूजा
- शाम पांच बजे मंगल आरती के साथ सर्व दर्शन सुलभ
- रात नौ बजे आरती व भोग
रथयात्रा के दिन क्या होता है
- प्रात: पांच बजे भगवान जगन्नाथ स्वामी का दर्शन सुलभ
- दिन के दो बजे दर्शन बंद दिन के 2:30 बजे तक सभी विग्रहों को रथारूढ़ किया जायेगा
- दिन के तीन बजे तक शृंगार.
- दिन के तीन बजे से साढ़े चार बजे तक विष्णु सहस्त्रनाम
- पूजा शाम पांच बजे रथ मौसीबाड़ी के लिए प्रस्थान करेगा
- शाम छह बजे रथ का मौसीबाड़ी आगमन
- शाम 6.05 बजे महिलाएं रथ पर भगवान की पूजा करेंगी
- शाम सात बजे दर्शन बंद व विग्रहों को मंदिर में रखा जायेगा
- रात आठ बजे 108 मंगल आरती के बाद शयनम
मेला स्थल में मिठाई समेत अन्य दुकानें लग गयी हैं। दुकान मुख्य मंदिर से लेकर मौसीबाड़ी होते हुए जगन्नाथपुर गोलचक्कर व उसके आसपास के एरिया में लगी है। मेला में झूला के अलावा मीना बाजार व मौत का कुआं लोहे कि दुकान भी है। यह मेला घूरती रथ मेला तक लगा रहता है