L19 Desk : 2022 से 2023 तक के सालभर के अंतराल में अबतक झारखंड में कुल 694 बच्चे लापता हो गए इनमें से 560 बच्चों का पता चल चुका है, लेकिन 134 बच्चों का अबतक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि गुमशुदा 134 बच्चों में से 122 बच्चे शिकायत अनुसार सिर्फ जमशेदपुर जिले के रहने वाले है। यह आकड़ा झारखंड में पुनः बाल अपराध, बाल मजदूरी और मानव तस्करी जैसे अपराधों को हवा देने का काम कर रही है। आपको बता दें कि लापता बच्चों में से कई बच्चों को दूसरे राज्यों में काम दिलाने के बहाने ले जाया जाता है। कई बच्चों को अपराध के दलदल में फंसा दिया जाता हैं, तो कई बच्चों को मानव तस्कर अलग-अलग कामों के लिए उन्हें इस्तेमाल करते हैं।
झारखंड से ज्यादातर बच्चे मानव तस्करी का होते हैं, शिकार
झारखंड के जमशेदपुर जिले में बच्चों की सबसे अधिक गुमशुदा होने की शिकायतें दर्ज है। इस शिकायत दर्ज को निदान करने हेतु यहां मानव तस्करी में लापता हुए लोगों की खोज के लिए अलग से टीम का गठन किया जा रहा है। कोल्हान क्षेत्र में मानव तस्करी को रोकने के लिए विशेष थाना के रूप में चाईबासा को शामिल किया गया है। 8 ऐसे भी मामले हैं जिसमें लड़कियों को काम के बदले ज्यादा वेतन देने के बहाने बाहर राज्य ले जाया जाता है, लेकिन कही उन्हें अधेड़ उम्र के लोगों से शादी करा दिया जाता है या फिर उन्हें वेश्यलयो में बेच दिया जाता है। इस प्रकार से जुड़ी घटना की शिकायतों को हर थाने से इकट्ठा कर एक ब्योरा तैयार किया जा रहा है ताकि तस्कर करने वाले लोगों को पकड़ सके और इस घटना में शिकार हुए सभी गुमशुदा लोगों को ढूंढ सके।