L19 DESK : दिल्ली और छत्तीसगढ़ के बाद अब झारखंड में भी शराब घोटाले की सुगबुगाहट होने लगी है। केंद्रीय एजेंसियों को संदेह होने लगा है कि झारखंड में सरकारी उत्पाद नीति के समानांतर शराब की अवैध तरीके से बिक्री करके काफी लाभ कमाया गया है। दरअसल, छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच कर रही ईडी को जांच के क्रम में जो साक्ष्य मिले है, उनका सीधा संबंध झारखंड शराब नीति से है।
बताया जाता है कि जिन तीन कंपनियों को छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला केस में किंगपिन माना जा रहा है, वही झारखंड की शराब नीति में भी सीधा हस्तक्षेप करते है। ईडी ने जिन तीन कंपनियों को शिकंजे में लिया है उनके नाम हैं, छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड, प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्योरिटीज लिमिटेड और मेसर्स सुमित फेसिलिटीज लिमिटेड। झारखंड में जो नई उत्पाद नीति बनी, उसमें इन तीनों कंपनियों को मुख्यरूप से जिम्मेदारियां दी गई है। फिलहाल जांच होना बाकी है।
ED के घेरे में छत्तीसगढ़ में ये तीन कंपनियां
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में जो नई उत्पाद नीति बनी उसमें छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अरुणमणि त्रिपाठी को सलाहकार नियुक्त किया गया। प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्योरिटीज लिमिटेड को शराब की बोतलों में होलोग्राम छापने का काम सौंपा गया। मेसर्स सुमित फेसिलिटीज लिमिटेड को शराब की बिक्री के लिए बने चेन में मैन-पावर सप्लाई करने का काम दिया गया है।
बता दें की ईडी छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले में इन्हीं तीनों कंपनियों को किंगपिन मानती है। ईडी ने छत्तीसगढ़ में जांच के दौरान पाया कि एक ओर नियमों का पालन करते हुए सरकार द्वारा तय होलोग्राम लगाकर सरकारी शराब की दुकानों में शराब की आपूर्ति की गई वहीं दूसरी ओर प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्योरिटीज लिमिटेड ने शराब की बोतलों में होलोग्राम लगाकर शराब बनाने वाली कंपनियों को दिया। शराब कंपनियों ने इसे सरकारी खुदरा शराब की दुकानों तक पहुंचाया जिसका हिसाब-किताब सरकारी आंकड़ों में नहीं दर्ज है। ईडी को झारखंड में भी यही खेल किए जाने का संदेह है।
अधिकारियों ने खुद को बचाने का पूरा इंतजाम कर लिया था
बता दें की राज्य में अधिकारियों ने शराब नीति में खुद को बचाने का पूरा इंतजाम कर लिया था जिसमें किसी भी प्रकार की गड़बड़ी चाहे वो दुकान के लाइसेंस का मामला हो या आपूर्ति का, गलती पकड़े जाने पर छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई होती और अधिकारी साफ बचकर निकल जाते। राज्यपाल रमेश बैस ने उत्पाद नीति की धारा-57 पर आपत्ति जताते हुए विधेयक लौटा दिया था।
बाबूलाल मरांडी ने लगाए थे गंभीर आरोप
गौरतलब है कि लंबे समय से भाजपा विधायक दल के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी कहते आए है की राज्य में अधिक पैमाने पर शराब घोटाला कर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाया गया है। बाबूलाल मरांडी ने यह भी कहा था कि झारखंड में उन्हीं कंपनियों को शराब नीति में अहम जिम्मेदारियां दी गई जिनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे है।