L19 DESK : क्या राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के झारखंड लौटने के बाद अब लिफाफा खुलेगा? क्या गांडेय में उपचुनाव के लिये राज्यपाल मंजूरी दे देंगे? इसे समझने के लिये आपको पहले तो समझना होगा कि आखिर मामला क्या है। अचानक से ये सभी बातें फिर से क्यों उठनी शुरु हो गयी हैं? दरअसल, ईडी द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आखिरी समन भेजेने, वहीं सरफराज अहमद के गांडेय विधानसभा सीट से इस्तीफा देने के बाद एक बार फिर से सबका ध्यान लिफाफा की ओर जाना शुरु हो गया।
रांची लौटने पर साधी चुप्पी
इस बीच सीपी राधाकृष्णन 2 जनवरी को चेन्नई के लिये रवाना हो गये। लेकिन जाते जाते राज्यपाल ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी, जिससे सबको उनके वापस आने का इंतजार होने लगा। कल वह चेन्नई से वापस लौटे। वह रांची एयरपोर्ट पर उतरे, मगर उन्होंने किसी भी मीडियाकर्मी से बात नहीं की। राजभवन पहुंचने तक भी उन्होंने केवल नमस्कार करते हुए किसी बात का कोई जवाब नहीं दिया।
जबकि 2 जनवरी को चेन्नई रवाना होने से पहले वह मीडिया से मुखातिब भी हुए और उन्होंने लिफाफा प्रकरण पर कहा कि जिन्होंने गलत काम किया है, उन्हें सजा अवश्य ही मिलेगी।
पहले भी जब कभी लिफाफे की बात उठी है, उन्होंने बिल्कुल ये ही जवाब दिया है। उनकी इस चुप्पी के बारे में कहा जा रहा है कि ये तूफान से पहले वाली शांति है। सबकी नजरें इस वक्त राजभवन के उस बंद लिफाफे की ओर टिकी हुई है, जो हेमंत सोरेन के विधायिकी के लिये निर्णायक साबित हो सकता है।
गांडेय उपचुनाव को लेकर भी राज्यपाल पर नजर
गांडेय विधानसभा सीट को लेकर भी कयासों का बाजार गर्म होता दिखाई दे रहा है। कयास लगाये जा रहे हैं कि गांडेय विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने को लेकर सत्तापक्ष की ओर से आग्रह किया जा सकता है। वे राजभवन जाकर सीधे राज्यपाल से मिल सकते हैं, और उनसे इस सीट पर उपचुनाव कराने के लिये कह सकते हैं।
सत्ता पक्ष गांडेय में 6 महीने के अंदर उपचुनाव को बाध्यता बता कर इसे जल्द कराने की मांग कर रहा है। सत्ता पक्ष का मानना है कि पांचवी विधानसभा का पहला सत्र यानि इस सरकार का पहला सत्र 6 जनवरी 2020 को शुरु हुआ था। वहीं, विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 तक का है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 151 ए में प्रावधान है कि विधानसभा का कार्यकाल एक साल से ज्यादा होने की स्थिति में रिक्त सीट पर 6 महीने के भीतर उपचुनाव कराया जाना चाहिये। इस संबंध में झामुमो के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा है।
वहीं इसके उलट, विपक्षी दल भाजपा भी राजभवन का रुख कर सकती है। वे राज्यपाल से मिलकर यह उपचुनाव न कराने का आग्रह कर सकते हैं। विपक्ष का मानना है कि वर्तमान सरकार का कार्यकाल एक साल से भी कम के लिये बचा हुआ है। पांचवे विधानसभा का गठन 23 दिसंबर 2019 को हुआ था। जबकि सरफराज अहमद ने 31 दिसंबर 2023 को इस्तीफा दिया है। कोई भी विधानसभा क्षेत्र 6 महीने से ज्यादा समय के लिये बिना सदस्य के नहीं रह सकता। पर इसके लिये एक शर्त है कि अगर चुनाव की तारीख एक साल से कम है तो यहां उपचुनाव नहीं हो सकता। ऐसे में गांडेय विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफे के बाद यहां उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है। ऐसा करना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन होगा। इस संबंध में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने पत्र के माध्यम से इन बातों को राज्यपाल के समक्ष रखा था।
ये भी हैं कयासों की लिस्ट में शामिल
इसके अलावा, चर्चा ये भी है कि राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर खासा नाराज चल रहे हैं। उन्होंने चेन्नई रवाना होने से पहले कानून व्यवस्था की स्थिति पर चिंता जाहिर की थी। कयास लगाये जा रहे हैं कि राज्यपाल गृह सचिव या डीजीपी को कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर आवश्यक निर्दश दे सकते हैं।
इसके साथ ही राज्य के 4 UNIVERSITIES में कुलपतियों और प्रतिकुलपतियों की नियुक्ति होनी है। कयास लगाये जा रहे हैं कि राजभवन सचिवालय की ओर से इन नियुक्तियों के लिये आवेदन आमंत्रित करने को लेकर विज्ञापन जारी किया जा सकता है। बता दें कि राजभवन ने पूर्व में तैयार पैनल को रद्द कर दिया था।
लिफाफा प्रकरण है अहम
हालांकि ये सभी केवल कयास ही हैं। मगर इनमें से सबसे अहम सीएम हेमंत सोरेन से संबंधित लिफाफा है। जिस पर 1.5 साल से सभी की नजरें टिकी हुई हैं। दरअसल, सीएम हेमंत सोरेन पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का आरोप है। राज्यपाल ने इस पर निर्वाचन आयोग का मंतव्य मांगा था। मंतव्य भेजे जाने के बावजूद 1.5 साल से राज्यपाल ने इसका खुलासा नहीं किया है। राज्यपाल रमेश बैस के समय से चला आ रहा ये प्रकऱण अब सीपी राधाकृष्णन के समय में भी सस्पेंस बरकरार है।