
देश भर में जल का स्तर लगातार घटता जा रहा है। इसी बीच दैनिक अखबार हिंदुस्तान में छपी एक खबर के मुताबिक झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की 176 नदियां या तो पूरी तरह सूख चुकी हैं, या फिर सूखने की कगार पर हैं। झारखंड, बिहार और उत्तराखंड में ही 146 से अधिक छोटी नदियां सूख चुकी हैं। इनमें झारखंड की 44 नदियां शामिल हैं जो बीते 2 महीने में सूख चुकी हैं। उधर, यूपी में भी 30 से अधिक नदियां सूखी पड़ी हैं। अगर छोटी नदियों की बात करें तो वह करीब 100 के आसपास होंगी।
जलप्रपातों से झारखंड राज्य का सौंदर्य बढ़ाने वाले दशम, हुंडरू, सीता और जोन्हा फॉल मार्च में ही सूख गये। इसी तरह उत्तराखंड में 461 प्राकृतिक स्रोत हैं, जिनमें मात्र 25 फीसदी ही पानी रह गया है। वहीं, उत्तर बिहार की 2 सबसे बड़ी नदियों में शामिल बूढ़ी गंडक और बागमति सूखने की कगार पर हैं। झारखंड के विभिन्न जिलों में बीते दो महीने से पड़ रही भीषण गर्मी के कारण 44 छोटी बड़ी नदियां पूरी तरह से सूख चुकी हैं। वहीं, करीब एक दर्जन नदियों में बहुत कम पानी शेष है। बता दें, राज्य में कुल 91 नदियां हैं। भीषण गर्मी का असर भूगर्भ जलस्तर पर दिख रहा है और पानी पाताल में पहुंच चुका है।
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, देश की 96 फीसदी नदियां 10 से 100 किमी की दूरी ही तय कर पाती हैं। आंकड़ों के अनुसार, केवल 3% नदियां ही 500 से 3000 किमी या उससे अधिक की दूरी तय कर पाती हैं। वहीं, वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड के मुताबिक,नदियों के सूखने का सिलसिला अगगर इसी तरह बरकरार रहा, तो आगामी कुछ सालों में भारत का 25% हिस्सा रेगीस्तान बन जायेगा।
