झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में
जनसंचार विभाग के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने अपनी मातृभाषा में अपनी संस्कृति से संबंधित बातो और तथ्यों को सबके सामने साझा किया और दूसरी भारतीय भाषाओं में तथ्यों का अनुवाद भी किया। भोजपुरी, मैथिली, मगही, तेलुगु, मलयालम, मारवाड़ी, उड़िया, संथाली, नेपाली, बंगला, बज्जिका, मणिपुरी और हरियाणवी सहित 15 भाषाओं में सभी ने अपने विचारो को सबके समीप साझा किया ।
छात्र और छात्राओं ने अपनी मूल भाषा में गीत, कविताएं, कहानियों और वीडियो सबके सामने प्रस्तुत किया । इसके अलावा संथाली और मलयालम सहित विभिन्न भाषाओं के शब्दों का अभ्यास करने के लिए गतिविधियां भी की गईं । विभाग में अध्य्यनरत देश के विभिन्न राज्यों से आए छात्र-छात्राओं ने अपनी भाषाओं को अनुवाद कर उनके अर्थ भी सभी को समझाए और अपनी संस्कृति को सबके सामने रखा ।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ अमृत कुमार ने कहा कि भारत की अलग अलग भाषाओं के बीच एक संवाद पुल बनाने की काफी आवश्यकता है। इससे हम भारतीयों को भारतीयता के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं । प्रो डॉ देवव्रत सिंह ने अपने अस्तित्व को बचाने के लिए अपनी मूल भाषा से जुड़े रहने की की बात पर जोर दिया । मौके पर विभाग के संयोजक व सहायक प्रोफेसर डॉ राजेश कुमार, डॉ सुदर्शन यादव और सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट अजैंगा पमेई, राम निवास सुथार सहित विभाग के शोधार्थी व विद्यार्थी उपस्थित थे रहे ।