पलाश के फूल खिल चुके हैं। चटख लाल रंग के इन फूलों से रंग बनाएं और खेलें। इससे कोई नुकसान भी नहीं होता। इसे पलाशभी कहा जाता है। पलाश के सूखे फूल हर जगह आसानी से मिल जाते हैं। फूलों को पानी में बड़े भगौने में उबालिये, ताजा, सुगंधित, स्वास्थ्यप्रद केसरिया रंग तैयार।
पलाश में औषधीय गुण होते हैं:
कहा जाता हैं की भगवान श्रीकृष्ण के युग में भी पलाश के फूलों के रंग से होली खेली जाती थी। वेदों में पलाश के औषधीय गुणों का विस्तार से वर्णन किया गया है। पलाश के रंग में भीगे कपड़े पहनने से ये रंग त्वचा रंध्रों के जरिये त्वचा में प्रविष्ट होकर त्वचा को इसके बहुत सारे संक्रामक रोगों से बचाता है।
आयुर्वेद में बताया गया है कि अगर कोई गर्भवती महिला पलाश के फूलों का थोड़ा रस गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन सेवन करे तो उत्पन्न बालक में बहुत सारी त्वचा व वायरस जन्य रोगों के प्रति प्रबल प्रतिरोध क्षमता होती है। गर्मियों में त्वचा के रोगों की संभावनाएं बहुत अधिक होती हैं। ये भी माना जाता है कि गर्मियों में किसी व्यक्ति में अवसाद और क्रोध दोनों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। पलाशके फलों का अर्क व छाल का रस इन दोनों में लाभकारी माना जाता है आयुर्वेद के अनुसार पलाश में कफ, पित्त व रक्त के दोष, वायु कष्ट, कुष्ट रोग, लू एवं मूत्र रोग दूर करने की क्षमता होती है।
पलाश के फूलों से रंग कैसे बनाया जाता हैं ?
पलाश के फूल आसानी से हर जगह दुकान या कहीं-कही तो सामान्य दुकानदारों के पास भी मिल जाते हैं । जन जगहों पर ये पौधा होता है वहा तो फूल खिलने के मौसम में पलाश फूलों को तोड़ कर, छाया में सुखा कर, भविष्य में प्रयोग करने के लिये रखा जाता है। रंग बनाने के लिए पलाशया पलाश के इन्हीं सूखे फूलों का प्रयोग किया जाता है। 100 ग्राम पलाश के सूखे फूल एक बाल्टी पानी में उबाल कर या वैसे ही भिगो कर रात भर रखें। सवेरे इसे छान लें। बाल्टी भर गाढ़ा केसरिया रंग तैयार है। इसे ऐसे ही या पतला करके प्रयोग किया जा सकता है।